आनन्द कुमारः-
देशभर में हाल ही में लॉन्च हुए एक OTT शो ने बड़ी हलचल मचा दी है। यह शो 1999 में हुई कुख्यात IC814 फ्लाइट हाईजैकिंग की सच्ची घटना पर आधारित है। शो में जिस तरीके से घटनाओं को पेश किया गया है, वह जनता के बीच तीखी प्रतिक्रियाएं पैदा कर रहा है।
शो में दिखाए गए तथ्य और घटनाएं कई लोगों को विवादास्पद लग रही हैं। कुछ का कहना है कि शो ने संवेदनशील मुद्दों को भड़काऊ तरीके से दिखाया है, जिससे पीड़ित परिवारों की भावनाओं को ठेस पहुंची है। वहीं, दूसरी ओर, कुछ लोग शो की तारीफ भी कर रहे हैं कि इसने एक ज्वलंत मुद्दे को फिर से राष्ट्रीय चर्चा के केंद्र में ला दिया है।
अनुभव सिन्हा के निर्देश में बनी यह हालिया वेब सीरीज आतंकवादी संगठन हरकत उल मुजाहिदीन द्वारा इंडियन एयरलाइंस के विमान हाईजैक पर बनी हुई है इस सीरीज में आतंकवादियों के हिंदू नाम पर विवाद मचा हुआ है सोशल मीडिया पर वेब सीरीज को बॉयकाट की मांग की जा रही है वहीं भारतीय जनता पार्टी ने आरोप लगाया है की फिल्म निर्माता ने जानबूझकर आतंकवादियों के मुस्लिम पहचान हिंदू नाम से छिपाने को कोशिश की है इस सीरीज में आतंकवादियों के नाम भोला, शंकर,डॉक्टर, बर्गर और चीख रखे गए हैं वहीं अब इस पूरे मामले में भारत सरकार भी एक्शन मैनेजर आ गई भारत सरकार की सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने नेटफ्लिक्स के कंटेंट हेड को दिल्ली में सम्मन लिया। खबरों के अनुसार मंत्रालय ने नेटफ्लिक्स इंडिया के कंटेंट हेड को मंगलवार को सम्मन किया है और आइसी814 के विवादास्पद पहलुओं पर स्पष्टीकरण मांगा है कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छावड़ा ने बीते दिन आईसी 814 को लेकर छिड़ी विवादों पर दावा किया कि आतंकवादियों ने एक दूसरे के लिए नकली नामो का इस्तेमाल किया
घटनाओं की संक्षिप्त जानकारी
24 दिसंबर, 1999 को काठमांडू से दिल्ली जाने वाली इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC814 को हरकत-उल-मुजाहिद्दीन के 5 आतंकवादियों ने हाईजैक कर लिया।
हाईजैक के बाद यात्रियों की रिहाई के बदले भारत सरकार ने 3 खतरनाक आतंकवादियों को रिहा किया: मसूद अज़हर, अहमद ओमर सईद, और मुश्ताक़ अहमद ज़रगर।
ये तीनों आतंकवादी कांग्रेस की सरकार के दौरान पकड़े गए थे, जबकि उनकी रिहाई तत्कालीन BJP सरकार द्वारा की गई।
फ्लाइट 45 मिनट तक पंजाब में रुकी, जहां BJP के घटक दल की सरकार थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद विमान कंधार पहुँच गया।
भारतीय दस्तावेजों के अनुसार, हाईजैकिंग के दौरान आतंकवादी एक दूसरे को कोड नाम जैसे चीफ, डॉक्टर, बर्गर, भोला और शंकर से बुला रहे थे। बाद में उनके असली नाम इब्राहिम अथर, शाहिद अख़्तर सईद, सनी अहमद क़ाज़ी, ज़हूर मिस्त्री और शाकिर के रूप में सामने आए। ये सभी पाकिस्तान के रहने वाले थे।
इन रिहा किए गए आतंकवादियों ने बाद में संसद हमला (2001), पत्रकार डैनियल पर्ल की हत्या (2002), मुंबई हमला (2008), पठानकोट हमला (2016) और पुलवामा हमला (2019) जैसी घातक घटनाओं को अंजाम दिया।
राजनीतिक उथल-पुथल:
OTT शो के इस कड़वे सच ने राजनीतिक गलियारों में भी हड़कंप मचा दिया है। कांग्रेस के समर्थक BJP पर आतंकवादियों को रिहा करने का आरोप लगा रहे हैं, जबकि BJP समर्थक इस मुद्दे को कांग्रेस के खिलाफ इस्तेमाल कर रहे हैं।