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Reading: संसद भवन में प्रवेश से रोके गए किसान नेताः लोकतंत्र की मर्यादा पर सवाल
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Khabar Tak Media - Daily News Hindi l Breaking News > Akhilesh yadav sp > संसद भवन में प्रवेश से रोके गए किसान नेताः लोकतंत्र की मर्यादा पर सवाल
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संसद भवन में प्रवेश से रोके गए किसान नेताः लोकतंत्र की मर्यादा पर सवाल

Desk
Last updated: July 24, 2024 12:43 pm
Desk Published July 24, 2024
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आनन्द कुमारः-

नई दिल्ली: संसद भवन के बाहर आज उस समय माहौल तनावपूर्ण हो गया जब किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा (Non-Political) के नेता राहुल गांधी से मिलने पहुंचे और उन्हें संसद में प्रवेश करने से रोक दिया गया। यह बैठक पहले से निर्धारित थी, फिर भी किसान नेताओं को अंदर नहीं जाने दिया गया। इस घटना ने लोकतांत्रिक मर्यादाओं और किसानों के अधिकारों पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए हैं।

घटना का विवरण

सुबह करीब 10 बजे किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा (Non-Political)के प्रतिनिधि, जिनमें प्रमुख नेता राकेश टिकैत, दर्शन पाल और योगेंद्र यादव शामिल थे, संसद भवन के गेट पर पहुंचे। उनके पास बैठक की अनुमति थी और उन्हें पूर्व सूचना भी दी गई थी कि वे राहुल गांधी से मिल सकते हैं।

जैसे ही वे प्रवेश करने लगे, सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोक दिया। अधिकारियों ने सुरक्षा का हवाला देते हुए कहा कि किसान नेताओं के पास प्रवेश की अनुमति नहीं है। इसके बाद किसान नेताओं ने संसद भवन के बाहर धरना देना शुरू कर दिया।

किसानों का विरोध प्रदर्शन

किसानों ने नारेबाजी करते हुए सरकार पर लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन का आरोप लगाया। राकेश टिकैत ने कहा, “यह सरकार का तानाशाही रवैया है। हमारे पास बैठक की अनुमति थी, फिर भी हमें अंदर नहीं जाने दिया गया। क्या संसद भवन केवल सरकार के लिए है? क्या आम जनता के प्रतिनिधियों को अंदर जाने का अधिकार नहीं है?”

धरना स्थल पर पुलिस की भारी तैनाती की गई थी। कुछ ही देर में वहां भीड़ बढ़ने लगी और संसद भवन के बाहर तनावपूर्ण माहौल पैदा हो गया।

संसद के अंदर का माहौल

लोकसभा के अंदर भी इस मुद्दे पर हंगामा हुआ। विपक्षी सांसदों ने सरकार पर लोकतांत्रिक मर्यादाओं का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा, “यह लोकतंत्र का अपमान है। किसानों को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। हम इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे।”

विपक्षी सांसदों ने संसद भवन के अंदर नारेबाजी की और स्पीकर के सामने धरना दिया। स्पीकर ने बार-बार सांसदों को शांत रहने की अपील की, लेकिन हंगामा जारी रहा।

#WATCH | Congress MP & LoP Lok Sabha Rahul Gandhi in Parliament, says, "We had invited them (farmer leaders) here to meet us. But they are not allowing them here (in Parliament). Because they are farmers, maybe this is the reason they are not allowing them in." pic.twitter.com/oyrv61wsKR

— ANI (@ANI) July 24, 2024

किसानों को क्यों नहीं जाने दिया गया?

सरकार की ओर से कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया कि क्यों किसान नेताओं को अंदर नहीं जाने दिया गया। सुरक्षाकर्मियों ने केवल इतना कहा कि उन्हें आदेश मिला है कि किसी भी बाहरी व्यक्ति को प्रवेश न दिया जाए।

किसानों के अनुसार, यह सरकार का डर है। वे नहीं चाहते कि किसान संसद में अपनी आवाज उठाएं। किसान नेताओं ने कहा कि वे केवल अपनी समस्याओं और मांगों पर चर्चा करने के लिए आए थे।

किसानों की मांगें

किसान नेताओं ने कहा कि वे सरकार से तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि ये कानून किसानों के हित में नहीं हैं और उनसे उनकी आजीविका पर गंभीर असर पड़ेगा।

योगेंद्र यादव ने कहा, “हम शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगें रखने आए थे। सरकार को हमारी बात सुननी चाहिए। हम यहां किसी राजनीतिक दल के प्रतिनिधि नहीं हैं। हम किसान हैं और अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं।”

#WATCH | After meeting farmer leaders, LoP in Lok Sabha Rahul Gandhi says "In our manifesto, we have mentioned MSP with a legal guarantee. We have done the assessment and it can be implemented. We had a meeting right now where were decided that we will talk to the other leader of… pic.twitter.com/2qbnkZXR3O

— ANI (@ANI) July 24, 2024
राहुल गांधी ने MSP पर बात की

सरकार का पक्ष

सरकार की ओर से किसी भी मंत्री या अधिकारी ने इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं कहा। हालांकि, कुछ सूत्रों का कहना है कि सरकार को डर था कि किसान नेता संसद भवन के अंदर हंगामा कर सकते हैं और इसलिए उन्हें अंदर जाने से रोका गया।

आज की घटना ने एक बार फिर से इस बात को उजागर किया है कि देश में लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन हो रहा है। किसान नेताओं को संसद में प्रवेश से रोकना इस बात का प्रतीक है कि सरकार को किसानों की आवाज से डर है।

किसानों ने स्पष्ट कर दिया है कि वे अपनी लड़ाई जारी रखेंगे और किसी भी तरह के उत्पीड़न से डरने वाले नहीं हैं। आज का दिन भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक काले दिन के रूप में याद किया जाएगा जब किसानों को उनके अधिकारों से वंचित किया गया।

इस घटना ने यह भी साबित कर दिया है कि लोकतंत्र केवल कागजों पर ही नहीं होना चाहिए, बल्कि उसे जमीनी स्तर पर भी लागू किया जाना चाहिए। किसानों की आवाज को दबाना किसी भी लोकतांत्रिक समाज में स्वीकार्य नहीं है।

हंगामे का असर

संसद भवन के बाहर हुए इस हंगामे का असर संसद के अंदर भी दिखाई दिया। पूरे दिन कार्यवाही बाधित रही और महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा नहीं हो सकी। विपक्षी दलों ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए और कहा कि वह जनता की आवाज को दबा रही है।

किसानों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे अपनी मांगों को लेकर किसी भी हद तक जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे देशव्यापी आंदोलन करेंगे और सरकार को झुकने पर मजबूर करेंगे।

भविष्य की रणनीति

किसान नेताओं ने बैठक कर आगे की रणनीति पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि वे अब जनता के बीच जाकर अपनी बात रखेंगे और सरकार की नीतियों का विरोध करेंगे।

राकेश टिकैत ने कहा, “हमने पहले भी आंदोलन किया है और सफल हुए हैं। इस बार भी हम पीछे नहीं हटेंगे। हम अपने हक के लिए लड़ेंगे और जीतकर ही रहेंगे।”

आज की घटना ने देश के लोकतांत्रिक ढांचे को हिला कर रख दिया है। किसानों को संसद भवन में प्रवेश से रोकना यह दर्शाता है कि सरकार को उनके मुद्दों की परवाह नहीं है।

किसान नेताओं ने कहा कि वे अपनी लड़ाई जारी रखेंगे और सरकार को झुकने पर मजबूर करेंगे। इस घटना ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि लोकतंत्र में जनता की आवाज सबसे महत्वपूर्ण होती है और उसे दबाया नहीं जा सकता।

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