ऋषभ चौरसियाः-
लखनऊ में शुक्रवार की सुबह ओला और उबर सेवाओं का पहिया अचानक थम गया, जब इन कैब कंपनियों के हजारों ड्राइवरों ने कमीशन बढ़ाने की मांग को लेकर हड़ताल का ऐलान कर दिया। राष्ट्रवादी ड्राइवर यूनियन शक्ति के बैनर तले ये ड्राइवर वृंदावन में जुटे और अपनी गाड़ियां खड़ी कर कंपनी के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। ड्राइवरों का आरोप है कि कंपनियां एक राइड पर 20% कमीशन ले रही हैं, जबकि उन्हें केवल 8% का हिस्सा मिल रहा है, जिससे उनकी कमाई में भारी गिरावट आ रही है।
हड़ताल के कारण ठप हुई सेवाएं, यात्री परेशान
शुक्रवार की सुबह 9 बजे से लखनऊ में ओला और उबर की बुकिंग सेवाएं बंद हो गईं, जिससे शहर में यातायात व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई। आवश्यक कार्यों के लिए निकले लोग कैब बुकिंग के लिए घंटों इंतजार करते रहे, लेकिन किसी भी कीमत पर कैब उपलब्ध नहीं हो पाई। इस स्थिति ने यात्रियों को भारी परेशानियों में डाल दिया, जिससे उनके धैर्य का बांध टूटने लगा।
ड्राइवरों की नाराजगी: “कमाई नहीं, सिर्फ खर्चा बढ़ रहा है”
ड्राइवरों का कहना है कि कंपनियां प्रति किलोमीटर 15-16 रुपये कस्टमर से वसूल रही हैं, लेकिन उन्हें सिर्फ 7 रुपये प्रति किलोमीटर ही दिए जा रहे हैं। इस असमान बंटवारे के चलते ड्राइवरों की आर्थिक स्थिति बुरी तरह प्रभावित हो रही है। वे यह भी बताते हैं कि लंबी दूरी की राइड्स में ईंधन का खर्चा उनके हिस्से की कमाई से अधिक हो जाता है, जिससे उनकी बचत लगभग समाप्त हो जाती है।
हड़ताल के असर से बढ़ी मुश्किलें
हड़ताल के कारण लखनऊ में रोजमर्रा की गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुईं। ओला और उबर की अनुपलब्धता ने लोगों को परिवहन के अन्य साधनों की ओर मोड़ दिया, लेकिन उनकी संख्या कम होने के कारण यातायात का दबाव और बढ़ गया।ड्राइवरों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक वे अपने विरोध को जारी रखेंगे।