आनन्द कुमारः-
भारत में वक्फ बोर्ड की भूमि प्रबंधन को लेकर हाल ही में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। वर्तमान में देश में वक्फ बोर्डों की भूमि, रेलवे विभाग और आर्मी फोर्स के बाद तीसरे नंबर पर आती है। वक्फ बोर्ड की संपत्ति को लेकर नियम अत्यधिक सख्त होते हैं और इसे किसी भी सरकारी अथवा न्यायिक हस्तक्षेप से मुक्त रखा गया है।
वक्फ बोर्ड, जो धार्मिक और सार्वजनिक कार्यों के लिए संपत्ति प्रबंधित करता है, परंपरागत रूप से ऐसी संस्था है जिसे सरकार और न्यायपालिका का हस्तक्षेप नहीं होता। इसमें संपत्ति सौंपने वाले व्यक्ति की परिवार की ओनरशिप समाप्त हो जाती है और संपत्ति को बेचने या बदलने की शक्ति केवल मुतावली को होती है।
भारत में कुल 32 वक्फ बोर्ड हैं, जिनमें प्रमुख हैं: बिहार शिया वक्फ बोर्ड, बिहार सुन्नी वक्फ बोर्ड, उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड, और उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड। वक्फ बोर्ड के तहत संपत्तियों की अनियमितताओं और मनमानी प्रबंधन ने विवादों को जन्म दिया है। उदाहरण के लिए, वक्फ बोर्ड अपनी भूमि पर मनमाने तरीके से दावा कर सकता है, जिससे अन्य लोग कुछ नहीं कर सकते।
हाल ही में, मोदी सरकार ने वक्फ बोर्ड की समस्याओं को लेकर ठोस कदम उठाया है। वक्फ एक्ट 1995 में कई महत्वपूर्ण संशोधन प्रस्तावित किए गए हैं। 8 अगस्त 2024 को, भारत के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने वक्फ अमेंडमेंट बिल 2024 प्रस्तुत किया, जिसे तुरंत ज्वाइंट पार्लियामेंट कमेटी के पास भेज दिया गया। 22 अगस्त को इस समिति की बैठक में इस बिल पर चर्चा की गई।
इस संशोधन के तहत वक्फ बोर्ड का नाम बदलकर “यूनाइटेड वर्क मैनेजमेंट एंपावरमेंट एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट एक्ट” (UMEED) रखने का प्रस्ताव है। इस बदलाव से वक्फ बोर्ड की प्रबंधन प्रणाली में सुधार और अधिक पारदर्शिता की उम्मीद जताई जा रही है।