ये मौसम है. ये तय है. ये धान की फसल है. जो हर साल बोई जाती है और कटती है. ये रवायत है. ये रिवाज़ बनाया गया है. ये रीति स्थापित की है महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ (Mahatma Gandhi Kashi Vidyapith) के प्रशासन ने. जिसका विरोध लगाता छात्र नेता करते आए हैं. जिसका असर काशी विद्यापीठ प्रशासन पर नहीं होता है. मामला छात्र संघ चुनाव से जुड़ा है. सबसे बड़ा सवाल है कि क्या इस सत्र (2022-23) में छात्र संघ चुनाव होगा या नहीं?
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में छात्र संघ चुनाव कराने की मांग को लेकर छात्र नेता लगातार धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रशासनिक भवन के सामने छात्र नेता अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हुए हैं. प्रशासन की ओर से छात्र संघ चुनाव कराने का आश्वासन दिया गया था. लेकिन अब प्रशासन चुनाव कराने के मूड में नहीं दिख रहा है. जिसे लेकर छात्र नेता उग्र प्रदर्शन भी कर चुके हैं.
ख़बर तक मीडिया ने छात्र संघ चुनाव कराने के मसले पर प्रशासनिक भवन में बैठने वाले जिम्मेदार लोगों से संपर्क किया. चीफ प्रॉक्टर और कुलपति के करीब काम करने वाले एक अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर हमसे बातचीत की. उन्होंने छात्र संघ चुनाव को लेकर प्रशासन की मंशा के बारे में ख़बर तक मीडिया को बताया.

प्रशासनिक भवन के अधिकारी कहते हैं कि “जब विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टीएन सिंह थे तब भी ये कोशिश हुई. अब दोबारा वही प्रयास एक बार फिर दोहराया जा रहा है. कोशिश ये कि किसी भी तरह से छात्र संघ चुनाव को बंद कर दिया जाए. क्योंकि प्रशासन को लगता है कि छात्र नेता विश्वविद्यालय की व्यवस्था को डिस्टर्ब कर रहे हैं.” अधिकारी आगे बताते हैं कि “दरअसल ये सरकार की ही मंशा है. जिसे विश्वविद्यालय प्रशासन लागू करने की कवायद में जुटा हुआ है.”
छात्र संघ चुनाव होने की संभावना पर अधिकारी ने बताया कि “विश्वविद्यालय प्रशासन पिछली बार की ही तरह छात्र नेताओं का धैर्य देख रहा है. अगर अनिश्चितकालीन धरना लंबा चलता है, छात्र नेताओं का हंगामा जारी रहता है तो छात्र संघ चुनाव होगा. कोशिश यही है कि किसी तरह से छात्र नेताओं का गुस्सा शांत किया जाए. साथ ही मामला जितना लंबा खिंच सके खींचा जाए.”
छात्र संघ चुनाव के लिए उग्र प्रदर्शन:
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में बीते दिनों छात्र नेताओं ने उग्र प्रदर्शन भी किया था. छात्र नेताओं ने चीफ प्रॉक्टर की गाड़ी पर पथराव कर दिया था. चीफ प्रॉक्टर की गाड़ी में जमकर तोड़फोड़ हुई थी. कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी के साथ संवाद में भी छात्र नेताओं का आक्रोश देखने को मिला था. वहीं दूसरी विश्वविद्यालय प्रशासन छात्र संघ चुनाव को लेकर टाल-मटोल ही करता दिख रहा है.