महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ. विश्वविद्यालय इन दिनों सुर्खियों में है. वजह है इंडिया टुडे ग्रुप की रैंकिंग में विश्वविद्यालय को वाराणसी में नंबर-1 रैंक मिला है. तो वहीं पूरे देश में 37वां स्थान मिला है.
ख़बर तक मीडिया ने विश्वविद्यालय की रैंकिंग को लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की थी. रिपोर्ट में इंडिया टुडे मैग्जीन में विश्वविद्यालय की रैंकिंग को लेकर सवाल उठाए गए थे. आप चाहें तो इस लिंक पर क्लिक कर पूरी रिपोर्ट पढ़ सकते हैं.
रिपोर्ट का लिंक: https://khabartakmedia.in/varanasi-mahatma-gandhi-kashi-vidyapith-fake-ranking-list-of-india-today-magazine/
रैंकिंग की हक़ीक़त:
इंडिया टुडे और MDRA नाम के संस्था ने मिलकर पूरे देश के विश्वविद्यालय की रैंकिंग की. रैंकिंग अलग-अलग कैटेगरी में की गई. इंडिया टुडे पत्रिका ने 3 जुलाई के अंक में इस रैंकिंग को पब्लिश किया. लेकिन मैग्जीन में जो रैंकिंग पब्लिश की गई उसमें महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ का कहीं भी नाम नहीं है.
पत्रिका भी कहीं भी पूरे देश के विश्वविद्यालयों की जेनरल रैंकिंग भी नहीं छापी गई है. इसके बजाए विषय और क्षेत्र के आधार पर कॉलेजों की रैंकिंग प्रकाशित की गई है. यानी कि इंजिनियरिंग, लॉ, मेडिकल, पत्रकारिता… के क्षेत्र में बेहतरीन कॉलेजों की रैंकिंग पब्लिश की गई है.
हालांकि इंडिया टुडे वेबसाइट पर पूरे देश के विश्वविद्यालयों की सामान्य रैंकिंग अपलोड की गई है. जिसमें महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ को पूरे देश में 37वां स्थान मिला है.
ख़बर तक ने क्यों उठाए सवाल:
इंडिया टुडे द्वारा महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की रैंकिंग किए जाने पर सवाल उठाया गया था. हमने कुछ सबूतों के आधार पर ये सवाल उठाए थे.
वजह नंबर-1: विश्वविद्यालय की ओर से रैंकिंग को लेकर जो पीडीएफ शेयर किया गया उस पर 14 अगस्त, 2023 की तारीख लिखी हुई थी. यानी क़रीब 1 हफ्ते बाद की तारीख. जिससे पीडीएफ के फर्ज़ी होने का संदेह पैदा हुआ.
वजह नंबर-2: विश्वविद्यालय ने जिसे इंडिया टुडे की रैंकिंग का पीडीएफ बताकर शेयर किया उसके कवर पर कहीं आधिकारिक बार कोड या प्रिंट लाइन नहीं था. जो कि इंडिया टुडे मैग्जीन के कवर पेज पर होता है.
वजह नंबर-3: शेयर किए जा रहे पीडीएफ और इंडिया टुडे पत्रिका में प्रकाशित रैंकिंग एक-दूसरे से मेल नहीं खा रहा था.
वजह नंबर-4: इस मसले पर ख़बर तक मीडिया ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की कुलसचिव प्रो. सुनीता पांडेय से पीडीएफ फ़ाइल और इंडिया टुडे पत्रिका के मेल ना खाने पर सवाल पूछा तो उन्होंने इस बाबत स्पष्ट कहा कि “मुझे अभी ये जानकारी नहीं है. आपके बताने पर ये पता चल रहा है. जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगा.”
कुलसचिव को इस बात की जानकारी नहीं थी कि जो रैंकिंग प्रकाशित हुई वो मैग्जीन में प्रकाशित नहीं हुई है. इसके बजाए रैंकिंग सिर्फ इंडिया टुडे वेबसाइट पर अपलोड किया गया है.
इंडिया टुडे वेबसाइट पर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की रैंकिंग यहां देखें: https://bestcolleges.indiatoday.in/universities-rank/general-govt
वजह नंबर-5: महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के पीआरओ डॉ. नवरत्न सिंह ने जो पीडीएफ शेयर किया उसकी नंबरिंग पूरी तरह फर्ज़ी थी. पहले पेज को 80 नंबर बताया गया था. जिससे पीडीएफ के नकली होने का संदेह पैदा हुआ.
ख़बर तक मीडिया पर रिपोर्ट पब्लिश होने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से जांच कराया गया. जिसके बाद ये स्पष्ट किया गया कि रैंकिंग इंडिया टुडे के वेबसाइट पर अपलोड किया गया है. हमने भी इसकी जांच कि और पाया कि जो तथ्य विश्वविद्यालय की ओर से बताए गए हैं वो सही है. यानी कि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की रैंकिंग सही है. इंडिया टुडे ने विश्वविद्यालयों की रैंकिंग विद्यापीठ को पूरे देश में 37वां स्थान और वाराणसी में पहला रैंक दिया है.