आनन्द कुमारः-
लद्दाख के जाने-माने पर्यावरणविद् और शिक्षाविद् सोनम वांगचुक ने भाजपा सरकार की नीतियों के खिलाफ एक ऐतिहासिक पदयात्रा की शुरुआत की है। यह पदयात्रा लेह से दिल्ली तक लगभग 1000 किलोमीटर की दूरी तय करेगी और एक महीने तक चलेगी। वांगचुक का यह कदम लद्दाख के लिए स्वायत्तता, पर्यावरण संरक्षण, और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर जनता का ध्यान आकर्षित करने के लिए उठाया गया है।
इस यात्रा में सैकड़ों लोग जुड़ चुके हैं, जो वांगचुक के उद्देश्यों से प्रेरित होकर उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं। वांगचुक की यह पदयात्रा खासकर जम्मू और कश्मीर के आगामी चुनावों से पहले भाजपा के लिए गंभीर चुनौती साबित हो सकती है, क्योंकि यह आंदोलन लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के लोगों की भावनाओं और जरूरतों का प्रतिनिधित्व करता है।
पदयात्रा के दौरान, सोनम वांगचुक और उनके साथी कई महत्वपूर्ण स्थानों पर रुकेंगे, जहां वे स्थानीय समुदायों से मिलकर उनकी समस्याओं और चिंताओं को सुनेंगे और उन्हें आगे की रणनीति के बारे में बताएंगे। 2 अक्टूबर, महात्मा गांधी की जयंती के दिन, यह पदयात्रा हरियाणा के गुरुग्राम पहुंचेगी। इस दिन का चुनाव भी बहुत प्रतीकात्मक है, क्योंकि महात्मा गांधी ने अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों पर चलते हुए समाज में परिवर्तन लाने का कार्य किया था। इसी तरह, वांगचुक भी शांति और अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए जनता की आवाज़ को सरकार तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं।
दिल्ली पहुंचने पर, वांगचुक का उद्देश्य है कि वे सरकार के प्रतिनिधियों से मिलें और लद्दाख के लिए विशेष सुरक्षा, पर्यावरण के लिए ठोस नीतियां, और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की मांगें रखें। यह यात्रा न केवल लद्दाख बल्कि पूरे देश के लिए एक संदेश है कि विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन होना अनिवार्य है।
सोनम वांगचुक का यह आंदोलन भाजपा के लिए एक राजनीतिक चुनौती बन सकता है, खासकर जब यह पदयात्रा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अपने समापन पर पहुंचेगी। इस यात्रा का प्रभाव न केवल लद्दाख और जम्मू-कश्मीर बल्कि पूरे भारत की राजनीति और सामाजिक आंदोलनों पर पड़ सकता है।