ऋषभ चौरसियाः-
वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर हर रोज़ हजारों की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक गंगा आरती का अद्भुत नज़ारा देखने आते हैं। परंतु, इन्हीं घाटों के किनारे बने जर्जर भवनों की स्थिति देखकर किसी भी वक्त बड़ा हादसा हो सकता है। आज सुबह ही काशी विश्वनाथ मंदिर के पास दो मकान गिरने से एक व्यक्ति की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।
काशी में हर जगह सुरक्षा के तमाम दावों के बावजूद, दशाश्वमेध घाट पर चल रही गंगा आरती के दौरान जर्जर भवनों की ओर पर्यटकों को बैठाकर दिखाया जा रहा है। इन भवनों की हालत इतनी खराब है कि कभी भी किसी अनहोनी की आशंका बनी रहती है। पर्यटकों से मात्र 200 से 300 रुपए लेकर उन्हें इन जर्जर भवनों में बिठाकर गंगा आरती का आनंद दिखाना भवन मालिकों के लालच का जीता-जागता उदाहरण है।
इन मकानों की दीवारें और छतें इतनी कमजोर हो चुकी हैं कि किसी भी वक्त गिर सकती हैं, जिससे बड़ी संख्या में जान-माल का नुकसान हो सकता है। भवन मालिकों की यह लापरवाही और पैसों की लालच किसी भी समय एक बड़े हादसे का कारण बन सकती है।
वाराणसी प्रशासन को इस मामले में तुरंत संज्ञान लेना चाहिए और जर्जर भवनों में गंगा आरती देखने की अनुमति पर रोक लगानी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसे किसी भी हादसे से बचा जा सके। श्रद्धालुओं और पर्यटकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए, जर्जर भवनों को जल्द से जल्द मरम्मत या ध्वस्त करने की दिशा में कदम उठाए जाने चाहिए।
दशाश्वमेध घाट पर इस तरह की लापरवाही कब तक जारी रहेगी और कब तक लोग इन भवन मालिकों के जाल में फंसते रहेंगे, यह सवाल आज हर किसी के मन में है। प्रशासन और स्थानीय नागरिकों को मिलकर इस समस्या का स्थायी समाधान निकालना होगा ताकि वाराणसी की यह आध्यात्मिक यात्रा सुरक्षित और सुखद हो सके।