आनन्द कुमारः-
धनतेरस, दिवाली का पहला और महत्वपूर्ण दिन, इस वर्ष खास संयोगों के साथ मनाया जा रहा है। ज्योतिष के अनुसार, इस साल त्रयोदशी तिथि 29 अक्टूबर की सुबह से शुरू होकर 30 अक्टूबर की दोपहर तक रहेगी। इस दौरान खरीदारी और पूजा का शुभ समय भी तय है। माना जाता है कि इस दिन भगवान धनवंतरी और धन के देवता कुबेर की पूजा करने से जीवन में सुख, सौभाग्य और समृद्धि का वास होता है। आइए जानते हैं इस धनतेरस पर खरीदारी और पूजा के शुभ मुहूर्त और विशेष संयोग के बारे में।
धनतेरस 2024: कब से कब तक रहेगी त्रयोदशी तिथि?
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस साल त्रयोदशी तिथि की शुरुआत मंगलवार, 29 अक्टूबर 2024 की सुबह 10:31 बजे से हो रही है, जो कि बुधवार, 30 अक्टूबर 2024 को दोपहर 1:15 बजे तक रहेगी। परंपरागत रूप से धनतेरस की पूजा शाम को ही की जाती है, इसलिए अधिकतर लोग 29 अक्टूबर को धनतेरस मनाएंगे। वहीं, शास्त्रोक्त मान्यता के अनुसार, उदया तिथि के आधार पर 30 अक्टूबर को भी इसे मनाया जा सकता है। इसका अर्थ है कि भक्तजन दोनों ही दिन धनतेरस का पर्व हर्षोल्लास से मना सकते हैं।
पूजा का शुभ मुहूर्त
धनतेरस पर भगवान धनवंतरी, जिन्हें स्वास्थ्य के देवता माना जाता है, और धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। इस बार पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त 29 अक्टूबर को शाम 6:31 बजे से रात 8:13 बजे तक रहेगा, जिसमें कुल 1 घंटा 41 मिनट का समय मिलेगा। इसके अलावा गोधूलि वेला, जो कि पूजा का विशेष समय माना जाता है, शाम 6:31 से लेकर रात्रि 8:31 तक रहेगी। इस दौरान पूजा करके भगवान से सुख, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की कामना की जाती है।
खरीदारी के लिए विशेष मुहूर्त
धनतेरस पर खरीदारी करना अत्यंत शुभ माना गया है, और इस बार इसके लिए ज्योतिषाचार्यों ने तीन खास मुहूर्त बताए हैं:
- पहला शुभ मुहूर्त: सुबह 11:42 से 12:27 तक रहेगा, जिसमें लोग सोने, चांदी और धातु के बर्तन खरीद सकते हैं।
- दूसरा शुभ मुहूर्त: दोपहर 2:30 से 4:03 तक रहेगा, इस दौरान वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स, और अन्य बड़े सामानों की खरीदारी के लिए यह उपयुक्त समय माना गया है।
- तीसरा शुभ मुहूर्त: शाम 7:13 से रात 8:48 तक का समय खरीदारी के लिए सबसे लाभकारी रहेगा।
अतिरिक्त मुहूर्त: 30 अक्टूबर को वृश्चिक लग्न में सुबह 7:51 से 10:01 तक और कुंभ लग्न में दोपहर 2:00 से 3:30 तक खरीदारी का समय अत्यधिक शुभ रहेगा। प्रदोष काल में शाम 6:30 से रात 8:30 तक भी खरीदारी की जा सकती है।
धनतेरस पर खरीदें ये विशेष वस्तुएं
धनतेरस पर खासतौर से सोना, चांदी, पीतल, तांबा, और कांसे से बने बर्तन खरीदने की परंपरा है। इन वस्तुओं को खरीदने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में समृद्धि आती है। इसके अलावा धनिया और झाड़ू भी खरीदने की परंपरा है, जो सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती है। माना जाता है कि समुद्र मंथन के समय भगवान धनवंतरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस दिन धातु के बर्तन खरीदना अत्यंत शुभ होता है।
त्रयोदशी पर विशेष संयोग: त्रिपुष्कर योग का प्रभाव
इस बार धनतेरस के दिन त्रयोदशी पर त्रिपुष्कर योग का विशेष संयोग बन रहा है, जो किसी भी कार्य को तीन गुना बढ़ाकर फलदायी बनाता है। इस योग में की गई खरीदारी और पूजा तीन गुना लाभ देने वाली मानी जाती है। ऐसे में लोग सोना, चांदी और अन्य धातुओं की खरीदारी कर सकते हैं, जिससे दीर्घकालिक सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
भद्रा का विशेष प्रभाव
30 अक्टूबर को धनतेरस पर दोपहर 1:15 बजे से रात्रि 2:33 बजे तक भद्रा का प्रभाव रहेगा, जो ज्योतिष में कुछ कार्यों के लिए अशुभ मानी जाती है। हालांकि, इस बार भद्रा पाताल लोक में स्थित होगी, इसलिए यह धनतेरस के लिए असरहीन रहेगी। अतः भक्तजन बिना किसी चिंता के पूजा और खरीदारी कर सकते हैं।
धनतेरस: पारंपरिक पूजा विधान
धनतेरस पर विधि-विधान से पूजा का महत्व है। सबसे पहले घर के द्वार पर दीप जलाकर भगवान धनवंतरी, माता लक्ष्मी और कुबेर देव की प्रतिमाओं को स्थापित करें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करके दीपक जलाएँ और भगवान धनवंतरी को हल्दी, चंदन और पुष्प अर्पित करें। कुबेर देव को पुष्प और दीप अर्पित कर के उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें। इसके बाद आरती करें और मिठाई का प्रसाद बाँटें।
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