आनन्द कुमारः-
दिल्ली में हाल ही में हुई त्रासदी के बाद, जिसमें ओल्ड राजेंद्र नगर के एक सेल्फ स्टडी सेंटर में पानी भर जाने के कारण तीन सिविल सेवा उम्मीदवारों की मौत हो गई, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने मुखर्जी नगर क्षेत्र में एक व्यापक और निर्णायक कार्रवाई की है। इस घटना के तीसरे दिन, एमसीडी ने दिल्ली के प्रमुख आईएएस कोचिंग सेंटरों में से एक, दृष्टि आईएएस (मेसर्ज दृष्टि-द विजन) के नेहरू विहार स्थित बड़े सेंटर को सील कर दिया।
वर्धमान माल के बेसमेंट में चल रहे कोचिंग सेंटर
दृष्टि आईएएस कोचिंग सेंटर, जो वर्धमान माल के बेसमेंट में संचालित हो रहा था, को सील कर दिया गया। इस बेसमेंट में 7-8 बड़े हॉल थे, जहाँ कोचिंग क्लास लगती थीं। हर हॉल में 250-300 छात्र-छात्राएँ पढ़ते थे। MCD की इस अचानक हुई कार्रवाई ने कोचिंग सेंटर संचालकों और छात्रों को चौंका दिया, क्योंकि वे अपने सामान को भी नहीं निकाल पाए।
उच्च स्तरीय समिति का गठन
दिल्ली के उप राज्यपाल वीके सक्सेना ने राजेंद्र नगर की घटना के बाद तुरंत कार्रवाई करते हुए, एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया। इस समिति का उद्देश्य क्षेत्र में कोचिंग सेंटरों की पहचान करना और उनकी सुरक्षा व्यवस्थाओं की जांच करना था। समिति ने जल्द ही अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसके आधार पर MCD ने अपनी कार्रवाई शुरू की।
मुखर्जी नगर में 13 कोचिंग सेंटरों पर कार्रवाई
मुखर्जी नगर के नेहरू विहार में वर्धमान माल के बेसमेंट में चल रहे 13 कोचिंग सेंटरों को सील कर दिया गया। इनमें दृष्टि IAS कोचिंग सेंटर, IAS गुरुकल, चहल अकादमी, प्लूटस अकादमी, साई ट्रेडिंग, IAS सेतु, टॉपर्स अकादमी, दैनिक संवाद, सिविल्स डेली IAS, करियर पावर, 99 नोट्स, विद्या गुरु, गाइडेंस IAS और ईज़ी फॉर IAS शामिल हैं।
सुरक्षा मानकों का उल्लंघन
MCS के अधिकारियों ने बताया कि सील किए गए सभी कोचिंग सेंटर नियमों का उल्लंघन कर रहे थे, क्योंकि ये सभी बेसमेंट में क्लासरूम चला रहे थे। बेसमेंट में क्लासरूम चलाने का मुख्य खतरा यह है कि पानी भरने या अन्य आपातकालीन स्थितियों में बेसमेंट से बाहर निकलना कठिन हो सकता है। इसी कारण से ओल्ड राजेंद्र नगर की त्रासदी हुई थी, जिसमें तीन छात्रों की जान गई थी।
उप राज्यपाल का बयान
उप राज्यपाल वीके सक्सेना ने इस घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया और कहा कि देश की राजधानी में इस प्रकार की घटनाएं होना बड़ा ही दुर्भाग्यपूर्ण और अस्वीकार्य है। उन्होंने संभागीय आयुक्त को इस मामले की पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस घटना की जांच में किसी भी प्रकार की ढील नहीं बरती जाएगी और दोषियों को सख्त सजा दी जाएगी।
छात्रों और अभिभावकों की चिंता
इस घटना और उसके बाद हुई कार्रवाई ने छात्रों और उनके अभिभावकों में चिंता पैदा कर दी है। कई अभिभावकों ने कोचिंग सेंटरों की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल उठाए हैं और मांग की है कि कोचिंग सेंटरों में सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित किया जाए। छात्रों ने भी एमसीडी की इस कार्रवाई का स्वागत किया है, क्योंकि इससे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
भविष्य की कार्रवाई
एमसीडी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उनकी यह कार्रवाई केवल शुरुआत है। सभी कोचिंग सेंटरों की सुरक्षा जांच की जाएगी और जो भी सेंटर सुरक्षा मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं, उन्हें बंद कर दिया जाएगा। एमसीडी ने यह भी कहा है कि वे कोचिंग सेंटर संचालकों के साथ मिलकर सुरक्षा मानकों को और सख्त करेंगे, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
दिल्ली नगर निगम की इस कार्रवाई ने स्पष्ट संदेश दिया है कि छात्रों की सुरक्षा सर्वोपरि है। ओल्ड राजेंद्र नगर की त्रासदी ने एक बार फिर से यह दिखाया है कि सुरक्षा मानकों की अनदेखी किस तरह जानलेवा हो सकती है। एमसीडी की इस कार्रवाई से यह उम्मीद की जा सकती है कि भविष्य में कोचिंग सेंटरों में सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन किया जाएगा और छात्रों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी।
सरकार की प्रतिक्रिया
घटना के तुरंत बाद, दिल्ली सरकार ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच आयोग का गठन किया। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा, “यह घटना हमारे लिए एक चेतावनी है कि हमें कोचिंग सेंटरों की सुरक्षा पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि दोषियों को सजा मिले और भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।” उन्होंने यह भी घोषणा की कि पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।
अभिभावकों का आरोप
अभिभावकों ने सरकार पर कड़ी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कोचिंग सेंटरों की निगरानी और सुरक्षा व्यवस्थाओं में गंभीर लापरवाही बरती है। एक अभिभावक ने कहा, “हम अपने बच्चों को बेहतर भविष्य के लिए कोचिंग सेंटर भेजते हैं, लेकिन ऐसी घटनाओं के बाद हमें उनके सुरक्षा की चिंता होती है। सरकार की जिम्मेदारी है कि वह कोचिंग सेंटरों की नियमित जांच करे और सुनिश्चित करे कि वे सुरक्षा मानकों का पालन कर रहे हैं।”
प्रदर्शनकारी छात्रों के सवाल
प्रदर्शनकारी छात्रों ने भी अपनी नाराजगी जाहिर की और प्रमुख कोचिंग गुरुओं की चुप्पी पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जब वे अपने गुरुओं से नैतिकता और सिद्धांतों की शिक्षा लेते हैं, तो इस कठिन समय में उनके समर्थन की भी अपेक्षा करते हैं। छात्रों का कहना है, “कहाँ हैं विकास दिव्यकीर्ति सर? कहाँ हैं अवध ओझा सर? जिन माता-पिता की फीस से इन शिक्षकों का घर चलता है, क्या वे उन बच्चों के लिए इतना भी नहीं कर सकते?”
राज्य सरकार का केंद्र सरकार पर आरोप
दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार पर भी आरोप लगाए हैं कि उसने कोचिंग सेंटरों की निगरानी और सुरक्षा व्यवस्थाओं में पर्याप्त समर्थन नहीं दिया। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, “हमारी सरकार ने कई बार केंद्र सरकार से कोचिंग सेंटरों की सुरक्षा के लिए सख्त नियम लागू करने की मांग की थी, लेकिन हमें कोई सहयोग नहीं मिला। केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोचिंग सेंटरों की सुरक्षा में कोई कमी न हो।”
शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, “केंद्र सरकार ने हमारे सुरक्षा मानकों के प्रस्ताव को नजरअंदाज किया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमें इस तरह की घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है। केंद्र को अब जागना चाहिए और कोचिंग सेंटरों की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए।”
विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों ने भी इस घटना पर अपनी नाराजगी जताई है और सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। कांग्रेस के एक नेता ने कहा, “यह घटना सरकार की विफलता को दर्शाती है। उन्हें कोचिंग सेंटरों की सुरक्षा पर अधिक ध्यान देना चाहिए था। हम इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग करते हैं।”
सरकार की त्वरित प्रतिक्रिया और जांच आयोग की स्थापना इस दिशा में एक सकारात्मक कदम है, लेकिन अभिभावकों और छात्रों के आरोप यह स्पष्ट करते हैं कि कोचिंग सेंटरों की सुरक्षा में अभी भी कई खामियां हैं। राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप ने इस मुद्दे को और भी जटिल बना दिया है। अब यह समय है कि सभी पक्ष मिलकर काम करें और यह सुनिश्चित करें कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों और हमारे छात्रों की सुरक्षा प्राथमिकता हो।