ऋषभ चौरसियाः-
नवाबों का शहर लखनऊ अपने अंदर कई रहस्यमयी और दिलचस्प कहानियों को समेटे हुए है। शहर की अतुल्य विरासत को देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक आते हैं, जो यहाँ की तहज़ीब, अदाब, शायरी, संगीत और स्वादिष्ट भोजन का लुत्फ उठाते हैं। लखनऊ की प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है इमामबाड़ा, जिसका निर्माण नवाब असफ़-उद-दौला ने 1784 में करवाया था। इस इमामबाड़े के अंदर स्थित शाही बाउली के बारे में कई रहस्यमयी कहानियां प्रचलित हैं। आइए, इन कहानियों के पीछे की सच्चाई जानें।
शाही बाउली: रहस्यमयी धरोहर या महज एक पानी का श्रोत?
इतिहासकार नवाब मसूद अब्दुल्लाह ने इमामबाड़े के अंदर स्थित शाही बाउली के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ साझा की। उन्होंने बताया कि बाउली उसी जगह बनाई जाती थी जहां नई इमारतों का निर्माण होता था, क्योंकि निर्माण के दौरान पानी की आवश्यकता होती थी। नवाब साहब का कहना है कि जब इमामबाड़ा और रूमी गेट का निर्माण हो रहा था, तब बाउली को गोमती नदी से जोड़ दिया गया था ताकि पानी की कोई कमी न हो।
क्या बाउली में भूत, जिन्न और सनसनाहट की आवाजें हैं?
मसूद अब्दुल्लाह ने बताया कि लोग कहते हैं कि बाउली में भूत, जिन्न और सनसनाहट की आवाजें सुनाई देती हैं, लेकिन यह सब अफवाहें हैं। उन्होंने कहा कि 1857 में जब अंग्रेज इमामबाड़ा को लूट रहे थे, तो एक कहानी के अनुसार, इमामबाड़े के वजीर ने खजाने की चाबी बाउली में फेंक दी थी। हालांकि, यह मनगढ़ंत कहानी है और ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। अगर अंग्रेज चाहते, तो वे बाउली में गोताखोर भेजकर चाबी निकाल सकते थे। ये सभी कहानियाँ और किस्से पुराने जमाने से चलते आ रहे हैं। वास्तव में, बाउली सिर्फ पानी के लिए बनाई गई थी, और इमामबाड़ा मौला के मजलिस और इबादत के लिए बनाया गया था।
देश-विदेश से पर्यटकों का आकर्षण
इमामबाड़ा की शानदार वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। यहां आने वाले लोग न सिर्फ लखनऊ की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव करते हैं, बल्कि इस ऐतिहासिक स्थल की खूबसूरती से भी रूबरू होते हैं।