ऋषभ चौरसियाः-
किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में मनाया गया फेफड़े के कैंसर का जागरूकता दिवस
फेफड़े के कैंसर का जागरूकता दिवस 1 अगस्त को पूरे विश्व में मनाया जाता है। इस वर्ष इस दिवस की थीम है “क्लोज द केयर गैप: एवरी वन डिजर्व एसेस टू कैंसर केयर”। इसी संदर्भ में किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जहां विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकान्त ने फेफड़े के कैंसर के कारणों और निवारण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी।

डॉ. सूर्यकान्त ने बताया कि फेफड़े का कैंसर दुनिया में सबसे खतरनाक कैंसर माना जाता है क्योंकि इसकी मृत्यु दर बहुत ज्यादा होती है। हर साल दुनिया भर में 20 लाख फेफड़े के कैंसर के मामले सामने आते हैं, जिनमें से 18 लाख मरीजों की मौत हो जाती है। भारत में भी लगभग 1 लाख लोग इस बीमारी से ग्रस्त होते हैं, जिनमें से 85 हजार लोग अपनी जान गंवा बैठते हैं।
डॉ. सूर्यकान्त ने बताया कि फेफड़े के कैंसर में अधिक मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण है कि इस बीमारी का प्रारंभिक अवस्था में पता नहीं चल पाता है। इसके लक्षण टीबी और अन्य बीमारियों से मिलते-जुलते हैं, जिसके कारण जानकारी के अभाव में कई मरीजों का गलत इलाज होता रहता है और फेफड़े के कैंसर की पहचान देर से होती है। इससे अधिकांश मामलों में यह तीसरी या चौथी स्टेज में पहुंच जाता है।
उन्होंने यह भी बताया कि फेफड़े का कैंसर तेजी से फैलता है क्योंकि फेफड़ों में रक्त शुद्धिकरण की प्रक्रिया के दौरान कैंसर कोशिकाएं भी शरीर के अन्य अंगों में फैल जाती हैं। इससे जब कैंसर पूरे शरीर में फैल जाता है, तो इसे चौथी स्टेज का कैंसर कहा जाता है, जिसका प्रभावी इलाज उपलब्ध नहीं है।
डॉ. सूर्यकान्त ने महिलाओं में फेफड़े के कैंसर के दो प्रमुख कारण बताए। पहला कारण है कि आज भी देश की गरीब महिलाएं लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाती हैं, जिससे उत्पन्न धुआं उनके फेफड़ों को गंभीर नुकसान पहुंचाता है। एक दिन में लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाने से 100 बीड़ी/सिगरेट के बराबर धुआं निकलता है। दूसरा कारण है परोक्ष धूम्रपान, जिसमें घर या कार्यस्थल पर धूम्रपान करने वाले पुरुषों के धुएं से महिलाएं प्रभावित होती हैं।

डॉ. सूर्यकान्त ने फेफड़े के कैंसर से बचाव के उपायों पर भी जोर दिया। धूम्रपान न करने, वायु प्रदूषण से बचने और लकड़ी के चूल्हे की जगह एलपीजी का उपयोग करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि महिलाओं को उज्ज्वला योजना का फायदा उठाकर एलपीजी कनेक्शन लेना चाहिए और उसे ही खाना बनाने में उपयोग करना चाहिए।