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KhabarTak > Blog > Uncategorized > प्रतिबंधित साहित्य और आज़ादी के तराने
Uncategorizedशिक्षा संसार

प्रतिबंधित साहित्य और आज़ादी के तराने

Khabar Tak Media
Last updated: 2023/01/26 at 2:40 PM
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बरतानिया हुकूमत की चालबाजियों का पर्दाफ़ाश सबसे पहले साहित्य के नागरिकों ने किया। उन्हें अपने रचनात्मक दौर में सक्रिय रहते हुए सबसे ज़्यादा ज़ुल्मो-सितम का सामना करना पड़ा। ज़ुल्मों-सितम की अंतहीन कहानी उनके नसीब में तो लिखी ही गयीं, विडम्बना देखिए कि साहित्य की अभिव्यक्ति करने वाले इन सर्जकों को साहित्य की मुख्यधारा के इतिहास ने अपनी जद में शामिल करना तक मुनासिब नहीं समझा। लगभग सभी भारतीय भाषाओं में इस तरह के साहित्य की प्रचंड धारा चली। ऐसी प्रचंड धारा जिससे दुनिया के सबसे ताकतवर साम्राज्य की चूलें हिल गयीं। इस लेख के आरम्भ में भट्टनायक की स्थापनाओं का उल्लेख इसलिए किया गया है ताकि उसके आलोक में साहित्य की इस दीगर विशेषता से हम वाकिफ हों और हम यह समझने में कामयाब हों कि कैसे उस दौर की कविताओं में अपने समय का जो सच गुम्फित हुआ है उसमें शब्द और अर्थ दोनों की क्षमता अपनी पूरी शक्ति के साथ प्रकट हुई।

स्वाधीनता संग्राम के दौरान लिखे गए साहित्य में जनपक्षधरता की जो चेतना उपस्थित है, वह अनेक दृष्टियों से उल्लेखनीय है। कविताएँ, गीत और ग़ज़लों की रचना कहन शैली में की गयीं हैं। उनमें संवाद की आत्मीयता, स्व का बोध और बरतानी हुकूमत की चालबाजियों का पर्दाफाश करने जैसी विशेषताएँ आसानी से मिल जाती हैं। ऐसे साहित्य का बेहतरीन संकलन अमृत लाल रावल ने किया है। उनका संकलन दो भागों में प्रकाशित है- आज़ादी के तराने, भाग-1 और आज़ादी के तराने, भाग -2. इन दोनों भागों की यात्रा उस समय को मूर्त कर देती है, जब ताप के ताए दिनों के बल पर भारत ने गुलामी के अँधेरे से निकल कर स्वाधीमता के सूरज की रौशनी का दीदार किया। इस अंश में उन गीतों पर विचार होगा जो इन संग्रहों में संकलित हैं। भाग-2 के अंत में उन 125 रचनाकारों के नाम और ठिकाने का उललेख है जिन्हें अपने गीतों,गजलों और कविताओं के कारण बेंत, जुर्माने और कारावास की सज़ा भुगतनी पड़ी।

संग्रह में किसानों की दुर्दशा और उनके सपने तथा विद्रोह; अंग्रेजी शासन के ख़िलाफ़ ख़ूनी क्रांति की तरफदारी; गांधी,नेहरु, चन्द्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह सरीखे नेताओं के प्रति समर्पण का जज्बा; युवाओं-युवतियों को अंग्रेजी हुकूमत के ख़िलाफ़ जनसैलाब बन उखाड़ फेकने का आह्वान; स्वाधीनता आन्दोलन के विभिन्न प्रतीकों के प्रति समर्पण; आजादी के संघर्ष के विभिन्न अभियानों जैसे- खिलाफत, असहयोग आंदोलन आदि के प्रति अलख जगाना, आजादी का ख़्वाब; जंग का ऐलान; संगठन की ताक़त का बयान; देश के लूटे जाने का दुःख और अंग्रेजी राज के प्रति दुआ जैसे मजमून; अहिंसा; स्वाधीनता संग्राम का हिस्सा बनने का संकल्प; सामूहिक उत्थान और स्वाधीन भारत के लिए प्रार्थना शामिल हैं। इस फेहरिश्त को और भी बड़ा किया जा सकता है।

रचना शैली के आधार पर विचार करें तो हम पाते हैं दोहा, चौपाई जैसे आजमाए छंदों के साथ, बहर शैली का प्रयोग भी नज़र अता है। इन पद्यरूपों में जिन प्रतीकों का प्रयोग किया गया है वे भारतीय आम जीवन के स्वाभाविक अंग हैं। गरम दल और नरम दल का जैसा विभाजन इतिहास की पुस्तकों में दिखाई देता है, वैसा गीतों में नहीं दिखाई पड़ता। जैसे चरखे की तुलना मशीनगन से करना। इनकी सबसे बड़ी बात यह है कि ये या तो गेय हैं या फिर मंचन योग्य वार्तालाप शैली में रचे-पगे। इनमें से अनेक गीत प्रभातफेरियों में गाए जाते थे और यह सामूहिक आवाज़ एक साथ भारत के स्व की पहचान कराने और आजादी के सपने को मूर्त करने काम कर रहे थे।

कुछ बानगियों का उल्लेख करना मौजू होगा-

तब्दील गवर्नमेंट की कम न होगी।
गर कौम असहयोग पै तैयार न होगी।।
बन जाएँगे हर शहर में जालियाँवाला बाग।
इस मुल्क से गर दूर यह सरकार न होगी।।

चला दो चर्खा हर एक घर में , ये चर्ख तब तुम हिला न सकोगे।
बंधा तभी सिलसिला सकोगे, उन्हें कबड्डी खिला सकोगे।।
हमारे चर्खे में ऐसा फन है, जो आजकल की मशीनगन है।
फिर मैनचेस्टर वो लंकाशायर , का जीत इससे किला सकोगे।।

जालिमों को है उधर बंदूक अपनी पर गरूर,
है इधर हम बेकसों का तीर वंदे मातरम्।
कत्ल कर हमको न कातिल तू, हमारे खून से,
तेग पर हो जाएगा तहरीर वंदे मातरम्।

इस तरह के गीतों, गज़लों और कविताओं ने जिस अभियान को सम्भव किया उन्हीं की स्वाभाविक परिणति हुई और हम स्वाधीन हुए।

प्रो. निरंजन सहाय
प्रो. निरंजन सहाय

खबर तक मीडिया के लिए ये आर्टिकल प्रो. निरंजन सहाय ने लिखा है.
(प्रो.निरंजन सहाय, हिंदी के लेखक, आलोचक और पाठ्यक्रम परिकल्पक के रूप में ख्यात हैं। फ़िलहाल हिंदी तथा आधुनिक भारतीय भाषा विभाग के अध्यक्ष और महात्मा गांधी काशी विद्यपीठ के निदेशक:शोध और परियोजना पद पर कार्यरत हैं। इन्होंने चौदह से अधिक सहित्य, शिक्षा और संस्कृति आधारित पुस्तकों का लेखन किया है।)

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TAGGED: #26th january, #article, #freedom, #litreature
Khabar Tak Media January 26, 2023
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