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Reading: जाने कब है अनंत चतुर्दशी की शुभ मुहूर्त? व्रत तिथि,पूजा विधि और महत्व
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Khabar Tak Media - Daily News Hindi l Breaking News > Fevstival > जाने कब है अनंत चतुर्दशी की शुभ मुहूर्त? व्रत तिथि,पूजा विधि और महत्व
Fevstivalpujaपूजा पाठ

जाने कब है अनंत चतुर्दशी की शुभ मुहूर्त? व्रत तिथि,पूजा विधि और महत्व

भगवान विष्णु की कृपा से जीवन की सभी समस्याओं का समाधान

Desk
Last updated: September 16, 2024 4:10 am
Desk Published September 16, 2024
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Highlights
  • सूर्योदय से पहले स्नान, व्रत का संकल्प, भगवान विष्णु की मूर्ति की स्थापना, और अनंत सूत्र की पूजा।
  • भगवान विष्णु, देवी यमुना, और माता शेषनाग की पूजा का दिन।
  • पूजा में 14 गांठों वाला अनंत सूत्र बांधना आवश्यक।
  • लाभ चौघड़िया सुबह 10:43 से 12:15 तक पूजा के लिए शुभ।

आनन्द कुमारः-

सनातन धर्म में अनंत चतुर्दशी का विशेष महत्त्व है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है, और इस दिन व्रत करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है। हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु, देवी यमुना, और माता शेषनाग की पूजा करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन पूजा करने से जीवन के समस्त कष्ट समाप्त हो जाते हैं और व्यक्ति की सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है।

अनंत सूत्र का महत्त्व

अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्णु की पूजा के दौरान अनंत सूत्र बांधना अत्यंत आवश्यक माना गया है। यह सूत्र 14 गांठों वाला होता है, और इसे बांधने से भगवान विष्णु की उपस्थिति का प्रतीक माना जाता है। इस सूत्र को 14 गांठों से तैयार किया जाता है, जो 14 लोकों का प्रतिनिधित्व करती हैं। यह सूत्र व्यक्ति के जीवन में समृद्धि, सुरक्षा और शांति का प्रतीक माना जाता है। इस दिन यह अनिवार्य होता है कि पुरुष इसे अपने दाहिने हाथ में और महिलाएं इसे अपने बाएं हाथ में बांधें।

अनंत सूत्र न केवल आध्यात्मिक महत्त्व रखता है, बल्कि यह भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का माध्यम भी है। इस सूत्र को बांधकर व्यक्ति जीवन में आने वाली बाधाओं से मुक्त हो जाता है और उसे अनंत सुखों की प्राप्ति होती है।

व्रत का महत्त्व

अनंत चतुर्दशी का व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रखा जाता है। इसे अनंत चौदस भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जिससे व्यक्ति के जीवन की सभी समस्याओं का समाधान हो जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति इस दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। इस व्रत को लेकर एक और महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इसे विधिपूर्वक और नियमों का पालन करते हुए करना आवश्यक है, तभी इसका फल प्राप्त होता है।

गणेश विसर्जन का महत्त्व

अनंत चतुर्दशी के दिन ही गणेशोत्सव का समापन होता है। इस दिन गणपति बप्पा की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। भक्तगण पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ गणेशजी की विदाई करते हैं और उनसे अगले वर्ष फिर से आने की प्रार्थना करते हैं। यह दिन गणपति बप्पा के साथ-साथ भगवान विष्णु की आराधना के लिए भी समर्पित होता है। इसलिए इस दिन गणेशजी के विसर्जन के साथ-साथ भगवान विष्णु की पूजा भी की जाती है, जिससे भक्तों को दोहरी कृपा प्राप्त होती है।

व्रत और पूजा विधि

अनंत चतुर्दशी के दिन व्रत रखने और पूजा करने का विशेष महत्त्व है। आइए जानते हैं इस दिन पूजा करने की विधि:

  1. सूर्योदय से पहले उठें: इस दिन व्रत रखने वाले को सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कार्यों से निवृत्त होना चाहिए। इसके बाद शुद्ध कपड़े पहनकर पूजा की तैयारी करें।
  2. व्रत का संकल्प लें: स्नान के बाद भगवान विष्णु के समक्ष व्रत का संकल्प लें। व्रत का संकल्प लेना अनिवार्य होता है ताकि व्यक्ति पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ पूजा कर सके।
  3. चौकी पर भगवान विष्णु की स्थापना करें: किसी पवित्र नदी के किनारे या घर के मंदिर में एक चौकी स्थापित करें और उस पर भगवान विष्णु की शेषनाग की शैय्या पर लेटी हुई मूर्ति या तस्वीर रखें।
  4. अनंत सूत्र की स्थापना: इसके बाद एक डोरा लें और उसमें 14 गांठें बांधें। यह अनंत सूत्र भगवान विष्णु के पास रखें और ‘ॐ अनंताय नमः’ मंत्र का जप करते रहें। पुरुष दाहिने हाथ में और महिलाएं बाएं हाथ में यह सूत्र बांधें।
  5. भगवान विष्णु की पूजा: भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा करें। उन्हें पुष्प, फल, अक्षत, और मिष्ठान्न चढ़ाएं। पूजा के दौरान भगवान विष्णु की स्तुति करें और उनसे जीवन के कष्टों से मुक्ति की प्रार्थना करें।
  6. व्रत कथा का पाठ: अनंत चतुर्दशी के दिन व्रत कथा सुनना अत्यधिक आवश्यक माना जाता है। यह कथा भगवान विष्णु की महिमा और इस व्रत के महत्त्व को दर्शाती है। कथा का पाठ करने से पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
  7. आरती और प्रसाद: पूजा के बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें। ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें वस्त्र तथा दक्षिणा प्रदान करें। इसके बाद परिवार के साथ प्रसाद ग्रहण करें।

व्रत का शुभ मुहूर्त और तिथि

अनंत चतुर्दशी की तिथि इस वर्ष 16 सितंबर 2024 को दिन में 3 बजकर 11 मिनट पर प्रारंभ होकर 17 सितंबर 2024 को सुबह 11 बजकर 45 मिनट पर समाप्त होगी। उदय काल की मान्यता के अनुसार, इस दिन व्रत 17 सितंबर को रखा जाएगा। पूजा का शुभ मुहूर्त लाभ चौघड़िया के अनुसार सुबह 10 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। इस समयावधि में पूजा करना अत्यधिक शुभ माना जाता है।

धार्मिक महत्त्व और लाभ

अनंत चतुर्दशी का धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्त्व है। यह दिन भगवान विष्णु की आराधना का सबसे उत्तम समय माना जाता है। जो व्यक्ति इस दिन विधिपूर्वक पूजा और व्रत करता है, उसे जीवन के समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है। यह दिन मनोकामना पूर्ति का भी प्रतीक है, और भक्तों की सभी इच्छाएं भगवान विष्णु की कृपा से पूर्ण होती हैं।

अनंत चतुर्दशी पर अनंत सूत्र बांधने से व्यक्ति को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, जिससे वह जीवन में आने वाली कठिनाइयों और समस्याओं से मुक्ति पाता है। इस व्रत का पालन करने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। साथ ही, इस दिन गणेशजी का विसर्जन होने से भक्तों को उनकी कृपा भी प्राप्त होती है।

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