- आनन्द कुमार:-
भारतीय संस्कृति में गुरु का महत्व सर्वोपरि है, और गुरु पूर्णिमा का पर्व इस महत्ता को सम्मानित करने का विशेष दिन है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह पर्व आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। 2024 में यह शुभ दिन 21 जुलाई को पड़ेगा। इस दिन गुरु का पूजन और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना हमारी परंपरा का हिस्सा है। साथ ही, इस दिन देवताओं के गुरु बृहस्पति की पूजा और उनकी चालीसा का पाठ करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
बृहस्पति देव का महत्व
बृहस्पति देव को देवताओं का गुरु माना जाता है। वे ज्ञान, बुद्धि और धर्म के प्रतीक हैं। हिंदू धर्म में, बृहस्पति देव की पूजा करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है और जीवन में सही मार्गदर्शन मिलता है। वे नवग्रहों में सबसे प्रमुख ग्रह हैं और ज्योतिष में इनकी स्थिति व्यक्ति के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है।
बृहस्पति देव की कथा
पुराणों में बृहस्पति देव की कई कथाएँ मिलती हैं। एक प्रमुख कथा के अनुसार, बृहस्पति देव ने देवताओं को असुरों से बचाने के लिए उन्हें ज्ञान और शक्ति का उपदेश दिया। उन्होंने देवताओं को बताया कि सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने से ही वे विजय प्राप्त कर सकते हैं। उनकी शिक्षाओं ने देवताओं को शक्ति और आत्मविश्वास दिया।
गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि
गुरु पूर्णिमा के दिन, बृहस्पति देव की पूजा करने से विशेष लाभ होता है। इस दिन प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। एक साफ स्थान पर बृहस्पति देव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। पूजा में पीले फूल, हल्दी, चंदन, पीले वस्त्र और पीले फल अर्पित करें। इसके बाद बृहस्पति चालीसा का पाठ करें। बृहस्पति देव के मंत्र “ॐ बृहस्पतये नमः” का जाप करें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।
बृहस्पति चालीसा
बृहस्पति चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में ज्ञान, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस चालीसा में बृहस्पति देव के गुणों और उनके आशीर्वाद का वर्णन है। नीचे बृहस्पति चालीसा प्रस्तुत है:
श्री गणेशाय नमः
श्री बृहस्पति देवाय नमः
जय जय श्री बृहस्पति भगवान।
तुम समान नहीं कोई वरदान॥
देवों के तुम गुरु कहलाए।
हर संकट में तुम ही ध्याए॥
गुरु वंदना जो नित गावे।
भवसागर से तर जाए॥
गुरु गोविंद दोऊ खड़े।
काके लागूं पाय॥
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि।
सुनहि बृहस्पति महाराज॥
श्री हरि विष्णु स्वरूप तुम्हारा।
सुख दुख हरने वाला॥
पीताम्बर धारी दयालु।
दीनन के हितकारी॥
नंदीगण प्रिय आपके।
भगत करत कल्याण॥
सुखकर्ता दुखहर्ता।
तुम हो सबके सुल्तान॥
जो भी जपता आपका नाम।
करते उसका कल्याण॥
गुरु का महत्त्व जो न जाने।
वह नर जन्म व्यर्थ कर हारे॥
हे बृहस्पति देव प्रभु।
मुझ पर कृपा बरसाओ॥
जो भी पढ़े बृहस्पति चालीसा।
उसका सब संकट हर दो॥
ॐ जय बृहस्पति देवाय नमः॥
बृहस्पति देव की कृपा से लाभ
बृहस्पति देव की कृपा से व्यक्ति के जीवन में अनेक लाभ होते हैं। उनकी पूजा और चालीसा पाठ करने से ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि होती है। व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि आती है। बृहस्पति देव की कृपा से शिक्षा, करियर और वैवाहिक जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
गुरु पूर्णिमा का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
गुरु पूर्णिमा का पर्व केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह पर्व हमें अपने गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है। गुरु, चाहे वे हमारे शैक्षणिक गुरु हों, आध्यात्मिक गुरु हों, या जीवन के किसी भी क्षेत्र में मार्गदर्शन देने वाले व्यक्ति हों, उनका सम्मान करना हमारी परंपरा है।
2024 में गुरु पूर्णिमा का विशेष आयोजन
2024 में, जब हम एक तकनीकी और सांस्कृतिक बदलाव के दौर से गुजर रहे हैं, गुरु पूर्णिमा का आयोजन भी आधुनिक तरीके से किया जा रहा है। वर्चुअल माध्यमों के जरिए गुरुओं को सम्मानित करने के लिए विभिन्न ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। छात्रों और शिष्यों ने अपने गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया है। इस दिन विशेष रूप से वर्चुअल सत्संग और प्रवचनों का आयोजन किया जा रहा है।
गुरु पूर्णिमा 2024 एक ऐसा अवसर है जो हमें अपने गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का मौका देता है। बृहस्पति देव की पूजा और उनकी चालीसा का पाठ करने से हम अपने जीवन में ज्ञान, सुख और समृद्धि की प्राप्ति कर सकते हैं। इस दिन हमें अपने गुरुओं का सम्मान करना चाहिए और उनकी शिक्षाओं का पालन करना चाहिए। गुरु का महत्व सदा हमारे जीवन में रहेगा और उनकी कृपा से हम अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।