ऋषभ चौरसियाः-
काशी, जिसे “देवो के देव महादेव की नगरी” कहा जाता है, आध्यात्मिकता और पौराणिक कथाओं का गढ़ है। यह शहर अपनी अनगिनत परंपराओं और मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है, जो हर साल हजारों भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। ऐसी ही एक अद्भुत और रोमांचक मान्यता है कि भगवान शिव पूरे सावन के महीने में अपनी ससुराल, सारंगनाथ महादेव मंदिर में निवास करते हैं।
सारंगनाथ महादेव मंदिर, काशी से लगभग 10 किलोमीटर पूर्वोत्तर में स्थित है और यह सारनाथ के पवित्र स्थल पर स्थित है। यह मंदिर जमीन से 80 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और यहां भगवान शिव की अनोखी उपस्थिति से यह स्थल भक्तों के लिए और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।
गर्भगृह में दो शिवलिंग स्थापित हैं, जिनमें से एक आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित किया गया है। मान्यता है कि एक शिवलिंग भगवान भोलेनाथ का है और दूसरा उनके साले सारंगदेव महाराज का। मंदिर के महंत घनश्याम दुबे के अनुसार, सावन के महीने में भगवान शिव काशी छोड़कर सारंगनाथ मंदिर में निवास करते हैं।
सावन के दौरान इस मंदिर में दर्शन और पूजन का महत्व काशी विश्वनाथ मंदिर के बराबर माना जाता है। कहा जाता है कि जो भक्त सावन में काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन नहीं कर पाते, वे अगर एक दिन भी सारंगनाथ के दर्शन कर लें तो उन्हें उतना ही पुण्य प्राप्त होता है। इसके साथ ही, भगवान शिव भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं और उन्हें चर्मरोगों से मुक्त भी करते हैं। मान्यता है कि जो व्यक्ति चर्मरोग से पीड़ित होता है, वह यहां गोंद चढ़ाकर अपने रोग से छुटकारा पा सकता है।
सारंग ऋषि, जो दक्ष प्रजापति के पुत्र थे, ने भगवान शिव से सती के विवाह के बाद काशी आकर घोर तपस्या की थी। तपस्या के कारण उनके शरीर पर छाले पड़ गए थे। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिया और उनके साथ सावन के महीने में रहने का वरदान दिया।