ऋषभ चौरसियाः-
स्वामी श्री गोविंदानंद सरस्वती महाराज ने ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद पर गंभीर आरोप लगाते हुए उन्हें ‘फर्जी बाबा’ करार दिया है। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में गोविंदानंद महाराज ने कहा कि अविमुक्तेश्वरानंद साधु-संत कहलाने लायक भी नहीं हैं, शंकराचार्य तो बहुत दूर की बात है। उन्होंने दावा किया कि अविमुक्तेश्वरानंद के खिलाफ वाराणसी कोर्ट ने गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया था और उन्हें भगोड़ा घोषित किया गया था।
गोविंदानंद महाराज ने आरोप लगाया कि अविमुक्तेश्वरानंद हत्या और अपहरण जैसे संगीन अपराधों में शामिल हैं। उन्होंने कहा, “अविमुक्तेश्वरानंद लोगों की हत्या कर रहे हैं और उनका अपहरण कर रहे हैं। वह भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के खिलाफ सवाल उठाते हैं और शादियों में शामिल हो रहे हैं। वे केदारनाथ में 228 किलो सोना गायब होने की बातें कर रहे हैं, जबकि उन्हें सोने और पीतल के बीच का अंतर भी नहीं पता है।”
उन्होंने आगे कहा कि अविमुक्तेश्वरानंद को कांग्रेस का समर्थन मिला हुआ है। प्रियंका गांधी वाड्रा ने 13 सितंबर 2022 को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्हें श्रद्धेय शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद कहकर संबोधित किया गया था। गोविंदानंद महाराज ने कहा, “कांग्रेस ने एक पत्र जारी किया और अविमुक्तेश्वरानंद सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। जब सुप्रीम कोर्ट ने स्टे जारी कर दिया था, तो प्रियंका गांधी वाड्रा ने अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य कहकर एक पत्र कैसे लिखा?”
उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा, “कांग्रेस एक खेल खेल रही है और अविमुक्तेश्वरानंद उनका खिलौना हैं। प्रियंका गांधी वाड्रा को इस पत्र के लिए सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए, नहीं तो हम उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना दायर करेंगे।”
बता दें कि अक्टूबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड में ज्योतिष पीठ के नए शंकराचार्य के रूप में अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की ताजपोशी पर रोक लगा दी थी। यह आदेश तब पारित किया गया, जब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि पुरी में गोवर्धन मठ के शंकराचार्य ने एक हलफनामा दायर किया था कि ज्योतिष पीठ के नए शंकराचार्य के रूप में अविमुक्तेश्वरानंद की नियुक्ति का समर्थन नहीं किया गया था। शीर्ष अदालत एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने दिवंगत शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की ओर से ज्योतिष पीठ के उत्तराधिकारी शंकराचार्य के रूप में नियुक्त होने का झूठा दावा किया था।
इस महीने की शुरुआत में, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती मुंबई में अनंत अंबानी की शादी में शामिल हुए थे और बाद में शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे के घर मातोश्री गए थे। उद्धव ठाकरे से मुलाकात के बाद उन्होंने राजनीतिक टिप्पणियां कीं, जिन्हें भाजपा पर हमले के तौर पर देखा गया। उन्होंने कहा, “उद्धव ठाकरे को धोखा दिया गया है और कई लोग इससे परेशान हैं। जब तक वह दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे, तब तक लोगों का दर्द कम नहीं होगा। विश्वासघात सबसे बड़ा पाप है। जो विश्वासघात करता है, वो हिंदू नहीं हो सकता। जो विश्वासघात सहता है, वो हिंदू नहीं हो सकता।