ऋषभ चौरसियाः-
दिवाली का पर्व पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन वाराणसी में एक और खास दिवाली होती है, जिसे देव दिवाली कहते हैं। इसे दिवाली के पंद्रह दिन बाद मनाया जाता है, और इस दिन का महत्व बेहद खास होता है। मान्यता है कि इस दिन देवता धरती पर उतरते हैं और काशी के घाटों पर आकर दीपों की रोशनी का आनंद लेते हैं। इस बार देव दिवाली 15 नवंबर को मनाई जाएगी और इस मौके पर काशी में बहुत भव्य आयोजन किए जा रहे हैं।
घाटों पर दीपों की अनोखी सजावट
इस साल देव दिवाली पर वाराणसी के सभी घाटों को दीपों से सजाया जाएगा। न सिर्फ घाट, बल्कि काशी के कुंड, तालाब और सरोवर भी हजारों दीयों की रोशनी से जगमगाएंगे। खास बात यह है कि इस बार गाय के गोबर से बने लाखों दीप जलाए जाएंगे, जिससे पर्यावरण के प्रति जागरूकता का संदेश भी दिया जाएगा। इसके अलावा घाटों की इमारतों को भी इलेक्ट्रिक लाइट्स से सजाया जाएगा, जिससे पूरा शहर रोशनी से नहा उठेगा।
लेजर शो और आतिशबाजी का भव्य आयोजन
देव दिवाली के दिन काशी के घाटों पर लेजर शो का आयोजन भी होगा। इस साल का लेजर शो पहले से भी ज्यादा भव्य और आकर्षक होने वाला है। गंगा नदी की लहरों पर इस लेजर शो के जरिए भगवान शिव, काशी और गंगा की महिमा दिखाई जाएगी। इस शो में गंगा अवतरण की कथा भी पेश की जाएगी, जो लोगों को आध्यात्मिकता के करीब ले जाएगी। साथ ही, आतिशबाजी का भी भव्य प्रदर्शन होगा, जो इस पर्व को और भी खास बना देगा।
महाआरती और सांस्कृतिक कार्यक्रम
देव दिवाली पर वाराणसी के आठ प्रमुख घाटों पर महाआरती का आयोजन किया जाएगा। इस आरती के दौरान गंगा माता की पूजा की जाएगी और घाटों पर भक्तों की भीड़ उमड़ेगी। इसके अलावा, कई सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे, जो इस पर्व को धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण बनाएंगे।