आनन्द कुमारः-
हिंदी दुनिया की सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषाओं में से पांचवें स्थान पर आती है। यह कहा जाता है कि किसी भी भाषा का अपने मौलिक स्वरूप में आने के लिए एक लंबी विकास प्रक्रिया से गुजरना जरूरी होता है, और हिंदी का इतिहास भी अत्यंत प्राचीन और स्वर्णिम है। इसे आर्यों की आधुनिक भाषा कहा जाता है। हिंदी के महत्व को समझाने और इसके व्यापक योगदान को मान्यता देने के उद्देश्य से भारत में हर साल 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है।
14 सितंबर: हिंदी दिवस का चयन क्यों?
यह सवाल अक्सर उठता है कि आखिर 14 सितंबर को ही हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है? इसके पीछे एक ऐतिहासिक घटना है जो 1949 में घटित हुई थी। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में तीन साल की लंबी चर्चाओं और बहसों के बाद यह निर्णय लिया गया कि हिंदी भारत की राजभाषा होगी। हालांकि, यह निर्णय लेना इतना आसान नहीं था।
हिंदी और अंग्रेजी के बीच संघर्ष
संविधान सभा में कई बार यह प्रश्न उठा कि किस भाषा को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया जाए। हिंदी समर्थक नेताओं का मानना था कि हिंदी देश की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है, इसलिए इसे ही राष्ट्रभाषा होना चाहिए। दूसरी ओर, गैर-हिंदी भाषी नेताओं का तर्क था कि अंग्रेजी को राजभाषा के रूप में बरकरार रखना चाहिए, क्योंकि यह पहले से प्रशासनिक कार्यों में इस्तेमाल की जा रही थी और इसके माध्यम से देश के विभिन्न हिस्सों को जोड़ना आसान था।
राजभाषा हिंदी का संवैधानिक दर्जा
बहसों और चर्चाओं के बाद, संविधान में अनुच्छेद 343 से 351 तक का प्रावधान किया गया, जिसमें हिंदी को राष्ट्रभाषा नहीं, बल्कि राजभाषा का दर्जा दिया गया। साथ ही, यह भी तय किया गया कि अगले 15 वर्षों तक राजकीय कामकाज के लिए अंग्रेजी का इस्तेमाल जारी रहेगा। यह निर्णय 14 सितंबर 1949 को हुआ, और यही कारण है कि इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में चुना गया।
आधिकारिक भाषा एक्ट 1963 और हिंदी का भविष्य
जब 15 साल की अवधि समाप्त होने वाली थी, तो दक्षिण भारत में अंग्रेजी हटाने की मांग को लेकर हिंसक प्रदर्शन हुए। इसके परिणामस्वरूप, 1963 में सरकार ने आधिकारिक भाषा अधिनियम लागू किया, जिसने अंग्रेजी को राजकीय भाषा के रूप में बरकरार रखा, लेकिन साथ ही हिंदी के प्रचार-प्रसार पर भी जोर दिया गया।
हिंदी: हमारी पहचान और गौरव
हिंदी दिवस हर साल हमें यह याद दिलाता है कि हमारी भाषा हमारी सांस्कृतिक धरोहर का अहम हिस्सा है। यह केवल संवाद का माध्यम नहीं है, बल्कि हमारे देश की पहचान और एकता का प्रतीक भी है। हिंदी न केवल साहित्य, कला और संस्कृति को संजोने का माध्यम है, बल्कि यह हमारे समाज की गहराई और विविधता को भी दर्शाती है।
नोटः हिंदी दिवस केवल एक दिन नहीं है, बल्कि यह हमारे इतिहास, हमारी संस्कृति और हमारी भाषा के गौरव का उत्सव है। इस दिन को मनाकर हम अपनी मातृभाषा के प्रति आदर प्रकट करते हैं और इसके समृद्ध भविष्य की कामना करते हैं।