ऋषभ चौरसियाः-
23 जुलाई मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2024-25 का बजट पेश करेंगी। इस बार के बजट से हर क्षेत्र, विशेषकर सामाजिक और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में, कई उम्मीदें जुड़ी हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि केंद्र सरकार इस बजट में सामाजिक कल्याण और ग्रामीण विकास पर विशेष ध्यान देगी। विशेषज्ञों का मानना है कि मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का यह पहला बजट, सामाजिक कल्याण की योजनाओं का बजट बढ़ाकर अपनी नीतियों का प्रभाव दिखा सकता है।
जनता की उम्मीदों पर खरी उतरेगी मोदी सरकार?
लोकसभा चुनाव में मनमुताबिक परिणाम न आने के बाद मोदी सरकार पर जनता की उम्मीदों को पूरा करने का दबाव है। इसी संदर्भ में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स के HOD प्रो0 अजीत कुमार शुक्ला ने अपने विचार साझा किए। प्रोफेसर शुक्ला का मानना है कि इस बजट में मध्यम वर्ग को राहत देने के लिए आयकर में छूट बढ़ाई जानी चाहिए। वर्तमान स्टैंडर्ड डिडक्शन को ₹50,000 से बढ़ाकर ₹1,00,000 करने और धारा 80C के तहत सीमा को भी बढ़ाना चाहिए।
सीनियर सिटीजन और हेल्थ इंश्योरेंस
सीनियर सिटीजन के लिए हेल्थ इंश्योरेंस की सीमा को बढ़ाने की सिफारिश करते हुए शुक्ला कहते हैं कि वर्तमान पब्लिक प्रॉविडेंट फंड की सीमा ₹1,50,000 से बढ़ाकर ₹3,00,000 की जानी चाहिए। इसके साथ ही महंगी और विलासता वाली वस्तुओं पर टैक्स बढ़ाने का सुझाव भी दिया गया है ताकि विदेश भ्रमण की बजाय लोग देश में ही पर्यटन को बढ़ावा दें।
जीएसटी दरों में सुधार की मांग
डॉ. धनंजय विश्वकर्मा का कहना है कि बहुत सी वस्तुओं पर जीएसटी दरें बढ़ाई गई हैं, जिससे आम जनता पर बोझ बढ़ा है। उन्होंने कहा इन दरों को कम किया जाए, ताकि लोग अधिक खरीददारी कर सकें और सरकार को जीएसटी से अधिक राजस्व प्राप्त हो।
आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर की मजबूती
प्रो. आयुष कुमार ने आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर की मजबूती पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि भारत को अपनी आईटी क्षमताओं को बढ़ाना चाहिए ताकि वह किसी दूसरे देश के सर्वर पर निर्भर न रहे।
शिक्षा और स्वास्थ्य सुधार की जरूरत
प्रो. कृपा शंकर जैसवाल ने शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में सुधार की उम्मीद जताई है। उन्होंने कहा कि शिक्षा पर जीडीपी का 6% खर्च करने का टारगेट कभी पूरा नहीं हुआ है और नई शिक्षा नीति के कारण बच्चों पर दबाव बढ़ गया है। जबकि कृषि क्षेत्र पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है,ताकि किसानों को उनकी लागत से अधिक लाभ मिल सके।
कृषि और ग्रामीण विकास
प्रो.सुधीर कुमार शुक्ला का कहना है कि कृषि पर अधिक शक्ति और संसाधन दिए जाने चाहिए ताकि किसानों को अधिक लाभ हो। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में कई इंजीनियर नौकरी छोड़कर कृषि की ओर अग्रसर हुए हैं, जिससे कृषि क्षेत्र की महत्ता बढ़ी है।इस बजट से ग्रामीण विकास, मध्यम वर्ग, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में कई सुधारों की उम्मीदें हैं। अब देखना होगा कि मोदी सरकार जनता की इन उम्मीदों पर कितनी खरी उतरती है।