आनन्द कुमारः-
नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की’ की गूंज हर तरफ सुनाई दे रही है। इस बार जन्माष्टमी पर व्रत के दौरान कुछ खास बात जानना बहुत ही जरुरी है, उपवास तो हम रख लेते है लेकिन उसका सही तरीका हमे पता नही होता है, व्रत को लेकर कुछ सवाल ऐसे होते है जिसका जवाब हमे मालूम नही होता।
व्रत रखने से एक दिन पहले कहां सोए
व्रत के दिन शांति और सकारात्मक ऊर्जा वाले स्थान पर सोना चाहिए। मंदिर या पूजा स्थल के पास सोना शुभ माना जाता है। इससे धार्मिक वातावरण और भक्ति की भावना बनी रहती है।
सुबह उठकर क्या करें
जन्माष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। घर की सफाई करें, विशेष रूप से पूजा स्थल की। भगवान कृष्ण की मूर्ति को पवित्र स्नान कराएं और नए वस्त्र पहनाएं।
कौन से काम से बचें
व्रत के दिन किसी भी प्रकार की क्रूरता, झगड़ा या कठोर व्यवहार से बचें। जानवरों को भोजन और पानी देने का ध्यान रखें और मांसाहारी भोजन से पूरी तरह दूर रहें।
पालना की सजावट में योगदान
पालनपुर और पूजा स्थल को सुंदर तरीके से सजाना चाहिए। रंगोली बनाएं, सुंदर वस्त्रों से श्रृंगार करें और घर में खुशी का माहौल बनाएं। पालना सजाने में फूल, मोरपंख और चंदन का उपयोग करें।
पूजा पाठ का नियम
पूजा के दौरान भगवान कृष्ण की विधि-विधान से पूजा करें। रात 12 बजे कृष्ण जी की आरती करें और उन्हें मखाने, मिश्री, मक्खन, फल और तुलसीदल का भोग अर्पित करें। पूजा के बाद प्रसाद सभी में बांट दें।
कृष्ण जन्माष्टमी पर प्रसाद बनाने के नियम
प्रसाद में विशेष रूप से पेड़ा, नारियल गजक, पंजीरी, और अन्य दूध आधारित मिठाइयाँ बनाएं। पंजीरी विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह स्वास्थ्यवर्धक होती है और भगवान कृष्ण को प्रिय है।
कौन-कौन से फल का प्रयोग करना चाहिए
प्रसाद में केले, सेब, नारियल, पपीता और संतरे जैसे फल शामिल करें। ये फल पौष्टिक होते हैं और व्रति के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं।
जन्माष्टमी के प्रसाद में पंजीरी क्यों है महत्वपूर्ण
पंजीरी एक पारंपरिक प्रसाद है जो कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है। यह चिपचिपा और स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पूजा में अर्पित करने के लिए विशेष रूप से प्रिय है। धनिया पंजीरी का भोग कान्हा जी को अति प्रिय है, और इसलिए यह भोग जन्माष्टमी जैसे त्योहारों पर भगवान श्री कृष्ण के मंदिरों में अर्पित किया जाता है। यह प्रसाद केवल मंदिरों में ही नहीं, बल्कि घरों में भी प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
कुछ विशेषज्ञों का कहना है की वर्षा ऋतु में कई बीमारियों जैसे वात, कफ और पित्त का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में धनिया पंजीरी का सेवन लाभकारी हो सकता है, क्योंकि धनिया में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो गले की समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं और प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। इसलिए भक्त जन्माष्टमी के अगले दिन इस प्रसाद को ग्रहण करते हैं ताकि स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सके।
जन्माष्टमी पर व्रत का पारण कैसे करें और पारण करने का शुभ मुहूर्त
व्रत का पारण 27 अगस्त 2024 को सूर्योदय के बाद किया जा सकता है। इस दिन का शुभ मुहूर्त 27 अगस्त की सुबह 5 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। व्रति सूर्योदय के बाद स्नान करके, भगवान कृष्ण की पूजा के बाद, व्रत का पारण करें और सात्विक भोजन का सेवन करें।
इस साल, कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाकर, नियमों का पालन करके इस पर्व को भव्य तरीके से मनाएं और भगवान कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करें