ऋषभ चौरसियाः-
वाराणसी,जहां हर धार्मिक आयोजन एक पर्व की तरह मनाया जाता है,यहां की रामलीला एक विशेष स्थान रखती है। रामनगर की रामलीला जो अब UNESCO की इंटेंजिबल धरोहर में शामिल है, 227 वर्षों से वाराणसी की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा रही है। दुनिया की सबसे बड़ी रामलीला 10 किलोमीटर के दायरे में 40 खुले मंचों पर आयोजित की जाती है। हर साल हजारों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करती है।
तुलसीदास की रामचरितमानस पर आधारित: 30 दिनों का धार्मिक महोत्सव
यह ऐतिहासिक रामलीला जो 30 दिनों तक चलती है, जिसकी स्क्रिप्ट तुलसीदास की रामचरितमानस पर आधारित है। 1820 में काशिराज आदित्य नारायण सिंह के बेटे ईश्वरी नारायण सिंह और हिंदी साहित्यकार भारतेंदु हरिश्चंद्र द्वारा तैयार की गई इस स्क्रिप्ट की प्रस्तुति आज भी वही प्राचीनता बनाए रखती है। यह लीला आधुनिकता के दौर में भी अपने पारंपरिक स्वरूप को बरकरार रखे हुए है।
मंच पर संवाद: बिना माइक के जीवंत प्रस्तुति
आधुनिक तकनीक के बावजूद, रामनगर की रामलीला में माइक का उपयोग नहीं होता। कलाकार अपनी आवाज में संवाद प्रस्तुत करते हैं और दर्शक भी रामचरितमानस का पाठ सुनते हुए मंच पर चल रहे प्रसंगों को समझते हैं। यह अनूठी विशेषता दर्शकों को एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करती है।
शाही ठाट के साथ रामलीला का उद्घाटन
17 सितंबर को रावण के जन्म से शुरू होने वाली इस रामलीला का उद्घाटन काशी नरेश अनंत नारायण सिंह के शाही ठाट के साथ होगा। पूरी एक महीने तक चलने वाली इस रामलीला में काशी नरेश हाथी पर सवार होकर दर्शक बनते हैं।
लीला प्रेमियों की राय
लीला प्रेमी त्रिभुवन नाथ त्रिपाठी के अनुसार, यह रामलीला आध्यात्मिकता और श्रद्धा से भरपूर होती है। उन्होंने बताया कि 40 वर्षों से वे इस लीला का हिस्सा हैं और इसे देखने के लिए कई प्रमुख धार्मिक हस्तियाँ भी आती हैं।
समापन और विशेष कार्यक्रम
17 सितंबर को रावण के जन्म के साथ लीला का शुभारंभ होगा, जिसमें क्षीरसागर की झांकी, देव स्तुति, और आकाशवाणी शामिल होंगे। कार्यक्रम शाम 5 बजे से रात 9 बजे तक चलेगा, और भारत मिलाप का समय रात 9 बजे से 12 बजे तक रहेगा। बारिश की वजह से किसी दिन का आयोजन नहीं हो पाने की स्थिति में, 1 से 2 दिन रिजर्व रखे गए हैं।