ऋषभ चौरसियाः-
भारत की विविधतापूर्ण संस्कृति में हर त्योहार का एक अनूठा महत्व और परंपरा होती है। इनमें से एक विशेष पर्व है नाग पंचमी, जिसे श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन पूरे देश में नाग देवता की पूजा की जाती है, लेकिन उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में इस दिन एक अनोखी और दिलचस्प परंपरा भी निभाई जाती है—गुड़िया की पिटाई।
जी हां, नाग पंचमी के दिन उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में एक ऐसी परंपरा है, जिसमें बहनों द्वारा बनाई गई गुड़िया को शाम के समय उनके भाई डंडे से पीटते हैं। यह परंपरा सुनने में जितनी अजीब लगती है, इसके पीछे की कहानी उतनी ही दिलचस्प और प्राचीन है।
नाग पंचमी और गुड़िया की पिटाई की अनूठी परंपरा
नाग पंचमी के इस पर्व में, बहनें पुराने कपड़ों से गुड़िया बनाकर उसे चौराहे या तालाब के पास रखती हैं। इसके बाद, भाई एकत्रित होकर उस गुड़िया को डंडों से पीटते हैं। यह परंपरा सिर्फ एक खेल या मनोरंजन नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक गहरी और धार्मिक कथा छिपी हुई है, जो नाग देवता से जुड़ी है।
लोक कथा: नाग देवता और महादेव
इस परंपरा के पीछे की कहानी एक प्राचीन लोक कथा से जुड़ी है। कहा जाता है कि बहुत समय पहले, महादेव नाम का एक शिव भक्त था जो नाग देवता का भी अनन्य भक्त था। महादेव प्रतिदिन शिवालय में जाकर भगवान शिव और नाग देवता की पूजा करता था। उसकी श्रद्धा और भक्ति से प्रसन्न होकर नाग देवता उसे प्रतिदिन दर्शन देते थे। कई बार वे पूजा के दौरान महादेव के पैरों में लिपट जाते थे, लेकिन कभी उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाते थे।
बहन की अनजानी गलती
एक दिन जब महादेव शिवालय में नाग देवता की पूजा कर रहे थे, तब हमेशा की तरह एक नाग उनके पैरों में आकर लिपट गया। उसी समय उनकी बहन वहां पहुंच गई। भाई के पैरों में नाग को लिपटा देखकर बहन घबरा गई। उसे लगा कि नाग उसके भाई को काट सकता है, इसलिए उसने तुरंत एक डंडा उठाया और उस नाग को पीट-पीट कर मार डाला।
जब महादेव का ध्यान पूजा से टूटा, तो उन्होंने अपने सामने मरे हुए नाग को देखा और बहन से इसके बारे में पूछा। बहन ने सच्चाई बताई, लेकिन महादेव को यह जानकर बहुत गुस्सा आया। उन्होंने अपनी बहन को चेतावनी दी कि उसने अनजाने में ही सही, लेकिन नाग देवता का अनादर किया है, जिसका दंड उसे अवश्य मिलेगा।
गुड़िया की पिटाई की परंपरा का आरंभ
बहन द्वारा नाग को मारने की इस घटना के बाद, प्रतीकात्मक सजा के तौर पर कपड़े की गुड़िया को पीटने की परंपरा शुरू हुई। यह परंपरा इस बात का प्रतीक है कि अनजाने में भी किए गए गलत कार्यों के लिए प्रायश्चित आवश्यक है। तब से हर साल नाग पंचमी के दिन गुड़िया की पिटाई की जाती है, और यह परंपरा आज भी उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में जारी है।
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