ऋषभ चौरसियाः-
जब कुत्तों जैसी वफादार प्राणी हमारे लिए अपने जीवन का बलिदान देने के लिए तैयार रहते हैं, तो क्या हम इंसान उनके प्रति उतनी ही वफादारी और संवेदनशीलता दिखा रहे हैं? इंसानियत के इस पहलू पर विचार करना आवश्यक है, क्योंकि जानवर भी इस धरती के महत्वपूर्ण हिस्से हैं और उनका भी हमारे जीवन में योगदान है।
लखनऊ के आशियाना क्षेत्र की रिक्शा कॉलोनी (सेक्टर M1) में 12 अगस्त 2024 की शाम एक दिल दहला देने वाली घटना घटी, जिसने इंसानियत पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। इस घटना में तीन किशोर—प्रिंस गौतम, अमन, और कृष्णा चौहान—ने मिलकर एक निर्दोष कुत्ते को बेरहमी से मार डाला। इन किशोरों की उम्र 15 से 17 साल के बीच थी, और यह सारी घटना कॉलोनी में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई।
जब यह घटना सामने आई, तो वर्दान हाइलिंग ह्यूमनिमलिटी की संपदा तलवार और रेशम तलवार ने तुरंत मासूम फाउंडेशन की नेहा बनर्जी और अन्य एनिमल एक्टिविस्ट्स जैसे हर्षिता तलवार, पूनम शर्मा, अदिति सिंह, नवनीत गुप्ता, योगिता, और अनु बोस को सूचित किया। सभी लोग मिलकर घटनास्थल पर पहुंचे और पुलिस को इस अमानवीय कृत्य की सूचना दी।
पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए अमन नाम के एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया और उसे थाने ले गई। इसी दौरान, पड़ोसियों ने प्रिंस गौतम को अपने घर में छिपा रखा था। हालांकि, पुलिस ने बाद में उसे और तीसरे आरोपी, कृष्णा चौहान, को भी पकड़ लिया और सभी को थाने ले जाया गया।
थाने में एनिमल एक्टिविस्ट्स ने आरोपियों के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज करवाई, लेकिन कानूनी प्रक्रिया के तहत, चूंकि सभी किशोर 18 साल से कम उम्र के थे, उन्हें रिहा कर दिया गया।
यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम इंसानियत के उस मूलभूत सिद्धांत को समझ पा रहे हैं, जिसमें जानवरों के प्रति करुणा और सहानुभूति का स्थान होना चाहिए? कुत्ता, जिसे इंसान का सबसे वफादार साथी माना जाता है, उसके साथ ऐसा व्यवहार करना किसी भी रूप में उचित नहीं कहा जा सकता।
हालांकि पुलिस ने कानून के दायरे में रहते हुए अपनी जिम्मेदारी निभाई, लेकिन इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि समाज में जानवरों के प्रति हिंसा को लेकर अधिक जागरूकता और शिक्षा की आवश्यकता है। हमें अपने बच्चों को जानवरों के प्रति संवेदनशीलता और सम्मान सिखाना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
इंसानियत केवल मानव जीवन तक सीमित नहीं है, बल्कि हमें अपने आसपास के हर जीव के प्रति संवेदनशीलता दिखानी चाहिए। जानवर भी इस धरती के हिस्से हैं और उनका संरक्षण और सम्मान करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। ऐसी घटनाएं हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि इंसानियत का असली मतलब क्या है और हम किस हद तक इसे समझ और जी रहे हैं।