आनन्द कुमारः-
भारत देश मे घोटाला तो आम बात हो गई है, लेकिन यहां तो सारी हदे पार हो गई जब पता चला कि जान बचाने वाली गोली ही जानलेवा हो सकती है। अक्सर हम छोटी-मोटी बीमारियों में सामान्य दवाइयां लेकर अपनी सेहत ठीक करने की कोशिश करते हैं, लेकिन अब ये दवाइयां जानलेवा साबित हो रही हैं। हाल ही में खुलासा हुआ है कि पेरासिटामोल 500mg, जो कि आमतौर पर बुखार और सर्दी-खांसी में उपयोग की जाती है, गुणवत्ता परीक्षण में फेल हो चुकी है। इस घोटाले में सरकार को भी घेरे में लिया जा रहा है क्योंकि कुल 53 दवाइयां फेल हो चुकी हैं, जिनमें से कई लोग रोजमर्रा में इस्तेमाल करते हैं।
नकली और असली दवाइयों में फर्क करना मुश्किल
सबसे बड़ी समस्या यह है कि अब ये पहचानना मुश्किल हो गया है कि असली दवा कौन सी है और नकली कौन सी। यहां तक कि डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवाइयों के बाद भी मेडिकल स्टोर से नकली दवाइयां मिलने का खतरा बढ़ गया है। विटामिन, कैल्शियम, और शुगर की दवाइयां भी गुणवत्ता परीक्षण में फेल हो चुकी हैं।
जानलेवा साबित हो रही प्रमुख दवाइयां:
- पेरासिटामोल 500mg: आमतौर पर बुखार और जुखाम के लिए ली जाने वाली ये दवा अब खतरनाक मानी जा रही है।
- पैन डी: एसिडिटी की दवा, जिसकी गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
- विटामिन और कैल्शियम D3 सप्लीमेंट: विटामिन की कमी को पूरा करने के लिए ली जाने वाली ये दवाइयां भी गुणवत्ता में फेल हो गई हैं।
- डायबिटीज और हाई बीपी की दवाइयां: ब्लड शुगर और हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए ली जाने वाली दवाइयों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
- Cepodem XP 50: बच्चों में इंफेक्शन के दौरान दी जाने वाली एंटीबायोटिक दवा भी इस घोटाले का हिस्सा है।
जिम्मेदार कंपनियों पर सवाल
इन दवाइयों का निर्माण बड़ी और मशहूर कंपनियों द्वारा किया गया है। इनमें से एक प्रमुख कंपनी Hindustan Antibiotics Limited और दूसरी कंपनी Shelcal Torrent Pharmaceuticals जैसी बड़ी फार्मा कंपनियां हैं। इन कंपनियों की दवाइयों का व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है, जो अब सवालों के घेरे में हैं। कम्पनीयों का कहना है कि ये मेरी दवाईया नही है, फिर आखीरकार ये सब दवाईया बना कौन रहा? इसको बनाने का अनुमती किसने दिया?
सरकार पर सवाल
सबसे बड़ा सवाल यह है कि सरकार ने इन दवाइयों पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया? सरकार की लापरवाही के चलते ही ये दवाइयां बाजार में बिक रही हैं और लोग अनजाने में इन्हें इस्तेमाल कर रहे हैं। क्या यह प्रशासनिक विफलता है या इसके पीछे कोई और साजिश है, यह जांच का विषय है।
नकली दवाओं का संकट: पहचान करना हुआ मुश्किल
सवाल सिर्फ इतना नहीं है कि ये दवाइयां फेल हो रही हैं, बल्कि समस्या यह है कि अब यह पहचानना मुश्किल हो गया है कि कौन सी दवा असली है और कौन सी नकली। मेडिकल स्टोर में डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवाइयों के बाद भी नकली दवाइयां बेची जा रही हैं, जिससे लोगों की जान खतरे में पड़ रही है। यह स्थिति उन रोगियों के लिए और भी खतरनाक हो गई है, जो डायबिटीज, हाई बीपी और विटामिन की कमी से जूझ रहे हैं, क्योंकि उनकी दवाइयां भी इस घोटाले का हिस्सा हैं।
पेरासिटामोल 500mg: हर घर की दवा अब जानलेवा
सभी दवाइयों में सबसे चौंकाने वाली खबर पेरासिटामोल 500mg से जुड़ी है, जो आमतौर पर हर घर में बुखार और सर्दी-खांसी के इलाज के लिए ली जाती है। यह दवा गुणवत्ता परीक्षण में फेल हो चुकी है और अगर इसका उपयोग किया जाता है, तो यह जानलेवा साबित हो सकती है।
फेल हुई दवाओं की सूची
नीचे दी गई हैं उन 53 दवाइयों की सूची, जो गुणवत्ता में फेल हो चुकी हैं और अब खतरे की घंटी बजा रही हैं:
- पेरासिटामोल 500mg
- पैन डी (एसिडिटी की दवा)
- विटामिन डी3 सप्लीमेंट
- कैल्शियम डी3 सप्लीमेंट
- डायबिटीज की दवाइयां
- हाई बीपी की दवाइयां
- Talma H (ब्लड प्रेशर दवा)
- Cepodem XP 50 (बच्चों में इंफेक्शन की दवा)
- Metronidazole (एंटीबायोटिक)
- Shelcal (कैल्शियम सप्लीमेंट)
- Zifi 200 (एंटीबायोटिक)
- Telmisartan (ब्लड प्रेशर)
- Glimepiride (डायबिटीज)
- Azithromycin 500mg (एंटीबायोटिक)
- Dolo 650 (बुखार की दवा)
- Amoxicillin (एंटीबायोटिक)
- Diclofenac (दर्द निवारक)
- Montelukast (एलर्जी)
- Rabeprazole (एसिडिटी)
- Clindamycin (इंफेक्शन)
- Cefixime (एंटीबायोटिक)
- Folic Acid (विटामिन सप्लीमेंट)
- Amlodipine (ब्लड प्रेशर)
- Ciprofloxacin (एंटीबायोटिक)
- Metformin (डायबिटीज)
- Pantoprazole (एसिडिटी)
- Losartan (ब्लड प्रेशर)
- Tamsulosin (मूत्र मार्ग)
- Levofloxacin (एंटीबायोटिक)
- Gabapentin (दर्द और न्यूरोपैथी)
- Atorvastatin (कोलेस्ट्रॉल)
- Rosuvastatin (कोलेस्ट्रॉल)
- Spironolactone (ब्लड प्रेशर)
- Hydroxychloroquine (मलेरिया)
- Prednisolone (स्टेरॉइड)
- Metoprolol (ब्लड प्रेशर)
- Ondansetron (उल्टी रोकने की दवा)
- Doxycycline (एंटीबायोटिक)
- Carbamazepine (मिर्गी)
- Lisinopril (ब्लड प्रेशर)
- Alprazolam (एंग्जाइटी)
- Diazepam (एंग्जाइटी और स्लीप डिसऑर्डर)
- Ibuprofen (दर्द निवारक)
- Enalapril (ब्लड प्रेशर)
- Furosemide (डाययूरेटिक)
- Chlorpheniramine (एलर्जी)
- Nitrofurantoin (यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन)
- Amitriptyline (डिप्रेशन)
- Warfarin (ब्लड थिनर)
- Acetaminophen (दर्द और बुखार)
- Trimethoprim (एंटीबायोटिक)
- Loperamide (डायरिया)
- Clotrimazole (फंगल इंफेक्शन)
सरकार की भूमिका
सरकार पर यह सवाल उठ रहे हैं कि उसने इन दवाइयों पर पहले से रोक क्यों नहीं लगाई। 53 दवाइयों के गुणवत्ता परीक्षण में फेल होने के बाद भी वे बाजार में बिक रही हैं, और आम जनता उन्हें अनजाने में उपयोग कर रही है। क्या यह प्रशासन की विफलता है या किसी साजिश का हिस्सा, यह जांच का विषय है।
सबसे बड़ी चिंता
यह घोटाला आम जनता के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है। इन दवाइयों के इस्तेमाल से लोगों की जान को खतरा हो सकता है, खासकर वे जो नियमित रूप से इन दवाइयों का सेवन कर रहे हैं। इस संकट से बचने के लिए लोगों को सतर्क रहना होगा और दवाइयों के उपयोग से पहले उनकी गुणवत्ता की जांच करनी होगी।
दवाइयों के गुणवत्ता परीक्षण में फेल होने का मामला अब सियासी विवाद का कारण बन गया है। यह खुलासा न सिर्फ स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर सवाल खड़े करता है, बल्कि राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का नया मुद्दा भी बन गया है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) ने इस मामले में भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला है, जिसके चलते सियासी माहौल गरमा गया है।
कांग्रेस का मोदी सरकार पर हमला
इस घोटाले को लेकर कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए कहा, “यह खबर बताती है कि फार्मा कंपनियां लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रही हैं और इससे करोड़ों कमा रही हैं। यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि ‘मोदी है तो मुमकिन है’। मोदी है तो भ्रष्टाचार है।”
कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि जिन फार्मा कंपनियों की दवाइयां टेस्ट में फेल हुई हैं, वही कंपनियां भाजपा को चंदा देकर क्लीन चिट पा रही हैं। कांग्रेस का कहना है, “इन कंपनियों को अब कोई डर नहीं है क्योंकि इनके मालिक जानते हैं, मोदी है तो मुमकिन है।”
अखिलेश यादव का तंज
इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने भी भाजपा सरकार को घेरते हुए ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, “जवाब दे आज की भ्रष्ट भाजपा सरकार, ऐसी दवा खाकर होगा इलाज या बीमार? जब तक भाजपा कंपनियों से भटोरती रहेगी चंदा, तब तक जारी रहेगा कम गुणवत्ता वाली दवाइयों का धंधा।” अखिलेश यादव ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि इस घोटाले के बावजूद सरकार कार्रवाई करने में असमर्थ है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या इस रिपोर्ट के बाद कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे या फिर चंदे की दरें बढ़ाकर मामले को रफा-दफा कर दिया जाएगा।
राजनीतिक घमासान का असर
यह विवाद अब सिर्फ स्वास्थ्य संकट तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि सियासी गलियारों में भी गरमा गया है। विपक्षी दल भाजपा पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं कि सरकार फार्मा कंपनियों को खुली छूट दे रही है, जिसके चलते ये कंपनियां बेखौफ होकर लोगों की जान से खिलवाड़ कर रही हैं। कांग्रेस और सपा का कहना है कि यह घोटाला केवल स्वास्थ्य सेवाओं की असफलता का मामला नहीं है, बल्कि यह भ्रष्टाचार का भी एक बड़ा उदाहरण है।