ऋषभ चौरसियाः-
26 जुलाई 2024 को किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के रेस्पिरेटरी विभाग के ऑडिटोरियम में ड्रग रेसिस्टेंट टीबी पर एक नेशनल अपडेट का आयोजन किया गया। यह आयोजन डॉ. सूर्यकान्त, विभागाध्यक्ष रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग और सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर ड्रग रेसिस्टेंट टीबी केयर तथा पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन सेंटर के फाउंडर इंचार्ज, की अध्यक्षता में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस कार्यशाला में डॉ. अंकित कुमार, असिस्टेंट प्रोफेसर और पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन सेंटर के को-फैकल्टी इंचार्ज, ने सचिव की भूमिका निभाई।
डॉ. सूर्यकान्त ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि भारत में लगभग 1 लाख 10 हजार ड्रग रेसिस्टेंट टीबी के रोगी हैं, जिनमें से उत्तर प्रदेश में 27,500 रोगी हैं। इन रोगियों की बढ़ती संख्या के पीछे तीन मुख्य कारण बताए गए हैं: दवाओं का बीच में छोड़ देना, अप्रशिक्षित चिकित्सकों से उपचार कराना और कुपोषण, डायबटीज़ या धूम्रपान का सेवन।

डॉ. अंकित कुमार ने कार्यशाला के दौरान ड्रग रेसिस्टेंट टीबी के रोगियों के उपचार के बाद की प्रक्रिया में पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि दवाओं से रोगी चिकित्सकीय रूप से ठीक हो सकता है, लेकिन एक लंबी अवधि तक काम न कर पाने की वजह से हताशा और निराशा महसूस कर सकता है। पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन की सेवाएं न केवल रोगियों को नई ऊर्जा प्रदान करती हैं बल्कि उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होने में भी मदद करती हैं।
केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में एक पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन केंद्र स्थापित किया गया है, जहां सांस की बीमारियों जैसे अस्थमा, सीओपीडी, इंटरस्टीशियल लंग डिजीज या टीबी के उपचार के बाद भी सांस फूलने जैसी समस्याओं से जूझ रहे रोगियों को शारीरिक व्यायाम, पोषण सलाह और काउंसलिंग के माध्यम से जीवन की गुणवत्ता और कार्य क्षमता बढ़ाने का प्रयास किया जाता है।
इस आयोजन में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर ड्रग रेसिस्टेंट टीबी केयर के पदाधिकारियों के साथ ही डॉ. ऋषि सक्सेना, डॉ. अतुल कुमार सिंहल, डॉ. संतोष कुमार, डॉ. राजीव गर्ग, डॉ. अजय कुमार वर्मा, डॉ. आनंद श्रीवास्तव, डॉ. दर्शन बजाज, डॉ. ज्योति बाजपेई और केजीएमयू की टीबी कोर कमेटी के सदस्य, विभाग के सभी रेजिडेंट्स और पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन सेंटर की टीम के सदस्य उपस्थित थे।