26 जून, 1975. देश हिंदूस्तान. जिसकी प्रधानमंत्री थीं इंदिरा गांधी. अचानक रेडियो पर आती हैं और फरमाती हैं कि “माननीय राष्ट्रपति जी ने देश में आपातकाल की घोषणा की है.” एक ऐलान और लोकतंत्र के हर खंभे पर सत्ता की जंजीर चढ़ा दी गई. चौथे खंभे यानी कि प्रेस को घुटने के बल झुका दिया गया. जिसने लिखने-बोलने की हिम्मत जुटाई उसे सलाखों के पीछे फेंक दिया गया. तो आज अलबत्ता ऐसा क्या हुआ कि जनवरी के सर्द महीने में जून की तपिश याद आ गई. वो इसलिए कि भारत सरकार के सूचना मंत्रालय ने यूट्यूब और ट्विटर को फरमान जारी किया है कि बीबीसी पर पीएम मोदी को लेकर बनाई गई डॉक्यूमेंट्री का लिंक शेयर करने वाले पोस्ट को डिलीट कर दिया जाए.
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक सूचना प्रसारण मंत्रालय के सचिव अपूर्व चंद्र ने आईटी नियम 2021 के तहत यूट्यूब और ट्विटर को ये आदेश जारी किया है. जिसे दोनों ही प्लेटफॉर्म ने मान भी लिया है. सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि इस आधार पर बीबीसी की पीएम मोदी से जुड़ी डॉक्यूमेंट्री शेयर करने वाले करीब 50 पोस्ट डिलीट किए गए हैं.
सूत्रों के हवाले से बीबीसी ने लिखा है कि यूट्यूब से कहा गया है कि “अगर उसके प्लेटफॉर्म पर फिर से इस डॉक्यूमेन्ट्री को अपलोड करने की कोशिश की जाती है तो उसे ब्लॉक किया जाए. वहीं ट्विटर को इसके लिंक वाले ट्वीट्स की पहचान कर उन्हें हटाने को कहा गया है.”
डॉक्यूमेंट्री में क्या है ?
बीबीसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर एक डाक्यूमेंट्री बनाई है. जिसका पहला एपिसोड जारी किया गया है. इस एपिसोड में पीएम मोदी के सबसे काले अध्याय पर बात की गई है. गोधरा दंगे के मुद्दे को डॉक्यूमेंट्री में दिखाया गया है. जिसे लेकर भारत में विवाद हो रहा है. पीएम मोदी के समर्थक इसे साजिश की तरह पेश कर रहे हैं.
India: The Modi Question नाम से बीबीसी अपनी डॉक्यूमेंट्री बनाई है. डॉक्यूमेंट्री के दो हिस्से हैं. पहला हिस्सा 17 जनवरी को रिलीज किया गया था. भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी इस पर सवाल खड़े किए हैं. वहीं अब हिंदू फोरम ऑफ ब्रिटेन (HFB) ने बीबीसी को चिट्ठी लिखी है. HFB ने कहा है कि वह बीबीसी के ‘हिंदू-विरोधी पूर्वाग्रह’ से निराश है. उनका कहना है कि इंडिया: द मोदी क्वेश्चन के कंटेंट में निष्पक्षता नहीं बरती गई है.