मायावती (Mayawati). जो उत्तर प्रदेश की चार दफे मुख्यमंत्री रहीं. जिनके राज में कहते हैं कि यूपी के अधिकारी हड़के रहते थे. मायावती जिनकी हनक के आगे बड़े से बड़ा ब्यूरोक्रेट बौना हो जाता था. वो खुद भी ब्यूरोक्रेसी की हिस्सा होतीं. लेकिन दलितों के बड़े नेता कांशीराम से उनकी एक मुलाकात ने सारी कहानी पलट दी. मायावती अधिकारी तो नहीं बनीं. लेकिन अधिकारी जिसके आगे सिर झुकाते हों वैसी मुख्यमंत्री जरूर बन गईं.
साल 1977 मायावती के जीवन का एक बड़ा घुमाव देने वाला साल रहा. इसी साल उनकी मुलाकात दलित नेता कांशीराम (Kanshi Ram) से हुई जब वो उनके घर आए थे. किस्से सुनाए जाते हैं कि जब कांशीराम और मायावती की मुलाकात हुई तो उन्होंने मायावती से कहा था, “मैं तुम्हें इतना बड़ा नेता बना सकता हूं कि एक दिन तुम्हारा आदेश पूरा करने के लिए IAS अफसरों की लाइन लगी रहेगी.” कांशीराम की ये बात मायावती की ज़िंदगी में एक टर्निंग पॉइंट लेकर आई. मायावती का आईएएस बनने का ख्याब हवा हो गया.
आज मायावती का 67वां जन्मदिन है. मायावती का जन्म नई दिल्ली में 15 जनवरी, 1956 को हुआ था. मायावती के बचपन का नाम चंद्रावती (Chandravati) था. पढ़ने में होनहार रहीं मायावती ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के कालिंदी कॉलेज से बीए की पढ़ाई की. 1983 में उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ लॉ से एलएलबी की डिग्री ली. इससे पहले 1976 में उन्होंने मेरठ यूनिवर्सिटी के वीएमएलजी कॉलेज गाजियाबाद से बीएड भी किया था. सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के दौरान उन्होंने दिल्ली के इंद्रपुरी जेजे कॉलोनी में शिक्षण कार्य भी किया था.
मायावती का सियासी तिलिस्म:
साल 1984 से राजनीति में जुड़ीं मायावती पहली बार 1989 में लोकसभा का चुनाव जीती थीं. 1995 में मुलायम सिंह यादव की सरकार गिराकर बीजेपी का समर्थन लिया और यूपी की मुख्यमंत्री बनीं. 2007 में अपने दम पर उन्होंने जनाधार जुटाया और यूपी में पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा किया.
“मिले मुलायम-कांशीराम, हवा हो गए जय श्री राम. बाकी राम झूठे, असली राम कांशीराम” ये एक ऐसा नारा था जिसने उत्तर प्रदेश की राजनीति को पूरी तरह बदल दिया. इस नारे के सृजनकर्ता इटावा के पूर्व बसपा नेता खादिम अब्बास थे. नब्बे के दशक में बसपा ने अपने सियासी पासे फेंके और यहीं से शुरू हुआ मायावती का सियासी तिलिस्म…
4 बार बनीं मुख्यमंत्री:
3 जून, 1995. ये वो दिन था जब पहली बार मायावती ने सूबे की मुखिया के तौर पर अपनी शुरुआत की. मायावती प्रदेश के इतिहास में 4 बार मुख्यमंत्री के पद पर पहुंचने वाली पहली नेता हैं. मायावती पहली बार जून 1995 में सपा के साथ गठबंधन तोड़ कर बीजेपी और अन्य दलों के बाहरी समर्थन से मुख्यमंत्री बनीं थीं. तब उनका कार्यकाल महज 4 महीने का था.
दूसरी बार 1997 और तीसरी बार 2002 में मुख्यमंत्री बनीं. तब उनकी पार्टी बीएसपी का बीजेपी के साथ गठबंधन था. 2007 में बंपर जीत के साथ मायावती के 403 में से 206 विधायक जीते और पार्टी को 30.43% वोट मिले. ये पहली बार था पर बसपा की स्पष्ट बहुमत की सरकार बनी और आखिरी बार जब मायावती ने सीएम की कुर्सी संभाली.