आनन्द कुमारः-
वाराणसी: काशी विद्यापीठ के छात्र-छात्राएं अपनी डिग्री पूरी करने के बाद प्लेसमेंट के इंतजार में हैं। सभी अपने भविष्य को लेकर चिंतित नजर आ रहे हैं।छात्रों का कहना है कि पढ़ाई तो पूरी कर ली, लेकिन नौकरी नहीं मिल रही। आज के युवाओं के लिए रोजगार एक बड़ी चुनौती बन चुकी है।
हाल ही में, 27 सितंबर को विद्यापीठ ने एक नोटिस जारी किया, जिसमें 2024 के उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं के लिए प्लेसमेंट की बात कही गई थी लेकिन, 30 सितंबर को, प्लेसमेंट सेल की हेड शेफाली ठकराल, कुलपति आनंद कुमार त्यागी, कुलानुशाशक के.के. सिंह, कुलसचिव सुनीता पांडेय और संकायाध्यक्ष के बीच एक बैठक हुई। इस मीटिंग में यह तय किया गया कि अभी पूरा ध्यान नैक पर दिया जाए, और होने वाले प्लेसमेंट को फिलहाल स्थगित कर दिया जाए।
विश्वविद्यालय प्रशासन नैक टीम के स्वागत मे कोई कोर-कसर छोड़ना नही चाहता। इसलिए सभी गैर जरूरी तैयारियों पर ब्रेक लगाते हुए नैक टीम को खुस करने का मुक्बल इंतजाम किया जा रहा है।
पत्रकारिता के छात्रों का आरोप है कि उनके पास न तो ढंग का स्टूडियो है, न ही लाइब्रेरी में पर्याप्त पुस्तकें हैं, और कक्षाओं के लिए प्रोफेसर की संख्या भी कम है। एक प्रोफेसर को दो-दो लेक्चर देने पड़ते हैं। प्रैक्टिकल के लिए बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।
यदि सेंट्रल लाइब्रेरी की बात करें, तो नई शिक्षा नीति के तहत कोई नई पुस्तकें मौजूद नहीं हैं। लाइब्रेरी में बैठने के लिए कुर्सियों की संख्या भी कम है। वहीं, वाईफाई कैंपस के नाम पर छात्रों के साथ एक बड़ा धोखा हो रहा है, क्योंकि वाईफाई में कभी नेटवर्क ही नहीं आता।
छात्रों का कहना है कि उनके लिए कोई अच्छी कैंटीन भी नहीं है, जहां वे कुछ खाकर अपने आपको तरोताजा कर सकें। हॉस्टल में भी मेस की सुविधा नहीं है, जिससे आवासीय छात्र-छात्राओं को समय पर खाना नहीं मिल पाता। काशी विद्यापीठ के चार हॉस्टल हैं: आचार्य नरेन्द्र देव छात्रवास, लाल बहादुर शास्त्री, अंबेडकर छात्रवास और जे.के. महिला छात्रवास। इनमें से किसी भी हॉस्टल में मेस नहीं चल रहा है।
लड़कियों का आरोप है कि उन्हें हॉस्टल में खाना बनाने पर भी प्रतिबंध है। ऐसे में हॉस्टल की लड़कियां खाना खाने के लिए किस होटल का चक्कर लगाएं? आए दिन छात्र-छात्राओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।