आनन्द कुमारः-
भारत के उत्तर मध्य में स्थित उत्तर प्रदेश न केवल भारत का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है, बल्कि यह अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। उत्तर प्रदेश का इतिहास, इसकी भूमि, संस्कृति, और धार्मिक महत्वता इसे एक अनूठा राज्य बनाती है। इस लेख में हम उत्तर प्रदेश के वैदिक काल से लेकर वर्तमान तक के इतिहास, धार्मिक महत्व, और सांस्कृतिक धरोहर पर विस्तृत चर्चा करेंगे।
उत्तर वैदिक काल का इतिहास
उत्तर प्रदेश का इतिहास बहुत ही प्राचीन और विविधतापूर्ण है। उत्तर वैदिक काल में इस क्षेत्र को ब्रह्मर्षि देश या मध्य देश के नाम से जाना जाता था। इस क्षेत्र में आर्य सभ्यता का विकास हुआ और इसी के साथ वैदिक सभ्यता का भी विकास हुआ। यह काल भारतीय सभ्यता का वह समय था जब कई महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक धारणाओं का उद्भव हुआ। इस काल के दौरान कई महान ऋषि-मुनियों जैसे भारद्वाज, गौतम, याज्ञवल्क्य, वशिष्ठ, विश्वामित्र, और वाल्मीकि ने अपने धार्मिक और दार्शनिक विचारों का प्रचार-प्रसार किया। यह क्षेत्र वेदों के रचयिता ऋषियों की भूमि भी रहा है। यहाँ की धरती ने रामायण और महाभारत जैसे महान महाकाव्यों को जन्म दिया है।
उत्तर प्रदेश के पुरातात्विक प्रमाण बताते हैं कि यह क्षेत्र वैदिक सभ्यता के समय से ही मानव बस्ती का केंद्र रहा है। प्राचीन काल में आर्य, जो सिंधु और सतलुज के मैदानी भागों से आए थे, ने यमुना और गंगा के मैदानी भागों में बसना शुरू किया। गंगा के मैदानों ने भारतीय सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उत्तर प्रदेश के गंगा और यमुना नदियों के मैदानों में वैदिक संस्कृति की नींव रखी गई थी, जो आगे चलकर पूरे भारत में फैली।
महाजनपद काल और बौद्ध धर्म का उदय
छठी शताब्दी ईसा पूर्व के अंत में उत्तर प्रदेश 16 महाजनपदों के वर्चस्व के लिए संघर्ष कर रहा था। महाजनपद काल में उत्तर प्रदेश में कई शक्तिशाली राज्य और जनपद उभरे। इनमें से आठ महाजनपद आधुनिक उत्तर प्रदेश में स्थित थे। यह काल भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि इसी दौरान गौतम बुद्ध का आगमन हुआ और बौद्ध धर्म का उदय हुआ। गौतम बुद्ध ने अपना अधिकांश जीवन उत्तर प्रदेश की धरती पर बिताया। सारनाथ, जो वाराणसी के निकट स्थित है, वह स्थान है जहां गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था, जिसे ‘धर्मचक्रप्रवर्तन’ कहा जाता है। चौखंडी स्तूप उस स्थान को चिन्हित करता है, जहां भगवान बुद्ध अपने शिष्यों से मिले थे।
उत्तर प्रदेश का कुशीनगर वह स्थान है जहां गौतम बुद्ध ने महापरिनिर्वाण प्राप्त किया था। बौद्ध धर्म के प्रसार में उत्तर प्रदेश का अत्यधिक महत्व है। इसके अलावा, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर ने भी उत्तर प्रदेश में अपने जीवन के महत्वपूर्ण क्षण व्यतीत किए थे। इस काल में बौद्ध और जैन धर्म दोनों का व्यापक प्रसार हुआ और उत्तर प्रदेश इन धर्मों के महत्वपूर्ण केंद्रों में से एक बन गया।
उत्तर प्रदेश का इतिहास मौर्य और कुषाण काल में भी अत्यधिक महत्वपूर्ण रहा है। मौर्य वंश के महान शासक अशोक ने अपने शासनकाल में बौद्ध धर्म को अपनाया और इसे पूरे भारतवर्ष में फैलाया। सम्राट अशोक ने उत्तर प्रदेश के सारनाथ में बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए कई स्तूपों और मठों का निर्माण करवाया। अशोक का साम्राज्य उत्तर प्रदेश के अधिकांश हिस्सों पर फैला हुआ था और इस दौरान इस क्षेत्र ने सांस्कृतिक और धार्मिक उन्नति देखी।
कुषाण वंश के काल में मथुरा कला का विकास हुआ। मथुरा उस समय का एक प्रमुख व्यापारिक और सांस्कृतिक केंद्र बन गया। कुषाण काल में बौद्ध धर्म का अत्यधिक प्रसार हुआ और Emperor Ashoka built many stupas and monasteries in Sarnath, Uttar Pradesh to spread Buddhism. का उदाहरण हैं। इस काल में मथुरा का नाम एक प्रमुख बौद्ध धार्मिक स्थल के रूप में उभरा।
गुप्त काल को भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग माना जाता है। इस काल में उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक, धार्मिक, और सामाजिक संरचना में महत्वपूर्ण विकास हुआ। गुप्त वंश के शासकों ने हिंदू धर्म को पुनः स्थापित किया और भारतीय कला, साहित्य, और विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस काल में संस्कृत भाषा और साहित्य का अत्यधिक विकास हुआ। कालिदास, आर्यभट्ट, और वराहमिहिर जैसे महान विद्वानों ने इसी काल में अपना योगदान दिया।
उत्तर प्रदेश के वाराणसी और काशी गुप्त काल में शिक्षा और संस्कृति के प्रमुख केंद्र बने। इस काल में बनारस हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया। हिंदू मंदिरों का निर्माण भी इसी काल में बढ़ा, जिसमें काशी विश्वनाथ मंदिर और मथुरा के कृष्ण मंदिर प्रमुख हैं। गुप्त शासकों ने हिंदू धर्म को राज्य धर्म के रूप में स्वीकार किया और इस धर्म के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मध्यकाल में उत्तर प्रदेश का इतिहास दिल्ली सल्तनत और मुगल साम्राज्य के तहत इस्लामी शासन के साथ जुड़ गया। 11वीं शताब्दी में महमूद गजनवी के आक्रमण के बाद, उत्तर प्रदेश इस्लामी शासन के अधीन आ गया। 13वीं शताब्दी में दिल्ली सल्तनत का उदय हुआ और इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के अधिकांश हिस्सों पर इस्लामी शासकों का नियंत्रण स्थापित हो गया।
मुगल साम्राज्य के दौरान उत्तर प्रदेश ने कला, संस्कृति, और वास्तुकला में अभूतपूर्व विकास देखा। बाबर ने 1526 में पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोदी को हराकर मुगल साम्राज्य की नींव रखी। इस साम्राज्य ने उत्तर प्रदेश को अपने केंद्र के रूप में विकसित किया। आगरा और फतेहपुर सीकरी जैसे शहर मुगल वास्तुकला के उत्कृष्ट उदाहरण बने। ताजमहल, जो आगरा में स्थित है, मुगल स्थापत्य कला का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण है। इसे शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया था। इसके अलावा, अकबर का आगरा किला और फतेहपुर सीकरी भी मुगल वास्तुकला की उत्कृष्ट कृतियाँ हैं।
मुगल सम्राट अकबर ने अपने शासनकाल में उत्तर प्रदेश में धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा दिया। उन्होंने दीन-ए-इलाही नामक एक नई धार्मिक विचारधारा की स्थापना की, जिसमें हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों के तत्व शामिल थे। अकबर का शासनकाल उत्तर प्रदेश में धार्मिक और सांस्कृतिक समन्वय का काल था। उन्होंने अपने प्रशासनिक ढांचे में हिंदू और मुस्लिम दोनों को समान रूप से स्थान दिया और हिंदू राजाओं से वैवाहिक संबंध स्थापित किए।
18वीं शताब्दी में मुगल साम्राज्य के पतन के बाद, उत्तर प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता का दौर शुरू हुआ। इस दौरान मराठों का उदय हुआ और उन्होंने उत्तर भारत के कई हिस्सों पर नियंत्रण स्थापित किया। मराठा शासकों ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न भागों में अपना प्रभाव जमाया, लेकिन वे इसे पूरी तरह से नियंत्रित नहीं कर सके। इस काल में उत्तर प्रदेश की सामाजिक और राजनीतिक संरचना में महत्वपूर्ण बदलाव हुए।
मराठों के आगमन के साथ ही उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में आर्थिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण हुआ। हालांकि, मराठों का शासन ज्यादा लंबा नहीं चला और 19वीं शताब्दी की शुरुआत में अंग्रेजों का प्रभुत्व स्थापित हुआ।
19वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने उत्तर प्रदेश के अधिकांश हिस्सों पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया। 1803 में दिल्ली पर कब्जा करने के बाद, ब्रिटिश शासन ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में अपनी प्रशासनिक व्यवस्था को मजबूत किया। इस दौरान उत्तर प्रदेश का नाम ‘यूनाइटेड प्रोविन्सेस ऑफ आगरा एंड अवध’ रखा गया।
1857 का स्वतंत्रता संग्राम भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है, और इसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश के मेरठ से हुई थी। यह विद्रोह ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत की पहली संगठित क्रांति थी। इस संग्राम में उत्तर प्रदेश के कई प्रमुख नायकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, बेगम हजरत महल, और मंगल पांडे जैसे महान क्रांतिकारी इस आंदोलन के प्रमुख चेहरे थे। हालांकि, यह विद्रोह सफल नहीं हो सका, लेकिन इसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी।
1857 के विद्रोह के बाद ब्रिटिश शासन ने उत्तर प्रदेश में अपने प्रशासनिक ढांचे को और भी मजबूत किया। उन्होंने यहां पर कई महत्वपूर्ण संस्थानों की स्थापना की, जिसमें शिक्षा और न्याय प्रणाली को अधिक व्यवस्थित किया गया। इलाहाबाद (अब प्रयागराज) ब्रिटिश प्रशासन का एक प्रमुख केंद्र बन गया।
20वीं शताब्दी की शुरुआत में उत्तर प्रदेश भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक प्रमुख केंद्र बन गया। महात्मा गांधी के नेतृत्व में चलाए गए असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, और भारत छोड़ो आंदोलन में उत्तर प्रदेश के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उत्तर प्रदेश के कई प्रमुख नेता जैसे जवाहरलाल नेहरू, गोविंद वल्लभ पंत, पुरुषोत्तम दास टंडन, और राम मनोहर लोहिया ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उत्तर प्रदेश के गांव और शहर स्वतंत्रता संग्राम के केंद्र बने रहे। काकोरी कांड, जो 1925 में हुआ था, स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण घटना था, जिसमें राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, और चंद्रशेखर आजाद जैसे महान क्रांतिकारियों ने भाग लिया था। इस कांड ने ब्रिटिश शासन को हिला दिया था और स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी।
1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, उत्तर प्रदेश का नामकरण हुआ और इसे एक राज्य का दर्जा मिला। उत्तर प्रदेश स्वतंत्रता संग्राम के बाद भारत के राजनीतिक, सामाजिक, और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। यह राज्य कई प्रधानमंत्रियों का घर रहा है, जिसमें जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेता शामिल हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीति ने हमेशा से ही भारत की राजनीति को प्रभावित किया है।
आजादी के बाद उत्तर प्रदेश
1947 के बाद उत्तर प्रदेश के विभाजन की मांगें उठने लगीं। 2000 में उत्तर प्रदेश का विभाजन हुआ और एक नए राज्य उत्तराखंड का गठन हुआ। उत्तर प्रदेश के विभाजन के बावजूद, यह राज्य आज भी भारत का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है और इसकी राजनीति, संस्कृति, और समाज में महत्वपूर्ण स्थान है।
उत्तर प्रदेश की धरती धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों से समृद्ध है। यहां पर हिंदू, मुस्लिम, बौद्ध, और जैन धर्म के कई महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल हैं। वाराणसी, जो हिंदू धर्म का प्रमुख तीर्थस्थल है, को दुनिया का सबसे पुराना जीवित शहर माना जाता है। वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर, जिसे शिव का निवास स्थान माना जाता है, हिंदुओं के लिए अत्यंत पवित्र स्थल है। इसके अलावा, अयोध्या, जो भगवान राम की जन्मभूमि मानी जाती है, हिंदू धर्म का एक और प्रमुख तीर्थस्थल है।
मथुरा और वृंदावन, जहां भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था, हिंदू धर्म के प्रमुख धार्मिक स्थल हैं। यहां पर कृष्ण जन्मभूमि मंदिर और बांके बिहारी मंदिर जैसे कई महत्वपूर्ण मंदिर हैं। ये स्थान भारत और दुनिया भर के भक्तों के लिए आस्था का केंद्र बने हुए हैं।
उत्तर प्रदेश में मुस्लिम धर्म के भी कई महत्वपूर्ण स्थल हैं। आगरा में स्थित ताजमहल, जो एक विश्व धरोहर स्थल है, दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यह मकबरा मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया था। इसके अलावा, लखनऊ में स्थित इमामबाड़ा और दिल्ली में स्थित जामा मस्जिद भी मुस्लिम धर्म के महत्वपूर्ण स्थल हैं।
बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए, उत्तर प्रदेश में सारनाथ, कुशीनगर, और श्रावस्ती जैसे स्थल महत्वपूर्ण हैं। सारनाथ में ही गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था, और कुशीनगर वह स्थान है जहां उन्होंने महापरिनिर्वाण प्राप्त किया था। इन स्थलों पर बौद्ध धर्म के अनुयायी हर साल बड़ी संख्या में आते हैं।
उत्तर प्रदेश की संस्कृति भी अत्यंत समृद्ध है। यहां की लोक कलाएं, संगीत, नृत्य, और साहित्य ने भारतीय संस्कृति को अद्वितीय बना दिया है। लखनऊ की नजाकत और नवाबी संस्कृति, बनारस का संगीत और साहित्य, और मथुरा का रसिया नृत्य उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर के उदाहरण हैं।
उत्तर प्रदेश की भाषा और साहित्य भी अत्यंत समृद्ध हैं। हिंदी, जो भारत की राष्ट्रीय भाषा है, का विकास उत्तर प्रदेश में हुआ है। इस राज्य ने भारत को कई महान साहित्यकार दिए हैं, जिनमें कबीर, तुलसीदास, मीराबाई, और सूरदास प्रमुख हैं। हिंदी साहित्य के कई महत्वपूर्ण कृतियों का जन्म उत्तर प्रदेश में हुआ है। यहां की भाषा और साहित्य ने भारतीय समाज और संस्कृति पर गहरा प्रभाव डाला है।
वर्तमान में उत्तर प्रदेश भारत के सबसे तेजी से विकासशील राज्यों में से एक है। कृषि, उद्योग, और सेवा क्षेत्रों में यह राज्य महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था भारत की कुल अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। कृषि क्षेत्र में, उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक राज्य है और यहां की चीनी मिलें देश की चीनी उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा बनाती हैं।
इसके अलावा, उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विकास भी तेजी से हो रहा है। कानपुर, लखनऊ, नोएडा, और आगरा जैसे शहर औद्योगिक केंद्रों के रूप में उभर रहे हैं। सूचना प्रौद्योगिकी, विनिर्माण, और सेवा क्षेत्र में उत्तर प्रदेश ने महत्वपूर्ण प्रगति की है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा भारत के प्रमुख आईटी हब के रूप में विकसित हो रहे हैं, और यहां पर कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कार्यालय स्थापित हुए हैं।
उत्तर प्रदेश की सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में भी कई महत्वपूर्ण पहल की हैं। राज्य सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का प्रसार किया है और महिलाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई हैं। स्वास्थ्य सेवाओं में भी उत्तर प्रदेश ने महत्वपूर्ण प्रगति की है। सरकारी अस्पतालों और चिकित्सा केंद्रों की संख्या में वृद्धि हुई है, और स्वास्थ्य सेवाओं को ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश की राजनीति भी भारत की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही है। राज्य की राजनीतिक स्थिति अक्सर देश की राजनीतिक दिशा को प्रभावित करती है। उत्तर प्रदेश की विधान सभा सबसे बड़ी विधान सभा है, और यहां पर होने वाले चुनाव देश की राजनीति के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होते हैं। उत्तर प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य में कई बड़े राजनीतिक दलों का प्रभुत्व रहा है, और यह राज्य हमेशा से ही भारतीय राजनीति का केंद्र रहा है।