ऋषभ चौरसियाः-
बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार और मंदिरों की तोड़फोड़ के खिलाफ भारतीय संतों और धार्मिक नेताओं ने कड़ा विरोध जताया है। मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्यागिरि और लखनऊ इस्कॉन मंदिर के अध्यक्ष अपरिमेय श्याम दास ने इस मुद्दे पर खुलकर अपनी आवाज बुलंद की। उन्होंने बांग्लादेश में हो रहे नरसंहार की निंदा करते हुए असुरक्षित हिन्दुओं को भारत में शरण देने की मांग की।
महंत देव्यागिरि ने मुख्यमंत्री की सराहना करते हुए उनके द्वारा बांग्लादेश में हो रहे अत्याचार के खिलाफ उठाई गई आवाज की प्रशंसा की। उन्होंने इस बात पर भी हैरानी जताई कि बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद वहां के हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार पर भारतीय हिन्दू समाज चुप्पी साधे हुए है।
देव्यागिरि ने इस बात पर भी ध्यान दिलाया कि फिलिस्तीन के समर्थन में खुलकर बोलने वाले हमारे मुस्लिम भाई, बांग्लादेश के हिन्दुओं के पक्ष में खामोश क्यों हैं? उन्होंने कहा कि हिन्दुओं और मुस्लिमों के पूर्वज समान हैं, फिर भी मुस्लिम समाज को हिन्दू भाइयों पर हो रहे अत्याचार का दर्द क्यों नहीं हो रहा?
इस्कॉन मन्दिर के अध्यक्ष अपरिमेय श्याम दास ने बांग्लादेश में मंदिरों को जलाए जाने की घटना की तीव्र निंदा की। उन्होंने कहा कि श्रील प्रभुपाद ने धर्म से ऊपर उठकर मानवता का संदेश दिया, लेकिन जिस मन्दिर द्वारा लाखों लोगों को भोजन दिया जा रहा था, उसे ही आग के हवाले कर दिया गया। यह अमानवीय कृत्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा के योग्य है।
पत्रकार वार्ता में उदासीन आश्रम के महंत धर्मेन्द्र दास, चैतन्य मिशन के महंत स्वामी कौशिक चैतन्य, और वरिष्ठ खिलाड़ी असित सिंह ने भी बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ कड़ी निंदा की। उन्होंने प्रधानमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की और देश में भी ऐसे अराजक तत्वों से सावधान रहने की चेतावनी दी।
“हिन्दुओं पर अत्याचार और चुप्पी का दौर, संतों का विरोध और समर्थन की मांग” – इस संदेश के साथ, भारतीय धार्मिक नेता बांग्लादेश के हिन्दुओं के लिए समर्थन की आवाज बुलंद कर रहे हैं।