आनन्द कुमारः-
हाल ही में हुए बंगाल के कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के मामले को लेकर बंगाल सरकार ने एक बहुत ही अहम कदम उठाई है बंगाल सरकार ने अपराजिता बिल पास किया जिसे बंगाल के एंटी रेप कानून में जोड़ा गया है।
यह कानून भारतीय न्याय संहिता से बहुत ही अलग और बहुत ही कठोर है।
आईए जानते हैं नए कानून के बारे में
अब रेप और हत्या पर किसी भी प्रकार का मामला हो अधिकतम 36 दिनों में इसका निपटारा कर फांसी की सजा दी जाएगी।
21 दिन जांच करने का समय मिलेगा अगर 21 दिन में जांच पूरी नहीं हो पाई तो 15 दिन और मिलेगा यानी की पूरे 36 दिन में एक रेपिस्ट को फांसी की सजा सुनाई जाएगी।
इस विधेयक में यह भी यह भी है की पहचान उजागर करने पर 3 से 5 साल की जेल/जुर्माना की जाएगी यह पहचान उजागर करने का काम या तो सोशल मीडिया या फिर पत्रकार चाहे कोई भी करें।
इस पर त्वरित कार्रवाई करने के लिए अपराजिता टास्क फोर्स के द्वारा डीएसपी के नेतृत्व मे सौपा जाएगा।
आईए जानते हैं भारतीय न्यायाध संहिता में क्या है प्रावधान?
अगर कोई भी व्यक्ति 12 साल से कम उम्र की लड़की के साथ दुष्कर्म करता है तो उसे कम से कम 20 साल की जेल या फिर फांसी हो सकती है।
भारतीय न्यास संहिता में यह देखने को मिलता है कि कोई भी रेप केस में जांच करने के लिए 2 महीने का समय मिलता है अगर उसके बावजूद भी नहीं हो पता तो 21 दिन और दे दिए जाते हैं यानी की 81 से 82 दिन पूरे मिलते हैं फिर भी फांसी की सजा नहीं हो पाती है।
हर साल आपको खबरों के माध्यम से पता चलता होगा की फांसी की सजा सुनाई गई है लेकिन वास्तविकता यह है कि बीते 20 सालों में अभी तक सिर्फ पांच लोगों को ही फांसी की सजा हो पाई है जिसमे की 14 अगस्त 2004 को धनंजय चटर्जी को मिली,और 20 मार्च 2020 को निर्भया के चार दोषियों को फांसी दी गई थी।
अगर किसी रेपिस्ट का खुलासा कोई पत्रकार या सोशल मीडिया के द्वारा किया जाता है तो 2 साल की जेल और जुर्माने का ही सिर्फ प्रावधान भारतीय न्याय संहिता में है
1980 के साल में सुप्रीम कोर्ट ने कहा उम्र कैद नियम है लेकिन मौत की सजा अपवाद है
‘Rarest of the rare’ मामलों में ही फांसी की सजा होगी यह तभी होता था तब कोई ऑप्शन ही ना हो उम्र कैद करने की।
1983 में मच्छी सिंह बनाम पंजाब सरकार मामला में यह देखने को मिला कि हत्या करने का तरीका, हत्या का मकसद अपराध की सामाजिक या घृणित प्रकृति अपराध की भयावता और पीड़िता का व्यक्तित्व
फांसी की सजा तभी होगी तब उम्र कैद का विकल्प न हो।
2012 के निर्भया कांड के बाद कानून में अहम बदलाव हुए। जिसमें देखा गया की जेल में रेपिस्टों की संख्या बढ़ती जा रही थी।