ऋषभ चौरसियाः-
कभी-कभी जिंदगी की चुनौतियाँ हमें ऐसे मुकाम पर ला खड़ा करती हैं, जहां से आगे बढ़ने के लिए दो ही रास्ते होते हैं—या तो हार मानकर बैठ जाओ, या फिर हालातों से जूझकर अपना रास्ता खुद बनाओ। मुरैना जिले की सुनीता शर्मा ने दूसरा रास्ता चुना। आर्थिक तंगी और कठिनाइयों से घिरे होने के बावजूद, सुनीता ने न सिर्फ अपने परिवार को सहारा दिया बल्कि अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से एक नई पहचान भी बनाई। आज उन्हें पूरे इलाके में “ड्रोन दीदी” के नाम से जाना जाता है, और उनकी सफलता की कहानी उन तमाम महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो अपने जीवन में संघर्षों का सामना कर रही हैं।
सुनीता शर्मा एक साधारण ग्रामीण महिला थीं, जिनका जीवन आर्थिक तंगी और संघर्षों से भरा था। घर चलाने में हो रही परेशानियों और परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए उन्होंने कुछ अलग करने की ठानी। उन्होंने अपने सफर की शुरुआत एक छोटी सी सिलाई मशीन से की, जिसे उन्होंने सेल्फ हेल्प ग्रुप के जरिए 25 हजार रुपये का लोन लेकर खरीदा था। सिलाई के इस काम से उनकी मासिक आय धीरे-धीरे 8 हजार रुपये तक पहुंच गई, लेकिन सुनीता यहीं नहीं रुकीं।
सफलता के इस छोटे से कदम के बाद, सुनीता ने “नमो ड्रोन योजना” के तहत ड्रोन पायलट बनने की ट्रेनिंग ली। फूलपुर, प्रयागराज में ट्रेनिंग पूरी करने के बाद, सुनीता ने खेती के क्षेत्र में ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल शुरू किया। अब वे किसानों के लिए ड्रोन के जरिए कम लागत वाली तरल खाद और दवाओं का छिड़काव करती हैं, जिससे समय, मेहनत और पानी की बचत होती है। सुनीता अब तक 60 एकड़ से ज्यादा खेतों में ड्रोन से मेडिसिन और नैनो यूरिया का छिड़काव कर चुकी हैं, जिससे किसानों को बड़ी मदद मिली है।
आज सुनीता शर्मा हर महीने 25 हजार रुपये की कमाई कर रही हैं, और उनके बच्चे अच्छे इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ रहे हैं। उन्होंने अपनी इस सफलता का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मोहन यादव को दिया, जिन्होंने “नमो ड्रोन योजना” जैसी पहल के जरिए महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का मौका दिया। सुनीता की इस उपलब्धि को राष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा गया है, और उन्हें 15 अगस्त 2024 को स्वतंत्रता दिवस के मुख्य आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्पेशल गेस्ट की लिस्ट में शामिल किया गया था।