“गंगा जी के उस पार अब टेंट सिटी बन रहा है. इसका मल-जल कहां जाएगा लोग पूछ रहे थे? वैसे शहर का मल-जल तो अभी भी गंगा जी में ही जा रहा है. रेत में नहर पिछले वर्ष बना और ग़ायब हो गया. अब फिर एक नया प्रयोग. बस देखते जाइए.” ट्विटर पर ये बात लिखते हुए संकट मोचन मंदिर, वाराणसी के महंत विश्वंभरनाथ मिश्र ने चार तस्वीरें ट्वीट की. ये फोटो गंगा नदी के दूसरे किनारे यानी घाटों के उल्टे किनारे पर बन रहे टेंट सिटी की हैं.
100 एकड़ में बसने वाली टेंट सिटी को बनाने में 7 से 8 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. दो कंपनियों को इसका ठेका दिया गया है. प्रवेज कम्युनिकेशन और लल्लूजी एंड संस. प्रवेज कम्युनिकेशन को 400 टेंट बनाने हैं. जबकि लल्लूजी एंड संस को 200 टेंट बनाने हैं. टेंट सिटी को दो हिस्सों में तैयार किया जा रहा है. जिसके तहत टेंट की कई श्रेणियां होंगी. जैसे- विला, दरबार, प्रीमियम, डीलक्स और सुपर डीलक्स टेंट.
बताते चलें कि टेंट सिटी को विकसित करने के लिए वीडीए के नेतृत्व में पर्यटन, बिजली, केंद्रीय जल आयोग, जल निगम, गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई समेत 13 विभागों को जिम्मेदारी दी गई है. टेंट सिटी से वाराणसी विकास प्राधिकरण यानि VDA को हर साल ढाई से तीन करोड़ रुपये की आमदनी होने का अनुमान है.
टेंट सिटी में खास क्या?
वाराणसी में श्री काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के बाद पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. जिसे जारी रखने के लिए टेंट सिटी बसाया जा रहा है. ताकि काशी आने वाले पर्यटकों को गंगा नदी के किनारे समुद्र वाली बीच का आनंद मिल सके. तुलसी घाट के सामने टेंट सिटी में सभी प्रकार की सुविधाएं होंगी. गंगा दर्शन, बाबा विश्वनाथ का दर्शन-पूजन, नौका विहार के अलावा अन्य सुविधाएं दी जाएंगी.
पांच सितारा होटल की सुविधाओं से लैस टेंट सिटी में पैकज तय हो चुका है. डीलक्स एसी टेंट 2 लोगों के शेयरिंग पर 5 हजार रुपये, अकेले व्यक्ति के लिए 8 हजार रुपये. सुपर डीलक्स में शेयरिंग रूम 7 हजार रुपये और अकेले के लिए 10 हजार रुपये. प्रीमियम टेंट शेयरिंग 9 हजार रुपये और अकेल के लिए 14 हजार रुपये. गंगा दर्शन विला शेयरिंग पर 15 हजार रुपये और अकेले के लिए 14 हजार रुपये किराया निर्धारित किया गया है.

सवालों के घेरे में टेंट सिटी:
गंगा नदी के दूसरे किनारे पर बसाए जा रहे टेंट सिटी को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. वाराणसी के एलीट क्लास से लेकर स्थानीय जनता तक टेंट सिटी को लेकर दो धड़ों में बंटी हुई है. एक पक्ष का मानना है कि टेंट सिटी जैसे प्रयोग वाराणसी की आत्मा से खिलवाड़ है. तो दूसरी तरफ इसे पर्यटन के विकास से जोड़कर देखा जा रहा है.
दशाश्वमेध घाट पर दशकों से नाव चलाते आ रहे रामनरेश साहनी कहते हैं कि “यह सब चीजें बड़े शहरों-महानगरों में ठीक लगती हैं. वाराणसी अपने ठेठ और अल्हड़ स्वभाव के लिए जाना जाता है. टेंट सिटी जैसे प्रयोग इस शहर में अय्याशी जैसे लगने लगेंगे. काशी भोले का दरबार है और असली आनंद घाट की सीढ़ियों पर है ना की गंगा नदी के उस पार टेंट सिटी में.”
वाराणसी स्थित संकट मोचन मंदिर के महंत विश्वंभरनाथ मिश्र लगातार इस मुद्दे पर ट्वीट कर रहे हैं और बयान दे रहे हैं. विश्वंभरनाथ मिश्र टेंट सिटी जैसे प्रयोगों पर लगातार सवाल उठा रहे हैं. जहां टेंट सिटी बसाया जा रहा है वहीं एक नहर का निर्माण किया जा रहा था. जिसे लेकर विश्वंभरनाथ मिश्र ने सवाल उठाया था और गंगा नदी के समानांतर नहर बनाने की योजना को गलत बताया था. करीब 12 करोड़ की लागत से बने उस नहर का अब कोई पता ठिकाना नहीं है. क्योंकि पहली ही बारिश और बाढ़ को नहर नहीं झेल पाया.
विश्वंभरनाथ मिश्र ने टेंट सिटी का वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा है कि “अध्यात्म और ज्ञान के इस केंद्र में गंगा के तट पर अब टेंट सिटी, क्या कहें?”
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि “500 से ज्यादा लेबर काशी के गंगा रेती पर टेंट सीटी बनाने में लगे हैं और पूरे रेती को अपना शौचालय बना दिए. शौच के बाद तो मां गंगा का जल ही है. रेती इस मय मल से पटा पड़ा है और गंगा का किनारा बदबू कर रहा. अब उसपार भी यही कहानी.” महंत विश्वंभरनाथ मिश्र ने अपनी इस ट्वीट में Clean Ganga संस्था को टैग किया है.
विकास या बेतुका प्रयोग:
वाराणसी में जिस जगह फिलहाल टेंट सिटी बसाया जा रहा है वहीं पहले एक नहर का निर्माण किया गया था. नहर गंगा नदी के समांतर बनाया गया था. ताकि शहर का गंदा पानी नहर में प्रवाहित हो सके और गंगा नदी को स्वच्छ रखा जा सके. नहर निर्माण का बजट 12 करोड़ था. तब इस कार्य का जमकर विरोध हुआ. तर्क ये था कि नहर बनाकर गंगा नदी की धारा से खिलवाड़ किया जा रहा है.
विरोध के बावजूद नहर का निर्माण हुआ. हालांकि नहर निर्माण के बाद जब पहली बारिश हुई और गंगा नदी का जलस्तर बढ़ा तो विरोध सही साबित हुआ. पहली ही बारिश और बाढ़ को नहर नहीं झेल पाया. करीब 12 करोड़ रुपए लगाकर बनाया गया नहर एक ही बारिश में ध्वस्त हो गया. आलम यह है कि जिस जगह पहले नहर बनाया गया था अब वही टेंट सिटी बसाया जा रहा है. यानि नहर की जमीन पूरी तरह समतल हो गई है.
टेंट सिटी बसाए जाने को लेकर भी एक बार फिर नहर निर्माण वाला वाला तर्क दिया जा रहा है कि यह प्रयोग विकास के नाम पर वाराणसी और गंगा नदी की आत्मा के साथ भद्दा मजाक है. जो बिल्कुल भी टिक नहीं पाएगा लेकिन शासन-प्रशासन की जिद के आगे यह विरोध घुटने टेक चुका है. टेंट सिटी बनाया जा रहा है. संभवत आने वाले 14 जनवरी से टेंट सिटी की बुकिंग भी शुरू हो जाएगी. वाराणसी विकास प्राधिकरण की मानें तो अगर सब कुछ ठीक रहा तो जून महीने तक टेंट सिटी को खोला रखा जाएगा.