आनन्द कुमारः-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की 9वीं बैठक ने राजनीतिक हलचल मचा दी है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा आरोप लगाते हुए बैठक बीच में ही छोड़ दी। उनका कहना है कि उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया गया और पांच मिनट में ही उनकी आवाज बंद कर दी गई। सरकारी सूत्र इस दावे को गलत बताते हैं।
ममता बनर्जी का आरोप: ‘मेरा माइक बंद किया गया’
बैठक से बाहर निकलते ही ममता बनर्जी ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, “मैंने बैठक का बहिष्कार किया है। चंद्रबाबू नायडू को 20 मिनट, असम, गोवा और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों को 10-12 मिनट दिए गए, जबकि मुझे पांच मिनट में ही रोक दिया गया। यह न केवल मेरा बल्कि सभी क्षेत्रीय दलों का अपमान है।”
सरकारी प्रतिक्रिया: ‘माइक बंद करने का दावा गलत’
सरकारी सूत्रों ने ममता बनर्जी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनका माइक बंद नहीं किया गया था। उनका बोलने का समय समाप्त हो गया था और उन्हें पहले ही 7वें स्पीकर के रूप में रखा गया था, क्योंकि उन्हें जल्दी लौटना था।
बैठक का बहिष्कार: कौन-कौन से मुख्यमंत्री नहीं हुए शामिल
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, केरल के पिनाराई विजयन, पंजाब के भगवंत मान और तीन कांग्रेस मुख्यमंत्रियों- सिद्धारमैया, सुखविंदर सिंह सुक्खू और रेवंत रेड्डी सहित कई विपक्षी नेताओं ने इस बैठक का बहिष्कार किया है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अनुपस्थिति में दोनों उपमुख्यमंत्रियों ने राज्य का प्रतिनिधित्व किया।
नीति आयोग की बैठक का मुख्य एजेंडा
बैठक का मुख्य उद्देश्य 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने पर केंद्रित था। इसमें गांवों और शहरों में जीवन की गुणवत्ता सुधारने के लिए डिलीवरी मैकेनिज्म पर चर्चा की गई। नीति आयोग ने यह भी कहा कि भारत 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है।