कहानी सन 54 ईस्वी की है. एक सोलह साल का लड़का अपनी मां की चालबाजियों के दम पर राजा बन गया. उसके हाथ एक ऐसे देश की सत्ता आ गई जिसकी सीमा ब्रिटेन से सीरिया तक फैली थी. देश का नाम रोम था और 16 साल के लड़के का नाम था नीरो. वही रोम जिसके बारे में कहा जाता है कि “यूनान, मिश्र, रोम मिट गए जहां से, मगर अब तक है बाकी नाम-ओ-निशां हमारा.” वही नीरो जिसके बारे में कहा जाता है कि “जब रोम जल रहा था तब नीरो बांसुरी बजा रहा था.”

अब फास्ट फॉरवर्ड करते हैं. 2023 में दाखिल हो जाइए. हम आपको रोम से करीब 6 हजार किलोमीटर की दूरी पर भारत ले आते हैं. अब भारत की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश चलिए. जहां कानपुर देहात नाम का एक शहर है. कानपुर देहात का थाना मैथा और गांव मड़ौली यहां की एक तस्वीर देखने की बारी है.
तारीख 14 जनवरी, 2023. मड़ौली में दीक्षित परिवार है जिसमें पति-पत्नी, उनकी बेटी और बेटा रहते हैं. हंसता-खेलता और तमाम संघर्षों के साथ जीवन गुजार रहा परिवार. एक फूस का घर है यानी झोपड़ी. क्योंकि बीते दिन जेसीबी से उनका कच्चा मकान ध्वस्त कर दिया था प्रशासन ने. एक बार फिर जेसीबी आती है झोपड़ी हटाने. परिवार विरोध करने लगता है. हंगामा होता है. अधिकारी अपना रौब गांठते हैं. इसी बीच झोपड़ी में आग लग जाती है.

झोपड़ी की आग में दो ज़िंदगियां झुलस जाती हैं. प्रमिला दीक्षित और उनकी बेटी नेहा दीक्षित आग में जलकर दम तोड़ देती है. लेकिन इन सब से पहले जब झोपड़ी गिराई जा रही थी पुलिस की टीम पर प्रमिला दीक्षित के पति और बेटे को पीटने का भी आरोप है. बहरहाल, प्रमिला और नेहा की मौत के बाद हड़कंप मच जाता है. प्रशासन अब मामले पर माटी डालने की कोशिश करता है.
कहानी को थोड़ी और तेजी से आगे बढ़ाते हैं. बात आती है अंतिम संस्कार की. प्रमिला और नेहा का परिवार अंतिम संस्कार करने के लिए मांग रखता है. मांग ये कि जब तक प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम बृजेश पाठक नहीं आते हैं तब तक अंतिम संस्कार नहीं होगा. अधिकारी इस बात को लखनऊ पहुंचाते हैं. सरकार संवेदनशीलता दिखाती है.
डिप्टी सीएम बृजेश पाठक को अधिकारियों ने आदेश के बाद वीडियो कॉल किया. बृजेश पाठक पीड़ित परिवार से दोपहर 3.30 बजे के करीब वीडियो कॉल बातचीत करते हैं. जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई और पीड़ित परिवार को हर मदद का आश्वासन देते हैं. पीड़ित परिवार को अपना परिवार भी बताते हैं.
इसके बाद उसी दिन यानी 14 फरवरी की ही रात 11 बजकर 18 मिनट पर एक ट्वीट करते हैं. ट्वीट में 4 तस्वीरें हैं. जिसमें रंगारंग कार्यक्रम होता दिखता है. डिप्टी सीएम लिखते हैं कि “आज ताज होटल, लखनऊ में आयोजित G20 के प्रतिनिधियों के साथ रात्रिभोज के अवसर पर यशस्वी मुख्यमंत्री मा. श्री योगी आदित्यनाथ जी, मा० #DyCM श्री केशव प्रसाद मौर्य जी एवं अन्य वरिष्ठजनों के साथ भारतीय संस्कृति से जुड़े अद्भुत सांस्कृतिक कार्यक्रम के मनोरम दृश्य को देखते हुए।”
लखनऊ से कुछ घंटों की दूरी पर एक मां-बेटी की मौत हो जाती है. जिस बुलडोजर शैली की कार्रवाई को खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बढ़ावा दिया उसी की वजह से दो महिलाएं आग में जलकर मर जाती हैं. लेकिन सीएम और डिप्टी सीएम के पास इतना वक्त नहीं था कि पीड़ित परिवार से मिलने जाएं. लेकिन रात को G20 के प्रतिनिधियों के साथ ‘अद्भुत सांस्कृतिक कार्यक्रम के मनोरम दृश्य को देखने’ का भरपूर वक्त था?
उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात की कहानी रोम की याद नहीं दिलाती है? कहावत एकाएक मन में नहीं आ जाता है कि ‘जब रोम जल रहा था, नीरो बांसुरी बजा रहा था.’ बांसुरी भी ‘अद्भुत सांस्कृतिक कार्यक्रम का मनोरम दृश्य’ ही है.