गौतम अडानी (Gautam Adani) यानी हिंदुस्तान के सबसे अमीर आदमी और अडानी ग्रुप (Adani Group) के मालिक. जब अडानी ग्रुप शेयर मार्केट के क्षेत्र में अपना सबसे बड़ा दांव (FPO) खेलने जा रही थी तभी एक रिपोर्ट सामने आती है. हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research). एक शोध जो एक ही झटके में अडानी ग्रुप की धज्जिया उड़ा देता है. शेयर मार्केट धड़ाम हो जाता है. शेयर टूटने लगते हैं. महज कुछ ही घंटों में अडानी को बीबीसी एक रिपोर्ट के मुताबिक बुधवार को रिसर्च सार्वजनिक किए जाने के बाद अडानी ग्रुप को अपने शेयरों की क़ीमत में क़रीब 11 अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा है. अब सवाल है कि आखिर हिंडनबर्ग रिसर्च है क्या? अडानी को लेकर इसने क्या खुलासे किए हैं? उस पर अडानी ग्रुप ने क्या जवाब दिया है? तो इन सारे सवालों के जवाब बारी-बारी से आसान भाषा में देते हैं.
हिंडनबर्ग रिसर्च है क्या?
हिंडनबर्ग रिसर्च. एक फोरेंसिक वित्तीय शोध फर्म है. जो इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव मार्केट के आंकड़ों का विश्लेषण करती है. इसकी स्थापना साल 2017 में हुई थी. नाथन एंडरसन नाम के विश्लेषक ने इसकी नींव डाली. नाथन एंडरसन अपने आप में एक कहानी हैं. उन्होंने इज़रायल में एंबुलेंस ड्राइवर का काम किया है. यूनिवर्सिटी ऑफ कनेक्टीकट से इंटरनेशनल बिजनेस की डिग्री हासिल करने वाले नाथन ने FactSet Research Systems Inc नाम की डेटा कंपनी में काम भी किया बाद हिंडनबर्ग रिसर्च की शुरुआत की.
हिंडनबर्ग रिसर्च वित्तीय धोखाधड़ी का विश्लेषण करता है. फिर उसकी रिपोर्ट तैयार कर सार्वजनिक कर देता है. 2017 में स्थापना के बाद करीब 37 बड़े वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों का हिंडनबर्ग रिसर्च से भंडाफोड़ हुआ है. ऐसा मीडिया रपटों का दावा है. हिंडनबर्ग रिसर्च हेज फंड का कारोबार भी करता है.
अडानी पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट:

हिंडनबर्ग रिसर्च की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक अडानी पर रिपोर्ट तैयार करने में कम से कम 2 साल का वक्त लगा है. इस रिपोर्ट में सबसे बड़ा ये लगाया गया है कि ग्रुप के शेयर चढ़ाने के लिए विदेशी रूट से निवेश अडानी ग्रुप ने किए हैं. इस काम के लिए विदेशों में शेल कंपनियां चलाने का आरोप गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी पर लगा है. रिसर्च का दावा है कि शेल कंपनियों ने चोरी-छिपे शेयर खरीदे. अडानी ग्रुप की लिस्टेड कंपनियों के शेयर भी खरीदे गए. शेयर चढ़ाने के लिए ऑपरेटरों का इस्तेमाल हुआ और फिर पैसा गलत ढंग से बाहर भेजा गया.
यहां ज़रा ठहर कर जान लेते हैं कि शेल कंपनी क्या होती है? शेल कंपनी सिर्फ कागज़ पर चलती है. इसका कोई भौतिक स्वरूप नहीं होता. रुपयों के लेनदेन के लिए इनका इस्तेमाल होता है. यानी कागज़ पर रुपयों की एंट्रीज़ दर्ज होंगी लेकिन वास्तव में कुछ नहीं होगा. इनके जरिए मनी लॉन्ड्रिंग को अंजाम दिया जाता है.
हिंडनबर्ग रिसर्च पर अडानी का जवाब:
हिंडनबर्ग रिसर्च के सामने आने के बाद देश के व्यापारिक गलियारे से लेकर सियासी गलियारे तक हलचल मची हुई है. गौतम अडानी को हर तरफ नुकसान ही हो रहा है. इस पूरे प्रकरण पर अडानी समूह ने बयान जारी किया है. जिसमें कहा गया है कि ये रिसर्च शेयर बिक्री को नुकसान पहुंचाने के लिए किया गया है. इसे अडानी ग्रुप के शेयर कमज़ोर करने की कोशिश बताया गया है. समूह का कहना है कि वो अमेरिकी कानून के तहत कार्रवाई का विकल्प ढूंढ रहे हैं. यानी अडानी ग्रुप ने सभी आरोपों को बेबुनियाद करार दिया है.
अडानी ग्रुप के जवाब पर हिंडनबर्ग रिसर्च ने कड़े तेवर दिखाए हैं. हिंडनबर्ग का कहना है कि वो अभी भी अपनी रिपोर्ट पर कायम है. उसने 88 सवाल पूछे थे. लेकिन एक भी सवाल का जवाब अडानी ग्रुप ने नहीं दिया. हिंडनबर्ग ने कहा है कि अडानी ग्रुप अमेरिका में केस करे. केस में दस्तावेज दिखाने को कहा जाएगा. हिंडनबर्ग का दावा है कि उनके पास अडानी की धोखाधड़ी का पुख्ता सबूत है.