आनन्द कुमारः-
लखनऊ में स्थित एक अद्भुत और ऐतिहासिक धरोहर, श्री कृष्ण भगवान की 113 साल पुरानी हवेली, भक्तों के लिए एक पवित्र स्थल है जहां उनके बाल रूप के दर्शन होते हैं। इस हवेली को नंदालय कहा जाता है, क्योंकि यहां भगवान श्री कृष्ण का निवास स्थान है, और यह मंदिर नहीं माना जाता है। नंदालय की खास बात यह है कि यहां ठाकुर जी को बाजार से लाए गए फूल-माला और भोग नहीं चढ़ाए जाते। इसके बजाय, भक्त अपने हाथों से फूलों की माला बनाते हैं और यहीं पर प्रसाद तैयार कर ठाकुर जी को अर्पित करते हैं।
हवेली का ऐतिहासिक महत्व
इस हवेली का इतिहास 113 साल पुराना है। हवेली के अध्यक्ष लक्ष्मीचंद रस्तोगी बताते हैं कि यह धरोहर दुलारी देवी नामक महिला के समर्पण और भक्ति से जुड़ी है। 1912 में, दुलारी देवी महाराजा गोवर्धन लाल के दरबार में ठाकुर जी के बाल रूप को देखकर मंत्रमुग्ध हो गई थीं और उन्होंने इसे लखनऊ में स्थापित करने की इच्छा व्यक्त की थी। उनके अनशन और प्रजा की विनती के बाद, महाराजा ने सहमति दी और स्वयं ठाकुर जी के बाल रूप को लखनऊ लेकर आए। यहां भारी भीड़ के बीच ठाकुर जी की स्थापना की गई और तब से यह स्थान भक्तों के लिए एक आस्था का केंद्र बन गया है।
नंदालय में पूजा-अर्चना की अनोखी परंपरा
नंदालय में ठाकुर जी के बाल रूप के दर्शन सुबह की विशेष पूजा-अर्चना के दौरान होते हैं। सुबह 7:30 बजे हवेली के दरवाजे खुलते हैं और सबसे पहले राग-भोग का आयोजन होता है। इसके बाद श्री कृष्ण भगवान का श्रृंगार किया जाता है और उन्हें झूला झुलाया जाता है। भक्तों के लिए यह समय बेहद खास होता है, क्योंकि इसी दौरान वे ठाकुर जी के दिव्य दर्शन कर पाते हैं।
हवेली में श्री कृष्ण भगवान के अलावा किसी अन्य देवी-देवता की मूर्ति नहीं है। यहाँ का माहौल भक्तों को शांति और आत्मिक सुख प्रदान करता है। अध्यक्ष लक्ष्मीचंद रस्तोगी ने बताया कि हवेली के भीतर ठाकुर जी की फोटो खींचने या वीडियो बनाने की अनुमति नहीं है, ताकि भगवान के बाल रूप को किसी तरह की असुविधा न हो।
लखनऊ के इस नंदालय में ठाकुर जी के बाल रूप का दिव्य अनुभव भक्तों के जीवन में एक विशेष स्थान रखता है। यह स्थल न केवल ऐतिहासिक धरोहर है, बल्कि आध्यात्मिक समृद्धि का केंद्र भी है, जहां भक्त भगवान श्री कृष्ण की अनूठी उपस्थिति को महसूस कर सकते हैं।