ऋषभ चौरसियाः-
वाराणसी की प्रसिद्ध खोवा गली में हाल ही में मकान गिरने की घटना के बाद नगर निगम ने शहर के जर्जर भवनों के खिलाफ अभियान तेज कर दिया है। इस अभियान के तहत नगर निगम ने श्रीकाशी विश्वनाथ धाम से सटे अन्नपूर्णा मठ-मंदिर को भी निशाना बनाते हुए 24 घंटे के भीतर खाली करने का अल्टीमेटम जारी किया।
मंदिर के मुख्य द्वार पर 9 अगस्त को चस्पा किए गए इस नोटिस के बाद विवाद खड़ा हो गया। महंत शंकर पुरी ने इस पर कड़ा विरोध जताया, यह दावा करते हुए कि बिना किसी सर्वेक्षण के नोटिस जारी किया गया।
बिना जांच के नोटिस जारी, 24 घंटे में भवन खाली करने का निर्देश
नगर निगम की ओर से जारी नोटिस में दावा किया गया था कि मठ-मंदिर की इमारत जर्जर अवस्था में है और कभी भी गिर सकती है, जिससे जान-माल का नुकसान हो सकता है। इसके लिए 24 घंटे के भीतर भवन खाली करने का आदेश दिया गया था।
विवाद के बाद नगर निगम ने हटाया नोटिस
मंदिर प्रशासन की कड़ी प्रतिक्रिया और महंत शंकर पुरी के विरोध के बाद 6 घंटे की तनातनी के बाद आखिरकार नगर निगम ने अपनी नोटिस वापस ले ली। महंत शंकर पुरी ने बताया कि अन्नक्षेत्र की इमारत 1998 में और मंदिर की मरम्मत 1990 में कराई गई थी। उन्होंने नगर निगम की इस कार्यवाही को बिना जांच के गलत ठहराया।
अन्य जर्जर भवनों पर नहीं हुई कोई कार्रवाई
महंत शंकर पुरी ने यह भी उजागर किया कि मठ की अन्य संपत्तियों में कुछ भवन वास्तव में जर्जर हैं, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। उन्होंने इस मामले में उच्चाधिकारियों से बात करने की योजना बनाई है।