आनन्द कुमारः-
ऐतिहासिक और गर्व का क्षण, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे उद्घाटन
21 से 31 जुलाई 2024 तक दिल्ली में आयोजित होने जा रही 46वीं विश्व धरोहर समिति बैठक एक ऐतिहासिक और गर्व का क्षण है। इस वर्ष, हमारे देश को इस प्रतिष्ठित बैठक की मेजबानी करने का अवसर प्राप्त हुआ है, जिसमें दुनिया भर से प्रतिनिधि शामिल होंगे। इस महत्वपूर्ण अवसर का उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाएगा।
विश्व धरोहर समिति की महत्ता
विश्व धरोहर समिति, जिसे यूनेस्को के तत्वावधान में संचालित किया जाता है, का मुख्य उद्देश्य विश्व धरोहर स्थलों के संरक्षण और संवर्धन के लिए नीतियाँ और योजनाएँ बनाना है। इन धरोहरों का महत्व सिर्फ उनके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मूल्य में नहीं, बल्कि उनमें निहित मानवता के साझा धरोहर के रूप में है। इन धरोहर स्थलों को संरक्षित और संवर्धित करना एक वैश्विक जिम्मेदारी है, और इसी हेतु विश्व धरोहर समिति की बैठकें महत्वपूर्ण होती हैं।
भारत की भूमिका और उम्मीदें
भारत, जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और विविधता के लिए विश्व प्रसिद्ध है, इस बैठक की मेजबानी करके एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इस बैठक को देश के लिए एक स्वर्णिम अवसर बताया है, जिसमें भारत न केवल अपने धरोहर स्थलों को विश्व मंच पर प्रस्तुत करेगा, बल्कि वैश्विक धरोहर संरक्षण में अपने योगदान को भी सुदृढ़ करेगा।
बैठक के मुख्य बिंदु
इस बैठक में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जाएगी, जिनमें धरोहर स्थलों के संरक्षण के लिए नवीनतम तकनीकों का उपयोग, धरोहर स्थलों के प्रबंधन में समुदायों की भागीदारी, और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए स्थायी उपाय शामिल हैं। इसके अलावा, नई धरोहर स्थलों की पहचान और उन्हें विश्व धरोहर सूची में शामिल करने के प्रस्ताव भी इस बैठक का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होंगे।
- धरोहर स्थलों का संरक्षण: आज के दौर में जब शहरीकरण और औद्योगिकीकरण तेजी से बढ़ रहे हैं, धरोहर स्थलों का संरक्षण एक चुनौतीपूर्ण कार्य बन गया है। इस बैठक में ऐसे उपायों पर चर्चा की जाएगी जो धरोहर स्थलों के संरक्षण में मददगार साबित हो सकते हैं।
- सामुदायिक भागीदारी: धरोहर स्थलों के प्रबंधन में स्थानीय समुदायों की भागीदारी महत्वपूर्ण होती है। यह न केवल संरक्षण के प्रयासों को सुदृढ़ करता है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देता है। बैठक में ऐसे मॉडल्स पर चर्चा की जाएगी जहां सामुदायिक भागीदारी ने सफल परिणाम दिए हैं।
- जलवायु परिवर्तन के प्रभाव: जलवायु परिवर्तन आज के समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। धरोहर स्थलों पर इसके प्रभाव को कम करने के लिए स्थायी उपायों की आवश्यकता है। बैठक में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के उपायों पर चर्चा की जाएगी।
- नई धरोहर स्थलों की पहचान: बैठक में नई धरोहर स्थलों की पहचान और उन्हें विश्व धरोहर सूची में शामिल करने के प्रस्ताव भी पेश किए जाएंगे। यह उन स्थलों के महत्व को रेखांकित करेगा जो अभी तक वैश्विक स्तर पर पहचान नहीं पाए हैं।
भारत के धरोहर स्थलों की पहचान
भारत के धरोहर स्थलों की बात करें तो ताजमहल, कुतुब मीनार, और अजंता-एलोरा की गुफाओं जैसी संरचनाएं विश्व धरोहर सूची में शामिल हैं। ये स्थल न केवल भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को प्रस्तुत करते हैं, बल्कि दुनिया भर के पर्यटकों को भी आकर्षित करते हैं। इस बैठक के माध्यम से, भारत को अपनी अन्य धरोहर स्थलों को भी वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने का अवसर मिलेगा।
धरोहर स्थलों का संरक्षण: चुनौतियां और समाधान
धरोहर स्थलों का संरक्षण एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। इसमें वित्तीय संसाधनों की कमी, अवैध निर्माण, और प्रदूषण जैसी समस्याएं सामने आती हैं। इस बैठक में इन चुनौतियों से निपटने के लिए विभिन्न उपायों पर चर्चा की जाएगी, जिनमें:
- वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता: धरोहर स्थलों के संरक्षण के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता होती है। इसके लिए सरकारी और निजी क्षेत्रों से सहयोग की आवश्यकता है।
- अवैध निर्माण को रोकना: धरोहर स्थलों के आसपास अवैध निर्माण को रोकना एक बड़ी चुनौती है। इसके लिए सख्त कानून और उनके प्रभावी कार्यान्वयन की आवश्यकता है।
- प्रदूषण नियंत्रण: प्रदूषण धरोहर स्थलों के लिए एक बड़ी समस्या है। इसके लिए प्रदूषण नियंत्रण उपायों को अपनाने और जन जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है।