आनन्द कुमारः-
जन्माष्टमी एक अत्यंत महत्वपूर्ण और भव्य त्योहार है, जो भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व हर साल भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल, कृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त 2024 को मनाई जाएगी। यह दिन भगवान कृष्ण के प्रति हमारी गहरी श्रद्धा और आभार को प्रकट करने का विशेष अवसर है
कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत की शुरुआत एक संकल्प से करें। यह संकल्प आपकी धार्मिक भावना और भगवान कृष्ण के प्रति अटूट प्रेम को दर्शाता है। संकल्प लेने के बाद, पूरे दिन भगवान कृष्ण का नाम जपें और उनके जन्मोत्सव की तैयारी में जुट जाएं।
व्रत के दिन सुबह-सुबह घर की सफाई करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। विशेष रूप से पूजा स्थल को साफ करें और लड्डू गोपाल जी और भगवान कृष्ण की मूर्ति को पवित्र स्नान कराएं। घर के वातावरण को शुद्ध और पवित्र बनाएं ताकि पूजा का माहौल सकारात्मक रहे। इस दिन का भोजन फल, दही, दूध, आलू, साबूदाना, और सिंघाड़े के आटे का सेवन उपयुक्त है।
जन्माष्टमी के दिन घर पर प्रसाद बनाना चाहिए। भगवान कृष्ण को विशेष रूप से पेड़ा, नारियल गजक, पंजीरी और अन्य दूध आधारित मिठाइयाँ अर्पित की जाती हैं। यह प्रसाद भगवान कृष्ण को अर्पित करने के लिए विशेष रूप से तैयार किया जाता है और भक्तों द्वारा इसका सेवन किया जाता है।
प्रसाद बनाने के लिए विशेष ध्यान दें कि घर पर ही प्रसाद तैयार करें। पंजीरी, मक्खन, मिश्री, मखाने, और मिठाइयाँ जैसे विभिन्न प्रकार के प्रसाद तैयार करें। पंजीरी का उपयोग विशेष रूप से इसलिए किया जाता है क्योंकि यह पौष्टिक होती है और भगवान कृष्ण को प्रिय है।
प्रसाद में फल का उपयोग करना महत्वपूर्ण है। केले, सेब, नारियल, पपीता और संतरे जैसे फलों का उपयोग करें। ये फल पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और व्रति के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं।
व्रत का पारण और शुभ मुहूर्त:
जन्माष्टमी व्रत सूर्योदय से शुरू होकर अगले दिन सूर्योदय तक रखा जाता है। इस साल व्रत 26 अगस्त को सूर्योदय से शुरू होगा और 27 अगस्त की सुबह 5 बजकर 57 मिनट तक चलेगा। पारण का शुभ मुहूर्त 27 अगस्त की सुबह 5 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। व्रत की समाप्ति रात 12 बजकर 45 मिनट पर होगी।
व्रत विधि
जन्माष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें और घर के मंदिर को अच्छे से सजाएं। लड्डू गोपाल का श्रृंगार करें और उनकी विधि-विधान पूजा करें। उन्हें नए वस्त्र पहनाएं, मुकुट लगाएं, और फूलों से सजाएं।
पालना सजाना भी महत्वपूर्ण है। भगवान कृष्ण का पालना सजाएं और उन्हें झूला झुलाएं।
रात 12 बजे भगवान कृष्ण की विधि-विधान पूजा करें। उन्हें मखाने, मिश्री, मक्खन, फल, और तुलसीदल का भोग अर्पित करें। श्री कृष्ण की आरती करें और प्रसाद सभी में बांट दें।