आनन्द कुमारः-
केंद्र सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए सरकारी कर्मचारियों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति दे दी है। इस निर्णय के तहत 58 साल पुराने उस फैसले को बदल दिया गया है, जिसमें सरकारी कर्मचारियों के RSS से जुड़ने पर प्रतिबंध लगाया गया था।
पुराने फैसले का इतिहास
1966 में, सरकारी कर्मचारियों को RSS की गतिविधियों में भाग लेने से रोकने के लिए एक निर्देश जारी किया गया था। इसका उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों की निष्पक्षता और तटस्थता बनाए रखना था।
नया निर्णय और उसकी विशेषताएं
केंद्र सरकार ने अब इस पुराने फैसले को बदलते हुए सरकारी कर्मचारियों को RSS की गतिविधियों में शामिल होने की अनुमति दे दी है। यह निर्णय सरकारी कर्मचारियों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता और उनके सामाजिक जुड़ाव के अधिकारों को मान्यता देता है। अब वे बिना किसी प्रतिबंध के RSS के कार्यक्रमों में भाग ले सकते हैं और संघ की गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल हो सकते हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि फरवरी 1948 में गांधीजी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने RSS पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद अच्छे आचरण के आश्वासन पर प्रतिबंध को हटाया गया। फिर भी, RSS ने नागपुर में कभी तिरंगा नहीं फहराया।
प्रतिक्रियाएं और प्रभाव
इस निर्णय पर मिलीजुली प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कई सरकारी कर्मचारियों ने इस फैसले का स्वागत किया है और इसे एक सकारात्मक कदम माना है। उनके अनुसार, यह निर्णय सरकारी कर्मचारियों को एक स्वस्थ और सांस्कृतिक वातावरण में भाग लेने का अवसर प्रदान करेगा।
वहीं, कुछ विशेषज्ञों और राजनीतिक विश्लेषकों ने इस निर्णय की आलोचना भी की है। उनके अनुसार, इससे सरकारी सेवाओं में संघ के प्रभाव को बढ़ावा मिल सकता है और यह सरकारी कर्मचारियों की निष्पक्षता और तटस्थता को प्रभावित कर सकता है।
आरएसएस की प्रतिक्रिया
RSS के वरिष्ठ नेताओं ने इस निर्णय का स्वागत किया है और इसे एक ऐतिहासिक कदम बताया है। उनके अनुसार, इससे सरकारी कर्मचारियों को संघ के सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यों में शामिल होने का अवसर मिलेगा और वे देश के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे सकेंगे।