ऋषभ चौरसियाः-
बांग्लादेश में शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद देश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमले बढ़ गए हैं। कट्टरपंथी तत्वों ने हिंदुओं के मंदिरों को निशाना बनाते हुए उन्हें तोड़ा और उनके घरों को लूटकर आग के हवाले कर दिया। इस बर्बर हिंसा के डर से हजारों हिंदू परिवार अपने घर-बार छोड़कर सीमावर्ती क्षेत्रों की ओर पलायन कर रहे हैं।
हिंसा के विरोध में शुक्रवार को ढाका के शाहबाग चौक पर हिंदू जागरण मंच द्वारा एक विशाल प्रदर्शन किया गया। बांग्ला अखबार ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, हजारों हिंदुओं ने इस प्रदर्शन में हिस्सा लिया और “हरे कृष्णा-हरे रामा” का जाप करते हुए कट्टरपंथियों के खिलाफ आवाज बुलंद की।
प्रदर्शनकारियों ने टूटी हुई मंदिरों की मरम्मत और पुनर्निर्माण की मांग उठाई। उन्होंने कहा, “हम इस देश में पैदा हुए हैं, यह हमारे पूर्वजों की जन्मभूमि है, और हम इसे छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे। चाहे हमें मार दिया जाए, फिर भी हम अपना देश नहीं छोड़ेंगे।” उन्होंने अल्पसंख्यक समुदाय के संरक्षण के लिए मंत्रालय और आयोग की स्थापना, सख्त कानूनों का प्रावधान, और अल्पसंख्यकों के लिए संसदीय सीटों का 10 प्रतिशत आवंटन जैसी मांगें रखीं।
इस बीच, शेख हसीना के भारत में रहना बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के नेताओं के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। बीएनपी के वरिष्ठ नेता अमीर खसरू महमूद चौधरी ने कहा कि यह हसीना और भारत सरकार का फैसला है, लेकिन बांग्लादेश की जनता इसे सकारात्मक दृष्टिकोण से नहीं देख रही है। चौधरी ने हसीना पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वे बांग्लादेश में भ्रष्टाचार और मानवाधिकार हनन जैसे कई अपराधों में वांछित हैं।