उत्तर प्रदेश में विधानसभा का सत्र जारी है. विपक्षी दल समाजवादी पार्टी लगातार सरकार पर सवाल दाग रही है. तो सदन में सरकार की ओर से जवाब भी दिया जाएगा. आज विधानसभा में चित्रकूट सदर सीट से समाजवादी पार्टी के विधायक अनिल प्रधान ने अनुदेशकों को लेकर सवाल किया. सवाल के जवाब में यूपी सरकार के बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने छात्र-शिक्षकों का अनुपात बता दिया.
विधायक प्रधान ने विधानसभा में अनुपूरक सवाल पूछा. सवाल था कि उत्तर प्रदेश में 1 अप्रैल 2021 से 31 दिसंबर 2022 तक कितने शिक्षकों के पद पर चयन हुआ है? वर्तमान में कितने पद शिक्षकों के खाली हैं? TET पास अभ्यर्थियों के लिए नए पदों का सृजन करके शिक्षक भर्ती परीक्षा कराने पर सरकार विचार करेगी?
बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने सभी सवालों का विस्तार से जवाब दिया. उन्होंने बताया कि “1 अप्रैल, 2021 से 31 दिसंबर, 2022 तक 69,000 सहायक अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया के तहर 6,696 पदों पर अभ्यर्थियों के चयन और जनपद आवंटन का काम पूरा किया जा चुका है.” संदीप सिंह ने यह भी बताया कि “परिषदीय जूनियर बेसिक स्कूलों में 51,112 पद सहायक अध्यापक के रिक्त हैं.” तीसरे सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि “TET उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के लिए शिक्षक के नए पदों का सृजन कर भर्ती परीक्षा कराने के किसी भी प्रस्ताव पर सरकार विचार नहीं कर रही है.”
अपने इस जवाब में बेसिक शिक्षा मंत्री ने अनुदेशकों का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि “यूपी में आज छात्रों और शिक्षकों का अनुपात शिक्षक, शिक्षामित्र और अनुदेशकों की संख्या मिलाकर पूरा है. बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों की कहीं कोई कमी नहीं है.” मंत्री संदीप सिंह के इस जवाब के बाद उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्र और अनुदेशक सवाल भी उठा रहे हैं. सवाल ये कि अगर सरकार शिक्षकों की संख्या में शिक्षामित्रों और अनुदेशकों को एकसमान रूप से जोड़ रही है तो वेतन में कटौती क्यों कर रही है?
अनुदेशकों की वेतन वृद्धि की मांग:
अनुदेशक संदीप कुमार शर्मा ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि “माननीय संदीप सिंह जी यह तो अनुदेशकों और शिक्षामित्रों के साथ अन्याय है, यदि आप छात्र-मानक में इन्हें जोड़ रहे हैं तो इनको भी समान कार्य समान वेतन पाने का पूरा अधिकार है. आप भी भली-भांति जानते हैं की इनका और शिक्षकों का कार्य समान है फिर ऐसा क्यों?”
सुनील कुमार ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि “मा. योगी जी अनुदेशक और शिक्षा मित्रों को छात्रों की संख्या के अनुपात में लिया गया है लेकिन वेतन शिक्षक 80 हजार और अनुदेशक, शिक्षा मित्र 9-10 हजार इसमें अनुपात करें जिससे बच्चों की शिक्षा में और भी बढ़ेगी.”
अनुदेशकों और शिक्षामित्रों का साफ कहना है कि सरकार छात्र-शिक्षक अनुपात में सभी की संख्या को एकसमान रूप से जोड़ रही है. शिक्षकों अनुदेशकों और शिक्षामित्रों का काम भी बराबर है. इसके बावजूद वेतन में बड़ा अंतर क्यों देखने को मिलता है? अनुदेशक और शिक्षामित्र 9 से 10 हजार रुपए में काम कर रहे हैं. तो वहीं शिक्षकों का वेतन कई गुना ज्यादा है.
सुप्रीम कोर्ट से आदेश और केंद्र सरकार से मंजूरी के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार अनुदेशकों का वेतन नहीं बढ़ा रही है. वेतन वृद्धि की मांग लंबे समय से चल रही है. 2017 के चुनाव में ही भारतीय जनता पार्टी ने वादा किया था कि बीजेपी की सरकार बनने के बाद अनुदेशकों का वेतन 7 हजार से बढ़ाकर 17 हजार किया जाएगा. लेकिन आज तक यह वादा पूरा नहीं हुआ. जबकि इस बीच 2022 का चुनाव भी तमाम नए वादों और दावों के साथ बीत गया और एक बार फिर प्रदेश में बीजेपी की ही सरकार बन गई.