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Reading: मोदी सरकार का बड़ा यू-टर्न: UPSC की लेटरल एंट्री भर्ती रद्द, बदल गया सीधी नियुक्ति का फैसला!
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Khabar Tak Media - Daily News Hindi l Breaking News > एजुकेशन न्यूज > मोदी सरकार का बड़ा यू-टर्न: UPSC की लेटरल एंट्री भर्ती रद्द, बदल गया सीधी नियुक्ति का फैसला!
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मोदी सरकार का बड़ा यू-टर्न: UPSC की लेटरल एंट्री भर्ती रद्द, बदल गया सीधी नियुक्ति का फैसला!

लेटरल एंट्री पर रोक: आरक्षण की रक्षा या राजनीतिक बहस

Desk
Last updated: August 20, 2024 9:58 am
Desk Published August 20, 2024
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Highlights
  • केंद्र सरकार ने UPSC की 45 लेटरल एंट्री पदों की भर्ती को अचानक रद्द कर दिया है, यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर लिया गया।
  • कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लेटरल एंट्री के जरिए SC-ST और OBC वर्ग के अधिकारों की अनदेखी का आरोप लगाया, जिसके जवाब में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि कांग्रेस ने ही इस प्रक्रिया की शुरुआत की थी।
  • चिराग पासवान और अन्य नेताओं ने सरकारी नियुक्तियों में आरक्षण को बरकरार रखने की मांग की है, जबकि लेटरल एंट्री को लेकर राजनीतिक और सामाजिक बहस जारी है।

ऋषभ चौरसियाः-

केंद्र सरकार द्वारा UPSC की 45 लेटरल एंट्री पदों की भर्ती को अचानक रद्द कर दिया गया है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने UPSC के चेयरमैन को इस नोटिफिकेशन को वापस लेने का आदेश दिया। यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर लिया गया।

इससे पहले, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस भर्ती प्रक्रिया का कड़ा विरोध किया था। उन्होंने कहा कि लेटरल एंट्री के जरिए मोदी सरकार SC-ST और OBC वर्ग के अधिकारों को नजरअंदाज कर रही है और RSS से जुड़े लोगों की भर्ती कर रही है।

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राहुल गांधी का विरोध और सरकार का पलटवार


राहुल गांधी के आरोपों पर कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने ही लेटरल एंट्री की शुरुआत की थी, और इसके जरिए ही मनमोहन सिंह को 1976 में फाइनेंस सेक्रेटरी और मोंटेक सिंह अहलूवालिया को योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया था।

मेघवाल ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने UPSC को नियम बनाने का अधिकार देकर लेटरल एंट्री सिस्टम को व्यवस्थित किया है, जबकि पहले यह कोई फॉर्मल सिस्टम नहीं था।” उन्होंने राहुल गांधी पर OBC छात्रों को गुमराह करने का भी आरोप लगाया।

नेहरू पर भी लगाए आरोप


मेघवाल ने जवाहरलाल नेहरू और राजीव गांधी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने अपने समय में OBC आरक्षण का विरोध किया था। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि लेटरल एंट्री सभी के लिए खुली है और इसे किसी भी वर्ग के खिलाफ नहीं माना जाना चाहिए।

चिराग पासवान का बयान


इस बीच, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी लेटरल एंट्री भर्ती पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकारी नियुक्तियों में आरक्षण होना चाहिए और इसमें कोई समझौता नहीं होना चाहिए। पासवान ने कहा कि उनकी पार्टी इस मुद्दे पर सरकार के सामने अपनी चिंता जाहिर कर चुकी है और आगे भी मजबूती से आवाज उठाएगी।

लेटरल एंट्री: क्या है और क्यों है विवाद


लेटरल एंट्री का मतलब बिना किसी परीक्षा के सीधे भर्ती से है, जिसमें प्राइवेट सेक्टर के विशेषज्ञों को सरकारी पदों पर नियुक्त किया जाता है। इस प्रक्रिया की शुरुआत 2018 में हुई थी, और तब से इसे लेकर विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर बहस होती रही है।

केंद्र सरकार ने राजस्व, वित्त, कृषि जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखने वाले लोगों को जॉइंट सेक्रेटरी, डायरेक्टर, और डिप्टी सेक्रेटरी के पदों पर नियुक्त करने के लिए इस सिस्टम को अपनाया था। हालांकि, अब इसे लेकर नई बहस छिड़ गई है, जिसमें सरकार और विपक्ष दोनों के तर्क सामने आ रहे हैं।

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