ऋषभ चौरसिया:-
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पक्का पुल इन दिनों काफी चर्चा में है। 110 साल पुराने इस पुल से अब केवल दो पहिया वाहन ही गुजर सकेंगे। चार पहिया गाड़ियों की एंट्री रोक दी गई है। लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर मनीष वर्मा ने बताया कि पुल की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
सोमवार से इस पुल पर ई-रिक्शा, ऑटो, और कारों की आवाजाही बंद कर दी गई है। केवल साइकिल और बाइक सवार लोगों को ही यहां से गुजरने की अनुमति है। इस बदलाव के चलते खदरा रोड पर बने नए पुल पर जाम की स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिससे पैदल चलने वाले लोगों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ा है।
पक्का पुल की वर्तमान स्थिति पर नजर डालें तो दिसंबर 2022 में पहले इस पर भारी वाहनों की एंट्री बंद की गई थी। आईआईटी रुड़की के इंजीनियरों की सलाह पर यह कदम उठाया गया था, लेकिन इसके बावजूद अक्सर भारी वाहन पुल से गुजरते रहे। केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान की जांच में पुल को कमजोर पाया गया, जिसके बाद अब केवल दो पहिया वाहनों के लिए इसे खुला रखा गया है। जबकि,इंजीनियरों की टीम ने यहां नया पुल बनाने की बात कही है। हालांकि,नया पुल बनाने के लिए शासन को पत्र लिखा गया है, लेकिन अभी तक इस पर सहमति नहीं मिली है।
इस पुल का इतिहास अवध के नवाब आसफुद्दौला के दौर का है.बता दे ने नवाब आसफुद्दौला अपने शासनकाल में इस जगह पर एक शाही पुल का निर्माण करवाया था। यह पुल पत्थरों का बना हुआ था और इसे पार करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को टैक्स जमा करना पड़ता था। 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ हुए विद्रोह के बाद अंग्रेजों ने इस शाही पुल को कमजोर करार देकर 1911 में इसे तोड़ दिया और 10 जनवरी 1914 को नए पुल का उद्घाटन तत्कालीन ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड हार्डिंग द्वारा किया गया। इसलिए इस पुल को हार्डिंग ब्रिज भी कहा जाता है।पक्का पुल की लंबाई 300 मीटर और चौड़ाई 7 मीटर है, और इसकी दोनों तरफ छह-छह अटारियां हैं। यह पुल आज भी लखनऊ की धरोहर और ऐतिहासिक महत्व का प्रतीक है।