बंगाली टोला इंटर कॉलेज. वाराणसी के पांडेय हवेली इलाके में स्थित एक कॉलेज है. जिसका इतिहास क़रीब 169 साल पुराना है. एक ऐसा कॉलेज जहां चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह और मन्मथनाथ गुप्त जैसे क्रांतिकारी आया करते थे. ये क्रांतिकारी बंगाली टोला इंटर कॉलेज में वर्कशॉप लगाकर क्रांतिकारी आंदोलन की ट्रेनिंग दिया करते थे.
जेल मॉडल स्कूल के नाम से भी जाना जाता था बंगाली टोला इंटर कॉलेज. इस कॉलेज के शिक्षकों से लेकर छात्र तक आजादी के आंदोलनों में शामिल रहे. 1854 में स्थापित इस कॉलेज का इतिहास प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 से शुरू होता है. इसके बाद सविनय अवज्ञा आंदोलन और उसके बाद तक यहां के शिक्षक और छात्र इस लड़ाई में शामिल होते रहे.

बंगाली टोला इंटर कॉलेज में जैसे ही प्रवेश करेंगे सामने की ही दीवार पर एक शहीद वेदी लगी हुई दिखती है. जिसपर 10 शिक्षकों और छात्रों के नाम दर्ज हैं. ये ऐसे शिक्षक और छात्र थे जिन्हें काकोरी कांड में शामिल होने के लिए अंग्रेज़ सरकार ने सज़ा दी थी.
किसे क्या सज़ा मिली?
बंगाली टोला इंटर कॉलेज के छात्र राजेंद्र नाथ लाहिड़ी को काकोरी षड्यंत्र में शामिल होने की वजह से मृत्युदंड की सज़ा मिली. शचींद्रनाथ सान्याल (छात्र) को आजीवन कारावास और दो बार काला पानी. सुशील कुमार लाहिड़ी शिक्षक थे, उन्हें मृत्युदंड मिला. सुरेश चंद्र भट्टाचार्य (छात्र) को 7 साल कारावास. जितेंद्र नाथ सान्याल (छात्र) सश्रम कारावास. प्रियनाथ भट्टाचार्य (छात्र) 2 वर्ष का कारावास. रविंद्र नाथ सान्याल (छात्र) को कारावास. सुरेंद्र नाथ मुखर्जी (छात्र) को भी कारावास. विभूति भूषण गांगुली छात्र थे, उन्हें नज़रबंद किया गया. विजय नाथ चक्रवर्ती, शिक्षक थे बनारस से निर्वासित किए गए. एक और शिक्षक थे रमेश चंद्र जोयेरदार, जिन्हें बनारस से निर्वासन की सज़ा दी गई.

इतिहास ने आज़ादी के आंदोलन के कई वीरों को भुला दिया. वैसे ही कई ऐसे संस्थान भी भुला दिए गए जो स्वतंत्रता संग्राम के दौरान आंदोलनकारियों के लिए गुप्त ठिकाने हुआ करते थे. इन संस्थानों में इतिहास की थाती है. लेकिन ज़रूरत है कि कोई गंभीरता के साथ इसे लेकर शोध करे.
बंगाली टोला इंटर कॉलेज ने अपने पुरखे आंदोलनकारियों को याद करने के लिए शहीद वेदी लगाई है. जिसके सामने हर रोज़ सुबह की प्रार्थना होती है.