वाराणसी में काशी शब्दोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. 3 दिनों तक चलने वाले इस शब्दोत्सव का आगाज बीते कल यानी 10 फरवरी को हुआ था. आयोजन में देश भर के साहित्य और कला से जुड़े हुए लोगों को आमंत्रित किया गया है. सिगरा स्थित रुद्राक्ष इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में हो रहे काशी शब्दोत्सव के जरिए काशी की सभ्यता और साहित्य पर वैचारिक संवाद किया जा रहा है. इस कार्यक्रम में गीतकार मनोज मुंतशिर शुक्ला (Manoj Muntashir Shukla) भी पहुंचे. जहां उन्होंने लखनऊ के नाम बदलने से लेकर राचरितमानस विवाद तक पर अपनी बात रखी.
मनोज मुंतशिर शुक्ला ने कार्यक्रम के दौरान लखनऊ के नाम बदले जाने की मांग का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि “इतिहास में यानी पहले के वक्त में लखनऊ का नाम कुछ और था. बाद में ये लखनऊ हो गया तो नाम बदलने में कोई हर्ज़ नहीं.” कार्यक्रम के मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि “आतताइयों ने पहले नाम बदले थे. तो उसे अब ठीक करना ही उचित होगा.” बताते चलें कि लखनऊ का नाम बदलकर लक्ष्मण नगरी करने की मांग उठ रही है
कार्यक्रम के बाद मीडिया से बात करते हुए मनोज मुंतशिर ने रामचरितमानस पर स्वामी प्रसाद मौर्य के दिए गए बयान पर भी टिप्पणी की उन्होंने कहा कि “यह सनातन हिंदू समाज को बांटने की साजिश है. जिसे रोकना हमारा कर्तव्य है. गोस्वामी तुलसीदास ने किसी भी समाज या वर्ग के विरुद्ध कुछ नहीं लिखा. यह केवल राजनीति का हिस्सा है.” रामचरितमानस पर सवाल उठाने वालों को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि “ऐसे लोग शिक्षा की दृष्टि से शून्य हैं.”
संवाद के मंच से विवाद को जन्म:
काशी शब्दोत्सव कार्यक्रम का आयोजन विश्व संवाद केंद्र द्वारा कराया जा रहा है. विश्व संवाद केंद्र राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का आधिकारिक मीडिया केंद्र है. कार्यक्रम के तीन दिनों की रूपरेखा में हिंदूत्व के अलग-अलग आयामों से जुड़े सत्र का आयोजन हो रहा है. इसी के तहत मनोज मुंतशिर शुक्ला को भी 10 फरवरी की शाम आमंत्रित किया गया था.
पहले दिन शाम 6 बजे से शाम 7 बजे तक सांस्कृतिक संध्या का आयोजना हुआ. इस सत्र में मनोज मुंतशिर मुख्य अतिथि थे. मंच से उन्होंने कविता पाठ किया. साथ ही अपने चिर-परिचित अंदाज में हिदुत्व का राग भी अलापा. मुंतशिर ने कहा कि “जो जीता वही सिकंदर पुरानी बात है. अब कहिए कि जो जीता वही बाजीराव. जो जीता वही छत्रपति शिवाजी” इसी दौरान उन्होंने यह भी कहा कि “नोट कर लो हमारे दद्दा का नाम चेतक वाले महाराणा प्रताप. जब अपने पर आए तो जिल्ले इलाही का खून ठंडा कर दिए.”