आनन्द कुमारः-
दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में घटित एक त्रासदी ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। यह घटना तब हुई जब कोचिंग सेंटर के कुछ छात्रों की आकस्मिक मौत हो गई। यह एक भयावह दुर्घटना थी जिसने न केवल प्रभावित परिवारों को बल्कि पूरे छात्र समुदाय को भी गहरे सदमे में डाल दिया है। छात्रों का गुस्सा और निराशा बढ़ गई है क्योंकि उन्होंने अपने प्रिय शिक्षकों से कोई समर्थन नहीं देखा है, विशेषकर उन शिक्षकों से जो उनके लिए आदर्श और प्रेरणा स्रोत रहे हैं।
प्रमुख कोचिंग गुरुओं की चुप्पी
अवध ओझा, विकास दिव्यकीर्ति, शुभ्रा रंजन, अखिल मूर्ति, अलख पांडे, और खान सर जैसे प्रतिष्ठित कोचिंग गुरुओं ने इस घटना पर अब तक कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। इन शिक्षकों की चुप्पी ने छात्रों के बीच नाराजगी और निराशा को जन्म दिया है। वे सवाल उठा रहे हैं कि जिन गुरुओं ने उन्हें नैतिकता और सिद्धांतों की शिक्षा दी, वे आज क्यों चुप हैं?

प्रदर्शनकारी छात्रों के सवाल
प्रदर्शनकारी छात्रों ने अपनी नाराजगी जाहिर की है और सोशल मीडिया पर इन कोचिंग गुरुओं से सवाल पूछे हैं:
- “कहाँ हैं विकास दिव्यकीर्ति सर?”
- “कहाँ हैं अवध ओझा सर?”
- “कहाँ हैं शुभ्रा रंजन मेम?”
- “कहाँ हैं अखिल मूर्ति सर?”
- “कहाँ हैं मुखर्जी नगर और राजेंद्र नगर के सभी टीचर?”
छात्रों का कहना है कि जिन माता-पिता की फीस से इन शिक्षकों का घर चलता है, क्या वे उन बच्चों के लिए इतना भी नहीं कर सकते? उन्होंने यह भी कहा कि क्या ये शिक्षक केवल एथिक्स पढ़ाने के लिए हैं, व्यवहार में लाने के लिए नहीं?
सोशल मीडिया पर छात्रों और अभिभावकों ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं। एक छात्र ने लिखा, “अलख पांडे गायब, खान सर गायब, विकास दिव्यकीर्ति गायब, अवध ओझा भी कहीं दिख नहीं रहे हैं। बच्चों का भविष्य बनाने के नाम पर जो अपना भविष्य बना रहे हैं, उनमें से कोई भी आज किसी विद्यार्थी के लिए अपनी आवाज बुलंद नहीं कर रहा है।”
एक अन्य अभिभावक ने लिखा, “ऐसे लोगों से सावधान रहें। वे केवल अपने फायदे के लिए छात्रों का इस्तेमाल कर रहे हैं। जब समय आता है, तो वे चुप्पी साध लेते हैं।”
शांत रहने के मुख्य वजहे
इन प्रमुख शिक्षकों की चुप्पी के पीछे कई कारण हो सकते हैं:
- 1.घटना की संवेदनशीलता: इस तरह की घटनाएं बहुत ही संवेदनशील होती हैं और किसी भी बयान से स्थिति और बिगड़ सकती है।
- 2.कानूनी अड़चनें: कई बार कानूनी कारणों से सार्वजनिक बयान देना मुश्किल हो जाता है।
- 3.व्यक्तिगत सुरक्षा: ऐसे विवादास्पद मुद्दों पर बयान देने से अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
- 4.समाज और शिक्षा पर प्रभाव: एक शिक्षक के रूप में उनका मुख्य उद्देश्य शिक्षा और समाज को सकारात्मक दिशा में मार्गदर्शन करना है।
छात्रों की मांग
छात्रों की मांग है कि उनके आदर्श शिक्षकों को इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया देनी चाहिए। उनका कहना है कि अगर ये शिक्षक आज उनके साथ नहीं खड़े हो सकते, तो उनकी शिक्षाओं का क्या मतलब है? वे चाहते हैं कि उनके गुरु इस कठिन समय में उनके साथ खड़े हों और उनका समर्थन करें।
दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में घटित इस त्रासदी ने एक गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या हमारे आदर्श और प्रेरणा स्रोत केवल नाम के लिए हैं? छात्रों की उम्मीदें और उनके सवाल वाजिब हैं। एक शिक्षक का काम केवल शिक्षा देना ही नहीं, बल्कि नैतिकता और सिद्धांतों को व्यवहार में लाना भी होता है।
यह समय है कि प्रमुख कोचिंग गुरुओं को अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए और अपने छात्रों के साथ खड़ा होना चाहिए। यह न केवल उनके छात्रों के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश होगा। हमें उम्मीद है कि वे जल्द ही इस पर प्रतिक्रिया देंगे और छात्रों के विश्वास को पुनः स्थापित करेंगे।
अखिलेश यादव ने संसद में ओल्ड राजेंद्र नगर में हुए यूपीएससी के छात्रों के साथ दर्दनाक हादसे को लेकर कई सवाल उठाए। उन्होंने सरकार से पूछा कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं और पीड़ित छात्रों को किस प्रकार की सहायता प्रदान की जाएगी। अखिलेश यादव ने सरकार की तरफ निशान साधते हुए कहा कि क्या यह सरकार बुलडोजर चला पाएगी। साथ यह भी जोर दिया कि छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष उपाय किए जाने चाहिए और इस घटना की निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए
इस घटना ने कोचिंग सेंटरों की सुरक्षा व्यवस्थाओं और सरकारी निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। घटना के बाद, सरकारी प्रतिक्रिया और आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है।
घटना के तुरंत बाद, दिल्ली सरकार ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच आयोग का गठन किया। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा, “यह घटना हमारे लिए एक चेतावनी है कि हमें कोचिंग सेंटरों की सुरक्षा पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि दोषियों को सजा मिले और भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।” उन्होंने यह भी घोषणा की कि पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।
शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, “हमारी प्राथमिकता छात्रों की सुरक्षा है। हम कोचिंग सेंटरों की सुरक्षा मानकों की समीक्षा करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी कोचिंग सेंटर सुरक्षा गाइडलाइनों का पालन करें।”
अभिभावकों का आरोप
अभिभावकों ने सरकार पर कड़ी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कोचिंग सेंटरों की निगरानी और सुरक्षा व्यवस्थाओं में गंभीर लापरवाही बरती है। एक अभिभावक ने कहा, “हम अपने बच्चों को बेहतर भविष्य के लिए कोचिंग सेंटर भेजते हैं, लेकिन ऐसी घटनाओं के बाद हमें उनके सुरक्षा की चिंता होती है। सरकार की जिम्मेदारी है कि वह कोचिंग सेंटरों की नियमित जांच करे और सुनिश्चित करे कि वे सुरक्षा मानकों का पालन कर रहे हैं।”
प्रदर्शनकारी छात्रों के सवाल
प्रदर्शनकारी छात्रों ने भी अपनी नाराजगी जाहिर की और प्रमुख कोचिंग गुरुओं की चुप्पी पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जब वे अपने गुरुओं से नैतिकता और सिद्धांतों की शिक्षा लेते हैं, तो इस कठिन समय में उनके समर्थन की भी अपेक्षा करते हैं। छात्रों का कहना है, “कहाँ हैं विकास दिव्यकीर्ति सर? कहाँ हैं अवध ओझा सर? जिन माता-पिता की फीस से इन शिक्षकों का घर चलता है, क्या वे उन बच्चों के लिए इतना भी नहीं कर सकते?”
राज्य सरकार का केंद्र सरकार पर आरोप
दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार पर भी आरोप लगाए हैं कि उसने कोचिंग सेंटरों की निगरानी और सुरक्षा व्यवस्थाओं में पर्याप्त समर्थन नहीं दिया। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, “हमारी सरकार ने कई बार केंद्र सरकार से कोचिंग सेंटरों की सुरक्षा के लिए सख्त नियम लागू करने की मांग की थी, लेकिन हमें कोई सहयोग नहीं मिला। केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोचिंग सेंटरों की सुरक्षा में कोई कमी न हो।”
शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, “केंद्र सरकार ने हमारे सुरक्षा मानकों के प्रस्ताव को नजरअंदाज किया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमें इस तरह की घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है। केंद्र को अब जागना चाहिए और कोचिंग सेंटरों की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए।”
विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों ने भी इस घटना पर अपनी नाराजगी जताई है और सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। कांग्रेस के एक नेता ने कहा, “यह घटना सरकार की विफलता को दर्शाती है। उन्हें कोचिंग सेंटरों की सुरक्षा पर अधिक ध्यान देना चाहिए था। हम इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग करते हैं।”
सरकार की त्वरित प्रतिक्रिया और जांच आयोग की स्थापना इस दिशा में एक सकारात्मक कदम है, लेकिन अभिभावकों और छात्रों के आरोप यह स्पष्ट करते हैं कि कोचिंग सेंटरों की सुरक्षा में अभी भी कई खामियां हैं। राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप ने इस मुद्दे को और भी जटिल बना दिया है। अब यह समय है कि सभी पक्ष मिलकर काम करें और यह सुनिश्चित करें कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों और हमारे छात्रों की सुरक्षा प्राथमिकता हो।