ऋषभ चौरसिया
दिल्ली के बुराड़ी में केदारनाथ धाम के नाम से एक मंदिर के निर्माण को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। तीर्थपुरोहित समाज और शंकराचार्यों ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने इस संदर्भ में एक बड़ा बयान देते हुए दावा किया है कि केदारनाथ धाम से 228 किलो सोना गायब हो गया है, जिसे उन्होंने सीधे तौर पर घोटाला बताया है।
क्या है पूरा मामला
श्रीकेदारनाथ धाम ट्रस्ट के तत्वावधान में दिल्ली के बुराड़ी में केदारनाथ मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। इस मंदिर के भूमिपूजन में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी शामिल हुए थे। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए सवाल उठाए हैं। हालांकि, श्रीकेदारनाथ धाम ट्रस्ट ने स्पष्ट किया है कि दिल्ली में केदारनाथ धाम नहीं, बल्कि केदारनाथ मंदिर बनाया जा रहा है, जिसका उत्तराखंड सरकार से कोई संबंध नहीं है।
मंदिर और धाम में अंतर
मंदिर वह स्थान होता है जहां देवी-देवता की प्राण प्रतिष्ठा होती है, जबकि धाम वह स्थान होता है जहां देवी-देवता का निवास होता है। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ भगवान शिव का धाम है।
दिल्ली में बन रहे इस मंदिर को समझिए
बुराड़ी में यह मंदिर श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट द्वारा बनाया जा रहा है। यह मंदिर तीन एकड़ क्षेत्र में बन रहा है और इसके निर्माण के लिए अब तक 15 करोड़ रुपये का चंदा प्राप्त हो चुका है। केदारनाथ धाम की तर्ज पर बन रहा यह मंदिर लगभग तीन साल में तैयार हो जाएगा।
शंकराचार्य की आपत्तियां और जांच की मांग
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने पत्रकारों से बातचीत में सवाल उठाया कि जब केदारनाथ धाम में ही घोटाला हो रहा है, तब आप दिल्ली में केदारनाथ कैसे बना सकते हैं? उन्होंने इस मुद्दे को उठाने की मांग की और कहा कि दिल्ली में मंदिर बनाकर घोटाले होते रहेंगे। उन्होंने हिंदुओं के धर्मस्थानों पर राजनीति के प्रवेश पर चिंता जताई और दिल्ली में केदारनाथ मंदिर बनाने का विरोध किया। उन्होंने इसे अनधिकार चेष्टा करार दिया और सवाल उठाया कि स्थान क्यों बदला जा रहा है।
ट्रस्ट की सफाई
ट्रस्ट ने अपनी सफाई में कहा कि इससे पहले भी विभिन्न राज्यों में धामों के प्रतीकात्मक मंदिर बनाए गए हैं, इसलिए दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के निर्माण को लेकर विवाद करना गलत है। उन्होंने आरोप लगाया कि इसे बेवजह राजनीतिक रंग देकर मामले को तूल दिया जा रहा है।शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कई गंभीर आरोप लगाते हुए केदारनाथ घोटाले की जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि हिंदुओं के धर्मस्थानों पर राजनीति की एंट्री हो रही है और उन्होंने दिल्ली में केदारनाथ मंदिर बनाए जाने का विरोध किया।